Saturday, 10 August 2024

Story of Life : सुहाना सावन (भाग-4)

सुहाना सावन (भाग-1),

सुहाना सावन (भाग-2)

सुहाना सावन (भाग-3) के आगे…

सुहाना सावन (भाग-4)

पर देखने वाले यही सोचते-कहते कि दोनों प्रीत की डोर से बंधे हुए हैं।

आखिर वो दिन भी आ गया, जिसको पाने का सपना दोनों ने सजाया था। 

दोनों ने IAS exam clear कर लिया था। Result देखकर वो बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि बहुत ज़ोर से बादल घिर आए हैं, वो चंद कदम ही चले थे और झमाझम बारिश शुरु हो गई।

अंकुर ने छतरी खोली तो, शिखा बोली, नहीं अंकुर आज नहीं...


'छतरी ना खोल बरसात में 

छतरी ना खोल बरसात में 

भीग जाने दे

भीग जाने दे

भीगी रात में

भीग जाने दे भीगी रात में'


आज मैं भीग जाना चाहती हूं, अपनी सफलता में, तुम्हारे साथ में, तुम्हारे प्यार में...

यह बारिश नहीं है, यह तो मेरा इतने दिनों का इंतजार है, जो अब और सब्र नहीं रख सकता है। 

सच कह रही हो, यह वो सुहाना सावन है, जो सिर्फ मेरे लिए आया है, मुझे आज सारी दुनिया बहुत रंगीन लग रही है। आज मुझे जिंदगी की सारी खुशियां मिल गई, मेरी मंज़िल भी, और उस पर साथ चलने वाला हमसफ़र भी...


'पहले प्यार की पहली ये बरसात है

हम दोनों एक दूजे के साथ हैं

भीगेंगे हम-तुम, तुम-हम बरसात में

बरसात है...'


दोनों बारिश में खूब भीगे, आज उनकी दोस्ती प्रीत में बदल रही थी।

जब दोनों ही अपने-अपने घर पहुंचे तो वो अलग ही दुनिया में थे। दोनों की family जानती थी कि दोनों को सिर्फ result का इंतजार है, उसके बाद दोनों को एक होने से कोई नहीं रोक सकता है।

दोनों के परिवार वालों को यह रिश्ता सहर्ष स्वीकार था। आखिर दोनों made for each other जो थे।

दोनों की शादी की तैयारी शुरू हो गई, लेकिन एक दिन सुबह-सुबह अंकुर की मम्मी का फोन आया...


आगे पढें, सुहाना सावन (भाग-5) में...

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.