सावन का तोहफा(भाग- 4)
दो दिन बाद, नितिन छत पर बारिश में भीगते हुए गा रहा था “लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है.....
तभी घंटी बजी, और चंद मिनटों
बाद, नेहा के भैया, छत पर नितिन के
सामने एक चिट्ठी ले कर खड़े थे। उन्होंने चिट्ठी नितिन को देते हुए बोला, ये तुम्हारी भाभी ने दी है।
चिट्ठी! नितिन ने आश्चर्य
से भरकर चिट्ठी पढ़नी शुरू की, उसमें लिखा था, नितिन जी, आपको सावन का तोहफा भेज रही हूँ, पर इस वादे के साथ कि, आप भी हमें रक्षाबंधन में
जरूर से तोहफा देंगे।
नितिन चिट्ठी पढ़कर भैया की तरफ आश्चर्य से देखने
लगा, भैया तोहफा तो भाई, बहन को देते हैं, तब मैं क्यों दूंगा?
भैया बोले, अरे नितिन जी, आप नीचे चलकर अपना तोहफा देख लीजिये, फिर सोचिएगा
क्या करना है?
नीचे नेहा अपनी सास के साथ बैठी थी, नेहा को देखते ही नितिन समझ गया, कि भाभी ने क्या
लिखा है।
उसी रात ही नितिन ने बहुत ही सुंदर कमरा सजाया, नेहा को gown gift किया। song भी वही बज रहा था “मोहब्बत बरसा देना तू,
सावन आया है.....
2 हफ्ते बाद वो नेहा के साथ, पहले अपनी बहन के घर, फिर अपने ससुराल गया, बहुत ही धूम से राखी मनाई गयी। नितिन ने भाभी से कहा, आपका सावन का तोहफा मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगा। “भाभी हो तो ऐसी”, नेहा ने नितिन के स्वर में स्वर मिलते हुए कहा।
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