हम जैसे भी हैं
कभी कभी मोदी, योगी, रामदेव इन सब को देखकर लगता है, कहाँ हम शादी -बच्चों के चक्कर में पड़ गए? हम भी इन झंझटों में ना फँसे
होते तो आज हम भी बड़े काम और नाम वाले होते।
क्यों, लगता है
ना आपको भी कभी?
तो जनाब, हर कोई मोदी, योगी नहीं बनता है, इन्हें भी यहाँ तक पहुँचने में
सालों का तप करना पड़ा है।
सफल तो शादीशुदा और परिवार वाले भी हुए हैं, टाटा, अंबानी, बच्चन, धोनी, सचिन। ये सभी शादीशुदा हैं, और इनके बच्चे भी हैं।
पर इनकी मेहनत भी इन्हें सफलता के मुकाम पर ले
गयी।
सफलता दूसरों को कोसने या उन्हें किस्मत वाला
मानने से नहीं मिलती है। ना ही अपने को बेचारा और बदकिस्मत मानने से मिलती है।
हम जैसे हैं, वैसे ही रहकर
हमे मेहनत करनी होगी, वो भी सतत।
मेहनत तो लोग कर भी लेते हैं, पर सतत करते रहना, वो कठिन है। और हम से यही, नहीं हो पाता है।
वही कारण है, कि हम मोदी, रामदेव, बच्चन, धोनी, सचिन बनने से रह जाते हैं।
बाकी कोशिश इनके जैसा बनने की होनी भी नहीं
चाहिए, क्योंकि कोई किसी के जैसा नहीं बन सकता। यहाँ तक कि आप अपने माँ- पापा जैसे नहीं बन सकते, तब किसी और जैसा बनने की
कल्पना भी क्यों?
बनना है तो ऐसे बनिए, कि
सब आप जैसे बनना चाहें। क्योंकि आप सफल भी तभी कहलाएंगे, जब आप किसी के जैसे ना बने हों, बल्कि सब आप जैसा बनना
चाहें।
तो आप जैसे हो, कुँवारे, शादीशुदा, या अकेले रह गए हों। उससे सफल होने में, कोई अन्तर नहीं आता है। वैसे ही आगे बढ़ें, सफल बनें, संतुष्ट रहें। क्योंकि ईश्वर ने भी सबको एक ही काम के लिए नहीं भेजा है।
अपनी राह सबसे अलग बनाएँ, राह सुगम होगी, तो कारवाँ तो बन ही जाएगा।
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