हर साल दशहरे में हम
हर साल दशहरे में हम,
रावण को जलाते हैं
पर क्या उसका रत्ती भर
भी अधिकार हम पाते हैं?
प्रभू राम सरिखे पुत्र
क्या हम कभी बन पाएंगे
जिन्होंने राजमहल को क्षणभर में
मात्र, पिता के वचनों की
खातिर था त्याग दिया,
वनवास जानें से पहले,
ना एक भी सवाल किया
हर साल दशहरे में
हम रावण को जलाते हैं
पर क्या उसका रत्ती भर
भी अधिकार हम पाते हैं?
प्रभू राम सरिखे शिष्य
क्या हम कभी बन पाएंगे
जिन्होंने अपने गुरुओं के कथनों
को, सर्वोपरि स्थान दिया
उनकी जीवनपर्यंत रक्षा हेतु
राक्षसों का संहार किया
हर साल दशहरे में
हम रावण को जलाते हैं
पर क्या उसका रत्ती भर
भी अधिकार हम पाते हैं?
प्रभू राम सरिखे पति
क्या हम कभी बन पाएंगे
जिन्होंने सीता जी की हर इच्छा
को मान दिया, सम्मान दिया
उनको अपने से पहले
संसार में स्थान दिया
इसीलिए हम उन्हें सदा
सीता राम बुलातेे हैं
संसार में अपने गुणों के ही
कारण वो पुरषोत्तम कहलाते हैं
हर साल दशहरे में
हम रावण को जलाते हैं
पर क्या उसका रत्ती भर
भी अधिकार हम पाते हैं?
जब हम में एक भी
गुण नहीं, तो किस अधिकार से
हम खुद राम बन जाते हैं
हर साल दशहरे की पावन बेला
हम रावण को जलाते हैं
गर प्रभू राम के एक दो गुणों
को भी हम, अपने भीतर ला पाते हैं
तब रावण को जलाने के हम,
शायद कुछ अधिकार पा जाते हैं
हर साल दशहरे में
ReplyDeleteहम रावण को जलाते हैं
पर क्या उसका रत्ती भर
भी अधिकार हम पाते हैं?
सही कहा है अधिकार नहीं है फिर भी हम अधिकार से जलाते हैं
Very nice.....
Thank you so much for your appreciation🙏
DeleteNice poem...we should try to attain good character of shri raam🙏
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation 🙏
DeleteNice Anu...
ReplyDeleteThank you Ma'am for your appreciation
Deleteati sundar..
ReplyDeleteThank you sir for your appreciation
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