Friday, 8 March 2024

Poem : ऐ नारी

आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष शुभकामनाएँ 💐

ऐ नारी


लांघ कर देहरी,
जब आई थी ससुराल।
छोड़ आई थी पीछे,
अपने दिल का हाल। 
वो अल्हड़ सी मस्ती,
वो मस्तानी चाल।
बेफिक्री जमाने की
हवाओं में लहराते बाल।
आज ना नींद है,
ना सपने।
बेगाने, ना जाने,
कब बन गए अपने।
अब हर दिन, हर रात,
इनके लिए खुद को बुनती है।
क्यों नहीं कभी,अपने लिए,
अपने को सुनती है?
ऐ नारी तू क्यों नहीं,
अपनी खुशियों को चुनती है?
आ एक दिन, एक रात के लिए,
भूल जा ज़माने को,
दुनिया भर के फसाने को।
आ उड़ चले आसमान,
एक स्वच्छंद सी उड़ान।
जहाँ, तुझे बेटी,पत्नी, माँ
किसी का ना हो भान
बस नारी होना ही, 
हो तेरी पहचान। 



Happy Women's Day💃

8 comments:

  1. Very nice poem and recitation is very expressive

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  2. Loved the video. Writing is wonderful as always :-)

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    1. Thanks a lot for your appreciation. Video is made by Advay.

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  3. Very nice and meaningful

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    Replies
    1. Thank you very much for your appreciation...

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