Tuesday, 31 December 2024

Article : 2024 Sports Rewind

2024 साल का आज अंतिम दिन है। इस अंतिम दिन पर इस साल को अनेकानेक धन्यवाद देने, और इसकी उपलब्धियों को गिनने का दिन है।

2024 Sports Rewind



यह साल खेल जगत के लिए स्वर्णिम साल के रूप में आया था, जिसमें एक क्रिकेट विश्व कप, आधा दर्जन ओलंपिक पदक और दो शतरंज विश्व चैंपियन शामिल रहे हैं।

वर्ष 2024 ने भारतीय खेल प्रशंसकों को जश्न मनाने के कई मौके दिए जिससे खेलों की दुनिया में भारत का भविष्य उज्जवल नजर आता है।

यूँ तो वर्ष 2024 ने भारतीय खेलों में कुछ यादगार पल जोड़े लेकिन जिन तारीखों को याद किया जाएगा उनमें 29 जून, 30 जुलाई, 12 दिसंबर और 28 दिसंबर शामिल हैं।

भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम 2036 ओलंपिक की मेज़बानी के इरादे का औपचारिक आशय पत्र सौंपना रहा। यह एक ऐसा कदम है जिसमें देश के खेल परिदृश्य को बदलने की क्षमता है।


(1) Cricket :

ODI World Cup 2023 के match में, रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम final तक तो पहुंची, पर जीत हासिल कर के Cup अपने हाथ में न उठा सकी। सब ओर निराशा के बादल छा गए थे।

पर फिर आया साल 2024, जो अपने साथ T20 World Cup लेकर आया...

बारबाडोस में 29 जून की उमस भरी शाम थी, एक बार फिर रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम T20 World Cup के final में शामिल थी।

Match अपने रोमांचक मोड़ पर था, नहीं सूझ रहा था कि अगले पल क्या होने वाला है, तभी हार्दिक पांड्या के bowling के आखिरी spell ने कमाल कर दिया और एक दशक से भी अधिक समय तक चले इंतजार को खत्म करते हुए T20 World Cup को जीत लिया। यह देश के लिए वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।


(2) Olympics :

भारतीय क्रिकेट टीम की सफलता के एक महीने बाद, 30 जुलाई को, पिस्टल निशानेबाज – मनु भाकर – आज़ादी के बाद एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। इस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 6 bronze और 1 silver medal जीता।


(3) Paralympics :

Paralympics में 7 gold, 9 silver, 13 bronze: total 29 medal मिले। Ranking वाले 79 देशों में से भारत 18वें स्थान पर था। इस बार के Paralympic खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से भारत को गौरवान्वित किया।


(4) Chess :

पिछले चार महीनों में chessboard भारत के लिए खुशहाली का मैदान बन गया है, जहां open & women, दोनों teams ने सितंबर में पहली बार Olympiad में gold medal जीते हैं, वहीं डी गुकेश और कोनेरू हम्पी ने दिसंबर में World Champion बन के नई ऊंचाइयों को छुआ।

गुकेश 12 दिसंबर को 18 साल की उम्र में चीन की डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बने, साथ ही 37 वर्षीय हम्पी ने 28 दिसंबर को अपने career में दूसरी बार महिलाओं का rapid Chess world Cup जीता। 

वर्ष 2024 को भारतीय खेलों में T20 Cricket World Cup (Men's), Olympics, Paralympics, Chess Olympiad, FIDE World Rapid Championship (Women's section) and FIDE World Championship (Open section) में सफलता के लिए याद किया जाएगा।

भारत आगे आने वाले सालों में भी ऐसे ही विजई परचम लहराए और विश्व विजयी कहलाए।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳

Monday, 30 December 2024

Bhajan : चच्चा जी के दुलारे

आज के दिन, नाना जी, चच्चा जी महाराज में समाहित हो ईश्वरीयता से परिपूर्ण हो गये थे।

आज का यह भजन, नाना जी को समर्पित है, उनके दिए हुए संस्कार, मार्गदर्शन, अथाह प्रेम और आशीर्वाद को समर्पित है। 

उन्होंने सदैव हमें सद्कर्मों की ओर प्रेरित किया है और सभी को नित प्रतिदिन चच्चा जी महाराज के सानिध्य में रखा है।

नाना जी, को सभी प्यार से पापा जी कहते हैं, उनके उसी सम्बोधन को पिरोकर यह भजन, उनकी ही प्रेरणा से तैयार किया है, जो उनके ही श्री चरणों में अर्पित है।

आइए इस भजन के साथ उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं।

चच्चा जी के दुलारे 



चच्चा जी के दुलारे, 

पापा जी थे हमारे 

हमें ज्ञान की दी गंगा

जो जीवन हमारा तारे


चच्चा जी के दुलारे, 

पापा जी थे हमारे

चच्चा जी के दुलारे 


सदाचार का पाठ,

सदा उन्होंने पढ़ाया

सबका किया भला जो

आया था उनके द्वारे


चच्चा जी के दुलारे, 

पापा जी थे हमारे

चच्चा जी के दुलारे


कर्म जो किया है जिसने 

प्रारब्ध वही है पाया 

मानुष जन्म है दुर्लभ

पाते नहीं हैं सारे


चच्चा जी के दुलारे, 

पापा जी थे हमारे

चच्चा जी के दुलारे 


सुख दुःख से है जीवन

आए वो बारी बारी

संयम से रहना इसमें

कट जाएंगे वो सारे


चच्चा जी के दुलारे, 

पापा जी थे हमारे

चच्चा जी के दुलारे 


धन वैभव नहीं है जीवन

मत उसके पीछे जाओ

गुरु की शरण में जीवन

 मुक्ति उन्हीं सहारे


चच्चा जी के दुलारे, 

पापा जी थे हमारे

चच्चा जी के दुलारे...




आपकी कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻 

Saturday, 28 December 2024

Article : अलविदा, देश के मनमोहन

अलविदा, देश के मनमोहन 



भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी अपनी चिरनिंद्रा में लीन हो गए। वो भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे। 

पर वो ही केवल ऐसे प्रधानमंत्री हुए, जिनके भारतीय मुद्रा पर हस्ताक्षर भी रहे हैं...

मुद्रा पर हस्ताक्षर, पर ऐसे कैसे? 

क्या भारत के प्रधानमंत्री को यह अधिकार है कि उनके हस्ताक्षर भारतीय मुद्रा पर रह सकते हैं? 

और अगर ऐसा है तो, मनमोहन सिंह जी ‌के अलावा किसी और प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर क्यों नहीं है? और अगर ऐसा नहीं है तो उनके कैसे हैं?

क्या इसमें कांग्रेस का कोई हाथ है?

नहीं, बिल्कुल नहीं.. 

बात दरअसल यह है कि श्री मनमोहन सिंह, अपने पूर्ण कार्यकाल में न केवल भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे थे, अपितु और भी बहुत से महत्वपूर्ण स्थान पर भी रहे थे।

आइए जानते हैं, क्यों बेहद मौन रहने वाले श्री मनमोहन सिंह जी, इतने famous थे? 

श्री मनमोहन सिंह जी, अर्थशास्त्र के प्रकांड विद्वान व विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। 

Punjab University से उन्होंने graduation and post graduation की पढ़ाई पूरी की। बाद में वह Cambridge University गए, जहां से उन्होंने PhD की। इसके बाद उन्होंने Oxford University  से D-Phil भी किया। उनकी book India's Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth, भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है। 

डॉ. सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वह Punjab University और बाद में प्रतिष्ठित Delhi school of economics में professor रहे। 

इसी बीच वह संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 और 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ. सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए। इसके बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया।

1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने लगातार पांच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया और वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा। इस समय वह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। मगर संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा भेजा गया था। इसके अलावा रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे। भारत के आर्थिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब, जब वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।

श्री सिंह जी का finance minister बनना, भारत के लिए स्वर्णिम अवसर था, क्योंकि वो बहुत ही सफल अर्थशास्त्री थे। और उन्होंने अपने ज्ञान का सर्वस्व, भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यौछावर कर, देश को समृद्धशाली बना दिया था।  

इसके साथ ही उन्होंने लगातार दो बार सफलतापूर्वक प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है भी संभाला।

अब जवाहरलाल नेहरू जी के बाद, मनमोहन सिंह जी और अब नरेन्द्र मोदी जी हैं, जिन्होंने लगातार प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है। 

जिस बात से आरंभ किया था कि कैसे श्री मनमोहन सिंह जी के हस्ताक्षर थे रुपए(नोट) के ऊपर... तो उसका जवाब यह है कि भारतीय मुद्रा अर्थात् रुपए पर RBI के governor के sign  होते हैं। अतः जितने समय तक मनमोहन सिंह जी RBI के governor थे, उनके हस्ताक्षर, भारतीय मुद्रा पर अंकित होते थे। लेकिन सिर्फ उतनी ही अवधि तक, ना उसके पहले, न‌ ही बाद में...

श्री मनमोहन सिंह जी जैसे महान विचारक, अर्थशास्त्री और भूतपूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।

उनके पार्थिव शरीर को आज अंतिम विदाई दे दी जाएगी...

Wednesday, 25 December 2024

Article: तुलसी पूजन में रखें यह ध्यान

 2014 से भारत में विदधमान बहुत से साधु-संतों ने यह विचार विमर्श किया कि, भारत में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए। अनेकानेक विचार विमर्श के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया कि 25 December को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जाए।

उनका यह निर्णय, सहर्ष स्वीकार कर लिया गया। आपको तुलसी पूजन दिवस  वाले article में यह सब विस्तार से पढ़ने को मिल जाएगा।

तुलसी पूजन में रखें यह ध्यान


आज के article में हम आपको बताने जा रहे हैं, तुलसा जी के पत्ते तोड़ते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए , क्योंकि हम केवल तुलसी पूजन दिवस में ही तुलसी पूजन नहीं करते हैं, अपितु और भी कई अवसर हैं, जिसमें तुलसी पूजन करते हैं। 

फिर चाहे बात तुलसी विवाह की हो, सत्यनारायण कथा की हो, या जन्माष्टमी महोत्सव, जैसे अनेक सभी अवसरों की...

या यूं कहें कि हर बार जब भी, प्रभू श्री हरि का पूजन किया जाता है, तुलसी जी के पत्ते अनिवार्य हैं, क्योंकि बिना तुलसी के पत्ते के पूजन आयोजन पूर्ण नहीं... 

तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आइए देखते हैं, क्या हैं वो...

तुलसी पत्ते तोड़ने से पहले 

  • हमेशा स्नान के बाद ही तुलसी को स्पर्श करना चाहिए।
  • तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले देवी का ध्यान करें और हाथ जोड़कर उनसे पत्तियों को तोड़ने की अनुमति लें। 
  • इसी के साथ कोमल हाथें से पत्ते तोड़ें। 
  • इन बातों का ध्यान रखने पर ही विष्णु जी तुलसी को भोग के रूप में स्वीकार करते हैं।
  • कभी भी सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं, जिससे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  
  • कभी जूठे हाथों से तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। 
  • साथ ही बिना वजह तुलसी के पत्ते न तोड़ें, अन्यथा आपको इसके शुभ परिणाम नहीं मिलते।
  • तुलसी पूजन के दौरान या अन्य दिनों में भी महिलाओं को बाल खोलकर तुलसी की पूजा नहीं करनी चाहिए। बालों को बांधने के बाद ही तुलसी माता की पूजा करें।

जब यह बताया है कि क्या नहीं करना चाहिए, तो यह भी देख लीजिए कि क्या अवश्य करना चाहिए।

तुलसी पूजन में अवश्य करें 

  • तुलसी दिवस के दिन तुलसी पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान तुलसी जी की 11 या फिर 21 परिक्रमा जरूर करें। 
  • मां तुलसी को लाल रंग की चुनरी भी जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से साधक के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  • तुलसी पूजन दिवस पर, देवी के इन नामों का जाप जरूर करें, इससे आर्थिक तंगी दूर होगी।

Tuesday, 24 December 2024

Article : सांता नहीं, संतों की भूमि

आजकल सनातन संस्कृति का पुरजोर समर्थन चल रहा है, जिसके तहत बहुत से मंदिर का पुनरोत्थान या नवीनीकरण किया जा है। अगर इसे देश के नजरिए से देखा जाए तो यह बहुत हद तक सही भी है, क्योंकि भारत की भारतीय संस्कृति सनातन धर्म ही है।

कुछ लोग होंगे जो यह कहेंगे कि पहले भी क्या बुरा था, जब सर्व धर्म समभाव था। 

हमारे देश की संस्कृति, वैसे भी अनेकता में एकता है।

पर कभी आपने सोचा, कैसे भारत की सनातन संस्कृति, अनेकता में एकता के रूप में बदल गई? 

अगर आप पूरा article पढ़ेंगे तो आप को इसमें षड्यंत्र की राजनीति दिखेगी।

सांता नहीं, संतों की भूमि


कभी आपने सोचा, कैसे भारत के मूल नागरिक हिन्दूओं को गौण, और मुसलमानों और ईसाईयों को अल्पसंख्यक का नाम देकर प्रमुख बनाकर, सभी सुविधाएं प्रदान कर दी गई। 

क्यों हज के लिए सब्सिडी और हिन्दू तीर्थ यात्राओं के लिए Tax लगता है।

क्यों मंदिर से हर साल लाखों-करोड़ों रुपए सरकारी खजाने में जमा होता है, जबकि मस्जिदों और मजारों के लिए लाखों-करोड़ों की सहायता मिलती है...

क्यों मदरसों में क़ुरान पढ़ाया जाना, एक शिक्षा नीति के अंतर्गत आता है... पर गीता, रामायण, उपनिषद, ग्रन्थ आदि शिक्षा नीति में शामिल होना ban है?

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम धर्म को ही flourish किया जाता है, बस उनको highlight ज्यादा किया जाता है। 

पर आपको पता है, ईसाई धर्म का प्रचार और प्रसार तो ऐसे किया जाता है, जो सबकी नस-नस में घोल दिया जाता है, पर उसका किसी को एहसास भी नहीं होता है।

हम यह क्यों कह रहे हैं, वो ही लिख रहे हैं, आप भी गौर कीजिएगा और बताइएगा कि किस हद तक सही है?

December का महीना चल रहा है, और यूरोपीय देशों में festivity का माहौल चल रहा है। चलना भी चाहिए, उनका सबसे बड़ा festival Christmas है। 

पर हमारे देश में क्या festival का माहौल नहीं है? क्या हमारे बच्चे Santa Claus का इंतजार नहीं कर रहे हैं? 

कर रहे हैं? उतनी ज्यादा बेसब्री से जितना कि उन्हें दीपावली का इंतजार भी नहीं रहता है...

पता है क्यों?

क्योंकि schools में बच्चों को हर साल समझाया जाता है कि होली, दीपावली में किस-किस तरह से problem होती है, मानो वो festival न हो, बस problems से भरे दिन हों और उन्हें छोड़ देना ही हितकर है।

और वहीं Christmas का celebration, उसके आने के, one week पहले से ही शुरू कर दिया जाता है। 

Schools में ऐसा माहौल create कर दिया जाता है कि मानो वो school, यूरोपीय देशों में पहुंच गया हो।

Schools में class में christmas tree, Santa Claus बनवाएं जाएंगे। White gift service के नाम पर donation लिए जाएंगे। 

किसी-किसी schools में jesus christ का जन्म भी ऐसे किया जाएगा, जैसे बस वही एक ईश्वर हैं। 

बच्चों के मन-मस्तिष्क में Jesus Christ की ईश्वरीय छवि बसा दी जाती है और उनको Christmas और अधिक tempting लगे, इसके लिए Santa Claus का बच्चों को gift देना भी शामिल होता है।

वरना जन्म तो भगवान श्री कृष्ण और प्रभू श्री राम जी का भी किया जा सकता है, पर किसी school में नहीं celebrate किया जाता है।

होली में रंग और पिचकारी और दीपावली पर पटाखे बच्चों के लिए gift ही तो होते हैं, जो Santa Claus के नाम पर secretly नहीं दिए जाते हैं। माता-पिता बच्चों की पसंद से दिलाते हैं। फिर उस gift को हिकारत भरी हुई नजरों से देखना, कहां तक उचित है?..

European countries में शायद आते होंगे कोई Santa Claus, पर India में तो Santa बच्चों के मां-बाप ही बनते हैं। 

पर क्यों? आवश्यकता क्या है? अगर secretly gift देना ही है तो, जन्माष्टमी, रामनवमी, आदि में भी दिया जा सकता है ना?...

एक सच्चाई और है, India में Santa Claus gift देने के लिए नहीं, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने के लिए आते हैं। और एक बात जो बहुत लोगों को नहीं पता होगी। 

Christian religion में चर्च में रहने वाले Father and Nun, tax-free life lead करते हैं। 

तो अगर आप ध्यान दें, तो आप को भी समझ आ जाएगा कि क्यों सनातन संस्कृति को अनेकता में एकता के रूप में बदला गया...

सनातन संस्कृति का महत्व तो विदेशियों को भी समझ आ गया, हम कब समझेंगे?

यह देश संतों का है, सांता का नहीं, अपने बच्चों को सही दिशा निर्देश पर चलाएं और सनातन संस्कृति को बढ़ावा दें। क्योकि सनातन ही सत्य है, चिर है, निरंतर है, मोक्ष है, मुक्ति है।

जय सनातन, जय भारत!

Friday, 20 December 2024

Recipe : दड़पे पोहा

बहुत सी recipes ऐसी होती हैं, जो different cuisine में different style से बनाई जाती हैं, पर वो भी बहुत tasty and healthy होती हैं।

आज आपको भी एक ऐसी ही मराठी या कोंकण recipe share कर रहे हैं, जो बहुत tasty and healthy होती है। 

और वो है पोहा... दड़पे पोहा

पोहा कौन सी नई recipe है? और India में शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां पोहा न बनता हो...

फिर पोहा की recipe, share करने से क्या फ़ायदा?

है जी, बिल्कुल है, क्योंकि यह different style का पोहा है, जो कि बहुत tasty and healthy होने के साथ ही बहुत easily prepare भी हो जाता है। साथ ही इस पोहे में एक और खासियत होती है कि आप इसे चाहे तुरंत serve करें या कुछ घंटों के बाद, यह पूरे समय soft and fresh बना रहता है।

चलिए बताते हैं आपको इसकी recipe...

Dadpe Poha


(A) Ingredients :

  • Flattened rice - 250 gm.
  • Fresh coconut - 50 gm.
  • Coconut water - 1 bowl
  • Onion - 1 medium size
  • Green chilli - as per taste
  • Groundnut - 50 gm
  • Curry leaves - 6 to 8 leaves
  • Coriander leaves - handful of leaves
  • Lime juice - 1 tsp.
  • Mustard seeds - ½ tsp.
  • Mustard oil - 2 tsp.
  • Salt - as per taste
  • Sugar (powdered) - 1 tsp.
  • Turmeric powder - ½ tsp.


(B) Method :

  1. पोहा को एक छन्नी में ले लीजिए।
  2. फिर इसे पानी से धोकर अच्छे से साफ कर लें।  
  3. जब पोहे का पूरा पानी निकल जाए, तो पोहे को bowl में रख दीजिए।
  4. अब इसमें नारियल पानी डालकर अच्छे से mix कर दें और 10 minutes के लिए रख दीजिए।
  5. Fresh coconut को कद्दूकस कर लीजिए।
  6. धनिया पत्ती, हरी मिर्च और प्याज़ को महीन काट लें।
  7. एक दूसरे bowl में घिसा हुआ नारियल, महीन प्याज़, हरी मिर्च और धनिया डालकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  8. नारियल पानी में soak किए गए पोहे को प्याज और धनिया वाले bowl में डाल दीजिए।
  9. अब इसमें नमक, पिसी चीनी और नींबू का रस डालकर मिला दें।
  10. एक ladle लीजिए,  उसमें mustard oil डालकर अच्छे से गर्म कर लीजिए।
  11. गर्म तेल में mustard seeds, curry leaves और हल्दी पाउडर डाल छौंक तैयार कर लीजिए। 
  12. इस छौंक को पोहे पर डालकर mix कर लीजिए।

Your 'nutri-licious' Dadpe Poha is ready to serve. 

 

(C) Tips and Tricks :

  • पोहा पहले पानी से धोकर, पूरा पानी निकल जाने तक रखें।यह step इसलिए जरूरी है, जिससे पोहा अच्छे से साफ हो जाए, उससे dust पूरी तरह से हट जाए।
  • साथ ही, पोहा साफ करने में coconut water waste न हो, coconut water केवल पोहा soft करने के लिए use हो। 
  • पानी अच्छे से निकल जाए, यह भी जरूरी है, जिससे पोहा coconut water को अच्छे से soak कर सके और उसमें coconut water का sweetened taste आए। 
  • पोहा में coconut water mix करने से पहले उसे उंगली की सहायता से अच्छे से toss कर लें, जिससे पोहे खिले-खिले हो जाएं।
  • वैसे अगर आप के पास अधिक मात्रा में coconut water है तो आप सूखे पोहे को साफ कर लें। फिर उसमें coconut water डालकर भी soak कर सकते हैं। 
  • अगर coconut water नहीं है, तो केवल पानी से धोकर भी यह पोहा बनाया जा सकता है, हांँ authentically, coconut water ही use करते हैं।
  • Coconut water डालकर 10 minutes के लिए छोड़ दें। उसमें प्याज, धनिया पत्ती आदि डालने से पहले एक बार पोहा को फिर से toss कर लीजिए। साथ ही check कर लें कि पोहे में proper softness आ जाए।
  • इस तरह से बने पोहे को cook नहीं करते हैं, इसलिए पोहे में proper softness आनी जरूरी होती है। और यही softness इसकी delicacy है, जो इसको पूरे समय एक-सा soft रखती है और बहुत ही स्वादिष्ट बनाती है।
  • आप बिल्कुल भी नहीं घबराइएगा कि बिना cook किए कैसे अच्छा लगेगा? यह बिना cook हुए भी बहुत अच्छा लगता है। एक बार बनकर try ज़रूर कीजिए। एक बार बनाने और खाने के बाद आप भी तारीफ किए बिना नहीं रहेंगे।
  • हमने इसमें, अनार के दाने और आलू भुजिया भी add की है, जो authentically नहीं डाला जाता है। But इससे taste and appearance दोनों ही बहुत अच्छे हो जाते हैं। 
  • हमने fresh grated coconut की जगह tender coconut के छोटे छोटे टुकड़े डाले थे। जो कि पोहे की softness को और enhance कर रहे थे। Authentically fresh grated coconut ही डाला जाता है। 
  • आप अपने स्वादानुसार इसमें नमक, पिसी चीनी, नींबू और मिर्च कम या ज़्यादा कर सकते हैं।
  • अगर आप onion नहीं खाते हैं तो आप इसे avoid कर सकते हैं।
  • अगर आप turmeric powder न डालना चाहें तो उसे छोड़ सकते हैं। Authentically हल्दी पाउडर बिना डाले और डालकर, दोनों तरह के मिलते हैं।

तो एक बार यह पोहा भी बनाकर देखिये, घर पर सब इसके लिए भी demand करने लगेंगे।

Tuesday, 17 December 2024

Recipe : Barule Chaat

शरद ऋतु की ठंडी हवाएं मौसम को बहुत ही रोमानी कर रही है। यह सर्द मौसम और ज्यादा खूबसूरत तब हो जाता है, जब इसका लुत्फ किसी गर्मागर्म yummy and tasty चीज़ के साथ लिया जाए...  

बस इसी बात का ध्यान रखते हुए हम, आज अलीगढ़ के मशहूर बरूले चाट की recipe share कर रहे हैं... 

गर्मागर्म स्वादिष्ट बरूले चाट के साथ ठंड का मज़ा ही आ जाता है, आइए, तो झटपट इसका method देख लेते हैं।

बरूले चाट


(A) Ingredients :

  • Baby potatoes - ½ kg.
  • Rice flour - 1 tbsp.
  • Cornflour - 1 tbsp.
  • Table salt - as per taste 
  • Black salt - as per taste 
  • Kashmiri Lal Mirch - ½ tsp.
  • Chaat Masala - as per taste
  • Coriander leaves - handful of leaves
  • Mint leaves - 5 to 6 leaves
  • Green chilli - as per taste
  • Lemon juice - 2 tsp.
  • Mustard oil - for frying


(B) Method :

  1. Mixer grinder jar में धनिया पत्ती, पुदीना, हरी मिर्च, नमक और नींबू डालकर, हरी चटनी तैयार कर लीजिए।
  2. Baby potato को अच्छे से wash कर लीजिए, जिससे उसकी सारी गंदगी हट जाए।
  3. Baby potato व ¼ tsp salt को pressure cooker में डालकर, इतना पानी डालिए कि आलू आधे डूबे हुए हों, फिर high flame पर 1 whistle लगा लें। 
  4. अब इन आलूओं पर cornflour, rice flour, salt, और कश्मीरी लाल मिर्च डालकर अच्छे से mix कर दें, जिससे आलूओं पर अच्छे से coating हो जाए। 
  5. जब भी आप को serve करना हो, उसके पहले इन आलूओं को हथेलियों से हल्का सा दबा दें, जिससे यह चपटे हो जाएं।
  6. अब इन्हें सरसों के तेल में डालकर, golden brown होने तक deep fry कर लीजिए।

Your Barule Chaat is ready to serve. You can serve it with some black salt, black pepper, chaat masala and green chutney. Enjoy!


(C) Tips and tricks :

  • Baby potato ही लीजिएगा, बड़े आलू लेने से authentic flavour नहीं आएगा। 
  • नमक आप तीन बार डाल रहे हैं, boil करते समय, marinate करते समय, serving के time, और चटनी में भी नमक होगा। तो ध्यान रखिएगा कि नमक balanced रहे। In short, सब में नमक है (जो चाट में मिलेगा), तो सब में नमक ठीक अंदाज से डालिएगा।
  • नये छोटे आलू होने से taste और enhance हो जाएगा।
  • आलूओं के छिलके नहीं छीलने हैं। इस dish का main ingredient छिलके सहित छोटे आलू हैं।
  • याद रखिएगा, आलू हल्के कच्चे ही उबलें, क्योंकि पूरी तरह से वो fry करने में पक जाएंगे। पर अगर वो पहले ही पूरी तरह से गल गए, तो हथेलियों से दबाने में भर्ता हो जाएंगे, साथ ही crispy भी नहीं रहेंगे।
  • हथेलियों से दबाते हुए ध्यान रखिएगा, आलू सिर्फ चपटे करने हैं, उनका भर्ता नहीं बनाना है। आप चाहें तो उनके दो-दो टुकड़े करके भी बना सकते हैं।
  • Authentically, यह सरसों तेल में ही deep fry किये जाते हैं, बाकी आप अपने accordingly जिस भी oil में fry करना चाहें।
  • ठंड के दिनों में बहुत अच्छी मूली मिलती है, आप अपने स्वादानुसार इसमें घिसी हुई मूली भी डाल सकते हैं, यह taste को enhance कर देगी।


तो बरूले चाट का लुत्फ लेते हुए अपनी शाम खुशनुमा बनाएँ।

Monday, 16 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग -7)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3) ,

मजबूर (भाग - 4)  ,

मजबूर (भाग -5) व 

मजबूर (भाग -6) के आगे...

मजबूर (भाग -7)  


विराज उससे पहले कुछ और पूछता या कहता, उससे पहले सविता जी ने उसे वापस जाने को कह दिया...  

फिर अपनी बेटी पर गुस्साते हुए बोली, इसे सिवाय आलस के कुछ और पता भी है।

यह क्या बताएगी कि क्या कहां रखा है, जब इसे अपने mobile का भी होश नहीं है, जिस पर वरुण ने चार घंटे पहले ही सब कुछ whatsapp कर दिया था।

लीजिए पढ़िए, मुकेश जी को फोन पकड़ाते हुए कहा...

वरुण ने लिखा था, सासू मां और ससुर जी आपको लाखों करोड़ों धन्यवाद कि आपने ने मुझे 50 करोड़ रुपए दे दिए। यह उतने ही रुपए हैं, जो आपने राजकुमार के नाम किए थे। 

मैं सिर्फ उतने रूपए लेकर ही अपने बेटे के साथ इस देश को छोड़ रहा हूं।

मैं मजबूर था, अपने ही बेटे की kidnapping के लिए, मैं मजबूर हो चुका था, आपकी बिगड़ैल और बद् दिमाग बेटी के साथ रहकर...

वरना शादी से पहले मैं भी सफल business man था, पर आपकी बेटी ने कभी मेरी कीमत नहीं समझी और मुझे बर्बाद करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी।

मेरी तो छोड़िए कभी अपने बेटे की कीमत भी उसने नहीं समझी...

मैंने उससे निभाने की बहुत कोशिश की, सोचा शायद वो मां बनकर सुधर जाएगी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, यह आप लोग भी जानते हैं।

मैंने बहुत मजबूर होकर, यह कदम उठाया है। मैं आपका गुनहगार हूं, आप चाहें तो मुझे जेल करवा सकते हैं या मुझे मेरे बेटे के साथ सुखी रहने दे सकते हैं।

मैं आपसे वादा करता हूं कि जितना जल्दी हो सकेगा, मैं आपके 50 करोड़ रुपए भी वापिस कर दूंगा। और आप भी जानते हैं कि मैं काबिल हूं, सक्षम हूं, यह जल्दी कर दूंगा।

आशा है आप मुझे माफ़ कर देंगे। मेरे लिए नहीं तो राजकुमार के लिए माफ़ कर दीजियेगा। क्योंकि उसे उज्जवल भविष्य जीने का अधिकार है, जो आपकी बेटी के संग संभव नहीं है।

सब कुछ पढ़ने के बाद मुकेश जी और सविता ने सिर झुका लिया, क्योंकि जो कुछ लिखा था, पूर्णतः सत्य ही तो था...

उन्होंने वरुण को जवाब दे दिया कि तुम उन रुपयों को हमेशा के लिए अपने पास रख लो। उस पर राजकुमार का पूरा हक है, उसे अच्छा लालन-पालन देना और हो सके तो कभी-कभी हम से मिलवाने ले आना। उसे यही बताना कि उसके नाना और नानी बहुत अच्छे हैं, उसे बहुत प्यार करते हैं। 

हम लोगों को तुम लोगों का इंतजार रहेगा। हम समझ रहे हैं कि तुम कितने मजबूर हो गए थे, ऐसा कदम उठाने के लिए, हमने तुम्हें माफ़ किया।

सब दुखी थे, वरुण और राजकुमार के जाने के बाद, सिवाय अंकिता के... उसे न उन लोगों के जाने का दुःख था, न पैसों के जाने का... बल्कि वो तो खुश थी कि वरुण ने अपनी मजबूरी बता कर उसे आज़ाद कर दिया था। क्योंकि वो हमेशा के लिए मुक्त हो गई थी, अपनी जिंदगी, सिर्फ अपने लिए जीने को। वो खुश थी क्योंकि वो मजबूर थी, ऐसे ही जीने के लिए...

Sunday, 15 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-6)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3) ,

मजबूर (भाग - 4)  व

मजबूर (भाग -5) के आगे..

मजबूर (भाग-6)



एक काम करो, तुम सब एक साथ रहो, मैं जल्दी से जल्दी रुपये-पैसों का इंतजाम करता हूं। फिर राजकुमार को वापिस ले आएंगे। 

मुकेश जी के लिए 50 करोड़ का arrangement करना, कोई बहुत कठिन काम नहीं था, हां amount बड़ा था, तो एक बार ठीक से मंथन करना जरूरी था। 

मुकेश जी एक घंटे में ही रुपयों से भरे हुए 2 बड़े-बड़े suitcases लेंआए।

उन रुपयों को देखकर वरुण के निश्चेष्ट शरीर में जैसे जान आ गई हो। खुशी से उसकी आंखें छलक आईं। उसने मुकेश जी को करोड़ों-करोड़ बार धन्यवाद दिया और कहा, आप मेरे लिए ईश्वर के फरिश्ते के समतुल्य हैं। आज मुझे मेरी जिंदगी वापस मिल जाएगी। वरुण रुपयों से भरे हुए suitcases लें गया। 

जब बहुत देर तक न वरुण और न राजकुमार लौटे और न कोई ख़बर मिली, यहां तक कि वरुण का फोन भी  out of reach जा रहा था। तो मुकेश जी का माथा ठनका, आखिर क्या वजह रही? कहीं वरुण, किसी problem में तो नहीं है? 

उन्होंने बहुत ही famous detective विराज को call और सारा केस समझाया। 

विराज ने घर आकर, सबसे पहले रमेश से पूछताछ की, कि आखिर उस दिन हुआ क्या था?

सब सुनकर, विराज को बड़ी हैरानी हुई, उसका दिमाग बहुत तेज़ी से चलने लगा... कि रमेश, राजकुमार से मात्र दस कदम की दूरी पर था, फिर भी राजकुमार को जब कोई kidnap कर रहा था, तो उस‌ समय बच्चे का शोर रमेश को सुनाई क्यों नहीं दिया?

साथ ही जब बच्चा, kidnap हो रहा था तो उस‌ समय आस-पास किसी को भी कुछ ग़लत हो रहा है, इसका एहसास क्यों नहीं हुआ। क्या बच्चे ने उस kidnapper के साथ जाने में कोई विरोध नहीं किया?...

ऐसा कैसे हो सकता है?... 

विराज ने, मुकेश जी से पूछा कि आप की बेटी और दामाद के आपसी relation कैसे हैं? 

जी... इस बात से क्या मतलब है आपका? अंकिता गुस्से से चिल्लाई...

बहुत गहरा मतलब है, आप बताइए मुझे, क्योंकि अब इस case को यही बात सुलझाएगी... साथ ही यह भी check कीजिए कि आप के पति और बेटे का passport घर पर है या नहीं? 

अंकिता बोली, मुझे नहीं पता कि वरुण का passport कहां रहता है और न मैं यह जानती हूं कि राजकुमार का passport बना है कि नहीं?...

विराज उससे पहले कुछ और पूछता या कहता, उससे पहले सविता जी ने उसे वापस जाने को कह दिया... 

आगे पढ़े मजबूर (भाग -7) में 

Saturday, 14 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-5)

मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2) ,

मजबूर (भाग-3)  व

मजबूर (भाग - 4)  के आगे 

मजबूर (भाग-5)



रमेश, राजकुमार के खो जाने से पहले से ही परेशान था, फिर वरुण के सवालों की झड़ी से अंदर तक कांप उठा। 

वो सोचने लगा, वरुण साहब जो इतना शांत रहते है, जब उसने सवालों की झड़ी लगा दी है।

तब अंकिता madam तो उसका क्या ही हाल करेंगी? 

और और... मुकेश साहब, और सविता मालकिन जिनका राजकुमार एकलौता और बेहद लाडला नाती है... वो तो उसे lockup में भेजने से बिल्कुल नहीं चूकेंगे...

रमेश को थर-थर कांपते और सोच में पड़े देखकर, वरुण ने उसे झकझोरा और फिर से राजकुमार के विषय में पूछा...

नहीं साहब, मुझे नहीं पता, राजकुमार बाबा कहां हैं? मैं तो पास के आइसक्रीम पार्लर से बाबा के‌ लिए आइसक्रीम लेने गया था। 

बस उतनी ही देर में बाबा, ग़ायब हो गए... यह कहते-कहते रमेश की आंखों से गंगा-जमुना बह निकली...

चलो, फिर घर... अब तो यह पुलिस केस है, वही निपटेगी तुम से...

नहीं साहब, पुलिस को मत देना, मैं बाबा को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था। न जाने कैसे हो गया?

रमेश और वरुण घर पहुंच गए और उन्होंने अंकिता और उसके पापा-मम्मी को राजकुमार के खो जाने की बात कही...

यूं तो अंकिता को राजकुमार से कोई बहुत लगाव नहीं था, पर उसके खो जाने से वो विह्वल हो गई और फूट-फूटकर रोने लगी...

जब तक मुकेश और सविता पहुंचे, तब तक में वरुण और अंकिता का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था।

राजकुमार को याद कर-कर के, वरुण तो दो-तीन बार बेहोश भी हो चुका था।

मुकेश जी को आया देखकर वो उनके पैरों पर गिर पड़ा, पापा मेरे बेटे को बचा लीजिए...

बचा लीजिए का मतलब..? क्या कुछ पता चला है उसका..? कौन उसे मारना चाहता है?

पापा, अभी-अभी kidnappers का फोन आया था, पूरे पचास करोड़ रुपए मांग रहे हैं।

आप तो जानते हैं कि मेरे पास आपकी बेटी से शादी करने के पश्चात् अब उतना नहीं रहता, फिर अभी business भी थोड़ा मंदा ही चल रहा है।

मैं कहां से लाऊंगा इतना..? 

बहुत मजबूर हो चला हूं, अपने जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूं..

अभी आप दे दीजिए, फिर मैं धीरे-धीरे सब लौटा दूंगा..

50 करोड़... दो मिनट के लिए, मुकेश जी भी सोच में पड़ गए...

पापा, आप क्या सोच रहे हैं? वैसे भी इस कंगले से मुझे कोई उम्मीद नहीं है। दे दीजिए 50 करोड़ रुपए और छुड़वा लीजिए, हम सब के कलेजे के टुकड़े को...

हां, मुकेश जी, हमारे कौन 10-15 नाती-पोते हैं? जो कुछ है, बस यही तो है। कुछ मत सोचिए, बस राजकुमार को बचा लीजिए।

वो नन्ही-सी जान, अभी चार साल का ही तो है, रो-रो कर परेशान हो गया होगा।

हम्म... मुकेश जी ने चुप्पी तोड़ी, हां सविता तुम ठीक कहती हो, वैसे भी जो कुछ है, वो अंकिता और राजकुमार का ही है...

एक काम करो, तुम सब एक साथ रहो, मैं जल्दी से जल्दी रुपये-पैसों का इंतजाम करता हूं। फिर राजकुमार को वापिस ले आएंगे। 

आगे पढ़ें, मजबूर (भाग-6) में

Friday, 13 December 2024

Article : The Gukesh or D Gukesh

कल फिर भारत का मान‌ बढ़ा, उसको विश्व विजयी बनने का सम्मान मिला... 

और इस सम्मान को दिलाया है भारत के एक युवा खिलाड़ी ने...

जी हां आपने बिल्कुल सही समझा है, हम शतरंज की ही बात कर रहे हैं... और वो युवा खिलाड़ी हैं 18 वर्षीय गुकेश डी... Chess में world champion बनने के साथ ही गुकेश ने‌ सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का इतिहास भी रचा है।

18 साल के गुकेश डी ने चीन के डिंग लिरेन को हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।  

आइए जानते हैं कि कैसा रहा खेल और कौन है गुकेश डी...

The Gukesh or D Gukesh

2024 की chess का FIDE Candidates चल रहा था, जिसमें 8 top players खेल रहे थे। जिसमें भारत के दो युवा खिलाड़ी, Gukesh D और R. Praggnanadhaa भी शामिल थे।

खेल अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा था और अंत में गुकेश डी final opponent बने।

इस game के लिए दो खिलाड़ी थे, एक title defender Chinese player Ding Liren और दूसरा भारत का युवा खिलाड़ी Gukesh D...

Game में जिसके भी पहले 7.5 points बनते, वो विश्व विजयी बन जाता...

मुकाबला एकदम टक्कर का चल रहा था, कभी चीन का डिंग लिरेन जीतता, तो कभी भारत का खिलाड़ी गुकेश डी, तो कभी match draw हो जाता।

हर match निर्णायक था, हर पल चुनौती से भरा हुआ, कहीं कोई नहीं था जो यह पहले से भविष्यवाणी कर दे कि कौन जीतेगा...

भारतीय Grandmaster Gukesh D. ने गुरुवार को विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। 

6.5 अंकों के साथ 14वें खेल की शुरुआत हुई थी। अंतिम मैच भी draw की तरफ बढ़ता दिख रहा था कि तभी डिंग की एक गलती उनके लिए भारी पड़ गई और गुकेश को जीत दिला गई। जीत के साथ गुकेश के 7.5 अंक हो गए, और उन्होंने यह मुकाबला 7.5-6-5 से जीत कर विश्व खिताब जीता। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है।

 

1) गुकेश ने रचा इतिहास :

गुकेश ने 18 साल 8 महीने 14 दिन की उम्र में यह खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 22 वर्ष 6 महीने 27 दिन की उम्र में खिताब जीता था। गुकेश से पहले भारत के विश्वनाथन आनंद (2000-2002 और 2007-2012) विश्व शतरंज चैंपियन रहे। गुकेश के लिए यह पूरा साल बहुत शानदार रहा है। इस साल वे कई और खिताब जीत चुके हैं, जिनमें Candidates 2024 tournament और शतरंज Olympiad शामिल है, जिसमें उन्होंने gold medal जीता था। 

गुकेश ने चीनी खिलाड़ी को 14वें game में हराकर यह title जीता। सिंगापुर में 25 नवंबर को championship का final game शुरू हुआ था, 11 दिसंबर तक दोनों के बीच 13 games खेले गए। Score यहां 6.5-6.5 से बराबर था। गुकेश ने कल 14वां game जीता और एक point की बढ़त लेकर स्कोर 7.5-6.5 कर दिया।


2) विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय खिलाड़ी :

जैसा कि आप सभी जानते हैं, गुकेश chess के वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले भारत के दूसरे player है । 2012 तक विश्वनाथन आनंद chess champion बने रहे थे। गुकेश ने 17 साल की उम्र में FIDE candidates chess tournament भी जीता था। तब वह इस खिताब को जीतने वाले भी सबसे युवा player बन गए थे।  


3) पिछले कुछ सालों के world champion player :

हम यहां विश्व विजयी भारतीय शतरंज खिलाड़ी से ‌लेकर पुनः भारतीय खिलाड़ी के विजेता तक का सफ़र बता रहे हैं। 2007 से 2012 तक world championship पर भारतीय खिलाड़ी ‌ विश्वनाथन आनंद का दबदबा कायम था, उसके बाद नार्वे के मेगनस कार्लसन ने 2013 से 2022 तक उस पर अपना नाम लिख दिया। उसके बाद 2023 में चीन के खिलाड़ी डिंग लिरेन ने इस खिताब को जीता था। और अब यह खिताब, पुनः भारत की शान बन गया है, गुकेश डी के विजेता बनने के साथ...


4) 138 साल का इतिहास :

138 साल के इतिहास में पहली बार 2 एशियाई खिलाड़ी हुए आमने-सामने। International chess federation  (FIDE) के 138 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एशिया के 2 खिलाड़ी world champion के खिताब के लिए आमने-सामने थे। चैंपियन बनने वाले गुकेश को, 11.45 करोड़ रुपए (1.35 मिलियन US dollar) मिलेंगे। 


5) कौन हैं डी गुकेश?

​​​​​गुकेश डी का पूरा नाम गुकेश डोम्माराजू है। वह चेन्नई के रहने वाले हैं। गुकेश का जन्म चेन्नई में 7 मई 2006 को हुआ था। उन्होंने 7 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें शुरू में भास्कर नागैया ने coaching दी थी।

नागैया International chess player रहे हैं और चेन्नई में chess के home tutor हैं। इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को खेल की जानकारी देने के साथ coaching दी। गुकेश के पिता doctor हैं और मां microbiologist हैं। 

10 से 23 सितंबर को इसी साल Budapest में Chess Olympiad का आयोजन हुआ था। भारत open and women's दोनों category में champion बना था। Open category में गुकेश ने ही final game जीतकर भारत को जीत दिलाई थी। उन्हें open category में gold medal भी मिला था। 

भारत को विश्व विजयी बनाने के लिए गुकेश डी को हम सभी की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर से कामना है कि भारत इसी तरह से वर्षों वर्ष विश्व विजयी बना रहे और सब ओर उसकी यश-कीर्ति विद्यमान रहे... 🙏🏻

Thursday, 12 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-4)

 मजबूर (भाग-1) ,

मजबूर (भाग-2)  व

मजबूर (भाग-3) के आगे 

मजबूर (भाग-4)



वो दिनभर आराम करती और अपने पापा के भेजे हुए रुपए-पैसों से मज़े करती...  

रुण ने बहुत प्यार से अपने बेटे का नाम राजकुमार रखा। यह नाम अंकिता को भी बहुत अच्छा लगा, क्योंकि वो तो अपने आपको राजकुमारी और रानी से कम समझती नहीं थी।

तो बस बहुत धूमधाम के साथ बेटे का नाम राजकुमार रखा दिया गया।

जैसे जैसे राजकुमार बड़ा हो रहा था, वरुण की कमजोरी बनता जा रहा था।

जो वरुण अंकिता की फिजूलखर्ची पर चिढ़ जाया करता था, वही अंकिता का राजकुमार के लिए किए गए फिजूलखर्ची पर कुछ न बोलता था। बल्कि उसके लिए आए सामान को बड़े प्यार से निहारता है और सराहना भी करता था।

उसके इस रूप को देखकर अंकिता भी एक पल को उस पर रीझ जाया करती थी। 

वरुण घर आने के बाद, एक पल को भी राजकुमार को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देता था।

यहां तक कि hide and seek खेलने में भी पांच मिनट से भी ज्यादा समय लगने पर वो बैचेन हो उठता था।

एक दिन जब वो आफिस से लौटा तो राजकुमार पार्क में जाने के लिए मचल रहा था। 

वरुण को एक बहुत important assignment बनाना था, पर राजकुमार ज़िद्द किए जा रहा था।

आखिरकार मजबूर होकर, उसने अंकिता के एक servant के साथ उसे‌ यह कहकर पार्क भेज दिया कि वो 15 minutes में पार्क पहुंच जाएगा।

राजकुमार के पार्क पहुंचने के ठीक 15 minutes बाद वरुण भी पार्क पहुंच गया।

पर वो देखता क्या है, रमेश इधर-उधर कुछ ढूंढ रहा है और राजकुमार उसके साथ नहीं है।  

वरुण ने रमेश से एक साथ बहुत से सवाल कर डाले, राजकुमार कहां है? वो तुम्हारे साथ क्यों नहीं है? उसे तुमने अकेला क्यों छोड़ा? तुम्हें अंकिता के लिए उसके पापा ने लगवाया था, इसलिए मैंने तुम पर कितना भरोसा करके राजकुमार को तुम्हारे साथ भेजा था...

रमेश, राजकुमार के खो जाने से पहले से ही परेशान था, फिर वरुण के सवालों की झड़ी से अंदर तक कांप उठा।

आगे पढ़े, मजबूर (भाग-5) में...

Wednesday, 11 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-3)

मजबूर (भाग-1)

मजबूर (भाग-2) के आगे 

मजबूर (भाग -3)



अंकिता के यूं चले जाने से वरुण को यह एहसास होने लगा कि एक ग़लत फैसला, इंसान को कितना अपमानित और मजबूर बना देता है।

एक सुबह, वरुण को फोन आता है कि वो एक ख़ूबसूरत से बच्चे का पिता बन गया है।

यह सुनते ही वरुण बच्चे से मिलने, उसे देखने के लिए बैचेन हो उठता है।

आनन-फानन वो अपनी ससुराल की ओर दौड़ जाता है।

वहां मुकेश जी और सविता दोनों ही उसका विशेष रूप से आतिथ्य सत्कार करते हैं। फिर वो बताते हैं कि उसका बेटा थोड़ा serious condition में है। उसे incubator पर रखा गया है। साथ ही उसे blood requirements भी होगी।

वरुण तुरंत hospital पहुंचता है और doctor से अपने बेटे से मिलने देने की request करता है।

जब वो अपने बेटे को देखते हैं तो देखता रह जाता है, उसका बेटा, हुबहू उसकी photo copy था। वही चेहरा-मोहरा वही रंग-रूप...

साथ ही उसे पता चलता है कि बच्चे का blood group भी उसी से मिलता है AB negative (AB-), जो कि rare blood group होता है।

उसने doctor को बोला कि तुरंत से बच्चे का treatment शुरू कर दें, वो अपना खून देने को तैयार है। 

सारे treatment start हो गये और दो दिन में ही बच्चा normal condition में आ गया और अंकिता को दे दिया गया।

Coming week में discharge हो गया था, पर अंकिता अब वापस वरुण के पास नहीं जाना चाहती थी।

पर उसकी मां सविता जी ने कहा, वरुण का भी उस बच्चे पर पूरा अधिकार है, वैसे भी बच्चा, उसके खून दिए बिना शायद ही बचता। 

मुकेश जी ने भी अंकिता को अपने घर लौट जाने को कहा, साथ ही आश्वासित भी किया कि अंकिता और बच्चे दोनों के ख़र्च के लिए वो रुपए-पैसे भेजते रहेंगे। अनमने मन से अंकिता लौट आई।

वरुण अपने बेटे पर जान छिड़कता था। जब भी वो घर पर रहता, अपना पूरा समय अपने बेटे की देखरेख में व्यतीत कर देता।

अंकिता, उसके इस तरह से बेटे के लिए प्यार देखकर मन ही मन हर्षित होती, क्योंकि इस कारण से उसे बच्चे का कोई भी काम नहीं करना पड़ता था।

वो दिनभर आराम करती और अपने पापा के भेजे हुए रुपए-पैसों से मज़े करती...

आगे पढ़े, मजबूर (भाग-4) में...

Tuesday, 10 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-2)

मजबूर (भाग-1) के आगे…

मजबूर (भाग-2)


शादी बहुत धूमधाम से हुई, एक-एक मेहमान की विशेष खातिरदारी की गई, पूरे शहर में वरुण की शादी की चर्चा हो रही थी। पर अंकिता के पिता, मुकेश जी ने जितना भी जो कुछ दिया, सब आरती और उसके होने वाले बच्चों के नाम पर दिया। 

वरुण को मिला बहुत कुछ, पर सब अप्रत्यक्ष रूप में... जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

खैर करता भी क्या? अंकिता का चुनाव, उसकी ख़ुद की choice थी। 

कुछ ही दिनों में अपने ग़लत चुनाव का खामियाजा, वरुण ने भुगतना शुरू कर दिया...

अंकिता के अक्खड़ और ज़िद्दी स्वभाव के कारण दोनों में आए दिन तू-तू मैं-मैं होती, साथ ही उसका अत्यधिक खर्चीला होना वरुण को बहुत ज़्यादा irritate करता था। 

अंकिता, जब कभी भी shopping करने जाती, 1-2 लाख से लेकर लाखों-करोड़ तक खर्च कर डालती और वो भी बेकार और बेमतलब की चीजों पर...

वरुण कुछ कहता, तो अंकिता हमेशा यही कहती, जब औकात नहीं थी, तो शादी क्या सोचकर करने आए थे? 

वैसे तुम्हारी self ego, जिस दिन दम तोड़ दे, बता देना, तुम्हें अपने पापा के पास ले चलूंगी, वो तुम्हारे जैसे बहुत से कड़कों का ख़र्च वहन कर सकते हैं।

जाने क्यों, मैं तुम्हारी smartness पर फ़िदा हो गई थी, मुझे समझना चाहिए कि दो कौड़ी का इंसान, ज्यादा दिन तक मुझे खुश नहीं रख सकेगा।

तो एक तरह से देखा जाए तो, हर तरह से 19 अंकिता, सिर्फ पैसे के ज़ोर पर वरुण पर 21 हो जाती थी। और आए दिन उसका अपमान करने से बाज नहीं आती है।

तो जैसा भी शादी के पहले वरुण ने सोचा था, सब उसके विपरीत होने लगा। न तो उसे पैसे मिले न ही मन की शांति..

आए दिन की तू-तू मैं-मैं और irritation से वरुण के business पर भी effect पड़ने लगा।

उन्हीं दिनों न जाने कौन से क्षण का वरुण को फल मिला था कि अंकिता pregnant हो गई...

अब तो अंकिता के नखरे इस हद तक बढ़ गये कि मुकेश जी खुद उसे अपने साथ, यह कहके ले गए कि अब तो अंकिता delivery के बाद ही आएगी।

अंकिता, वरुण को यह सख़्त हिदायत दे कर गई कि, बच्चा होने तक वो उसके पास बिल्कुल भी न फटके, वो नहीं चाहती कि उसके यह pamper वाले दिन, एक कंगले इंसान को देखते हुए बीते...

अंकिता के यूं चले जाने से वरुण को यह एहसास होने लगा कि एक ग़लत फैसला, इंसान को कितना अपमानित और मजबूर बना देता है।

आगे पढ़े, मजबूर (भाग -3) में...

Monday, 9 December 2024

Story of Life : मजबूर (भाग-1)

 मजबूर (भाग-1)

वरुण, successful business man था। वो जितना अमीर था, उतना ही sharp, intelligent and smart भी था। दूसरे शब्दों में कहें तो most eligible bachelor...

उसके लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते आ रहे थे। बहुत सोच-विचार कर उसने अंकिता को अपने जीवन साथी के रूप में पसंद किया। 

हालांकि अंकिता, देखने-सुनने में उससे 19 ही थी, मतलब वो साधारण से नैन-नक्श वाली सांवरी सी लड़की थी, पढ़ाई-लिखाई में भी average थी, साथ ही नकचढ़ी, ज़िद्दी और गुस्सैल स्वभाव की भी थी, पर वो दुनिया में सबसे अमीर इंसान की एकलौती बेटी थी।

तो बस, जैसा कि बहुत से लोगों को लगता है कि सबसे बड़ा रुपैया, वही वरुण की सोच थी। उसने सोचा रंग-रूप तो चार दिन की चांदनी है, उसकी पढ़ाई-लिखाई से मुझे कुछ करना नहीं है और अंकिता के खराब स्वभाव से उसका ज्यादा सामना होना नहीं है, क्योंकि वो,अपने business में इतना अधिक busy रहता है कि उसके पास किसी के लिए भी ज्यादा समय नहीं होता है।

फिर अंकिता भी successful business man की बेटी है तो उसे यह एहसास होगा कि successful लोगों के पास ज्यादा समय नहीं होता है।

फिर, अमीर पिता अपनी बेटी को खूब भर-भरकर रुपया पैसा, धन-धान्य, कपड़े गहने इत्यादि देंगे तो उसके पास पैसों की बहुत अधिक बढ़ोत्तरी हो जाएगी, जो उसको भविष्य में और अधिक सुदृढ़ और सफल बनाएगा।

शादी बहुत धूमधाम से हुई, एक-एक मेहमान की विशेष खातिरदारी की गई, पूरे शहर में वरुण की शादी की चर्चा हो रही थी। पर अंकिता के पिता, मुकेश जी ने जितना भी जो कुछ दिया, सब आरती और उसके होने वाले बच्चों के नाम पर दिया।

आगे पढ़े मजबूर (भाग -2) में....