Saturday 12 October 2019

Story Of Life : हमने घर बदल लिए (भाग -3 )

हमने घर बदल लिए (भाग -1 ) और 

हमने घर बदल लिए (भाग -2 ) के आगे


Story Of Life : हमने घर बदल लिए (भाग-3 )

अच्छा ठीक है, तेरे जीजू को बोल कर आती हूँ।

रैना दी कीर्ति के पास आ गईं, बोली बताओ, क्या पूछना है तुम्हें?
दी, आप लोग जब रिया की engagement में आए थे, तो सब आपसे ज्यादा जीजू को आवाज़ लगा रहे थे। जीजू सारे काम, बखूबी कर भी रहे थे।

पर आपके घर में तो कुछ और ही माहौल है। यहाँ तो सारे काम आप ही करती हैं। आपको ही सब अपनी सारी बात बताते हैं, सब आपको ही बुलाते हैं। जीजू से तो बात भी नहीं की, उन लोगों ने। जीजू सबके बारे में उतना update भी नहीं रहते हैं।

मैंने और भी एक बात notice की, कि जीजू को उनके ससुराल वाले, और आपको आपके ससुराल वाले बहुत मानते हैं। और हाँ आप लोगों में झगड़ा भी नहीं होता है।

रैना दी हँस दीं, बोलीं हमने घर बदल लिए हैं।

क्या मतलब? मैं कुछ समझी नहींकीर्ति असमंजस में पड़ती हुई बोली

अरे रे..., कीर्ति, अपनों के साथ तो बचपन से रहे हैं, उनका प्यार और विश्वास तो बहुत पा लिया। अब अगर जीवनसाथी के घर वालों का साथ मिला है, तो उन्हें भी तो अपनाना होगा। शादी के बाद से ही हम दोनों ही एक दूसरे के घर के लोगों की ज्यादा चिंता करते हैं। उसके ही कारण है, हम अपने घर और ससुराल वालों दोनों का प्यार पाते हैं। और यही कारण झगड़ा नहीं होने का भी है।

कीर्ति रैना दी के घर से लौट आई, पर उसके मन में यह बात भीतर तक समा गयी, कि हम केवल अपने partner से कल्पना करते हैं, कि वो हमारे परिवार को अपना ले, पर खुद कभी उसके परिवार को नहीं अपनाना चाहते। सच अगर, घर बदल लें, तो दोनों जगह का प्यार भी मिलेगा और घर में कलह भी नहीं होगा।

अब कीर्ति को केवल अच्छे जीवनसाथी की तलाश नहीं थी, बल्कि वो भी अच्छा जीवनसाथी बनना चाहती थी, घर बदलना चाहती थी।  

2 comments:

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.