Wednesday, 29 January 2025

India's Heritage : अमृत स्नान - मौनी अमावस्या

महाकुंभ महोत्सव अपने चरम पर है। फिर चाहे वहां हो रहे विभिन्न क्रियाकलापों की बात हो, वहां इकट्ठा भीड़ की बात हो, वहां हो रहे लोगों के लाभ की बात हो या आने वाले अमृत स्नान की बात हो... 

प्रयागराज अपने अलग ही स्वरूप में नजर आ रहा है। 

चलिए, जब बात चल ही रही है, तो आपको आज के दूसरे स्नान के विषय में सम्पूर्ण जानकारी दे देते हैं। 

अमृत स्नान - मौनी अमावस्या 


कब होगा दूसरा स्नान? क्या है स्नान के शुभ मुहूर्त? मौनी अमावस्या में मौन रहने का कारण? क्या खासियत है इस दिन डुबकी लगाने में? क्या हैं मौनी अमावस्या व्रत के नियम?


1) महाकुंभ 2025 - दूसरा शाही स्नान :

महाकुंभ 2025 का दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या के दिन होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:35 बजे शुरू होकर 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से स्नान 29 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन संगम पर भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। आपको बता दें कि इसके बाद तीसरा शाही स्नान 3 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा।


2) स्नान-दान का शुभ मुहूर्त :

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान का बेहद महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। ऐसे में इस दौरान स्नान और दान को बेहद शुभ माना गया है। अगर इस समय में स्नान नहीं कर पाएं, तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी स्नान और दान कर सकते हैं।


3) मौन रखने का कारण :

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। साधक इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं, जो मुख्यतः आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों के द्वारा भी किया जाता है, क्योंकि मौन रहकर मन को नियंत्रित करना और ध्यान में एकाग्रता लाना सरल हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके माध्यम से वाणी की शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह व्रत आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने का एक सशक्त माध्यम है। 

और साधु-संत लोग की महान उपलब्धि होती है, वाणी की शुद्धता, आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने, तथा उनकी साधना तब पूर्ण समझी जाती है, जब मोक्ष की प्राप्ति संभव हो। तो बस यह व्रत एक सशक्त माध्यम है, उसी महान उपलब्धि का...


4) डुबकी लगाना क्यों खास :

मौनी अमावस्या का दिन खास इसलिए है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पितृ धरती पर आते हैं। अगर इस दिन संगम में स्नान के साथ पितरों का तर्पण और दान किया जाए, तो उनकी आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष मिलता है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। सिर्फ पितरों के लिए ही नहीं, मौनी अमावस्या का स्नान हर व्यक्ति के लिए खास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। यह दिन आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 


मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा, और इसी दिन महाकुंभ मेले में दूसरा अमृत स्नान भी होगा। धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है। प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को इनमें सबसे खास माना गया है। इस दिन मौन रहकर व्रत करने की परंपरा है। इसे जप, तप और साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।


5) मौनी अमावस्या व्रत के नियम :

  • इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करना आवश्यक है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो पवित्र नदी के जल से स्नान करने का प्रयास करें।
  • पूरे दिन मौन रहकर ध्यान और जप करें।
  • व्रत के दौरान किसी प्रकार का बोलना वर्जित है। तिथि समाप्त होने के बाद व्रत पूर्ण करें।
  • व्रत खोलने से पहले भगवान राम या अन्य इष्ट देव का नाम अवश्य लें।

तो अब आपको पता चल गया होगा कि मौनी अमावस्या क्यों इतनी विशेष होती है और क्यों मौनी अमावस्या पर किए जाने वाला अमृत स्नान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

Tuesday, 28 January 2025

Recipe : Maharashtrian Palak Dal Bhaji

शरद ऋतु चल रही है, और इस ऋतु में सब्जियों की बहार होती है।

उनसे बनने वाली dishes जितनी tasty होती हैं, उतनी ही healthy भी...

तो आज एक ऐसी ही मराठी recipe share कर रहे हैं, जो healthy होने के साथ ही tasty भी होती है।

और for a change, एक अच्छा option भी है... इसका मराठी नाम, 'पालकाची पातळ भाजी' है, means पालक की दाल भाजी...

महाराष्ट्रीयन पालक दाल भाजी




I. Ingredients :

  • Spinach leaves - 250 grams
  • Gram pulses - handful
  • Ground nut - handful 
  • Jaggery -  1" (cubic)
  • Buttermilk - 1 cup
  • Gram flour - 1 tbsp.
  • Clarified butter (ghee) - 2 tbsp.
  • Green chilli - 2 or as per taste 
  • Garlic cloves - 4 to 6
  • Ginger - 1"
  • Cumin seeds - 1 tsp.
  • Asafoetida - ½ tsp.
  • Turmeric powder - ½ tsp.
  • Salt - as per taste 


II. Method :

  1. चना दाल और मूंगफली को 3 to 4 hours के लिए भिगो दें।
  2. पालक को लम्बा-लम्बा महीन काट लें। 
  3. छाछ में बेसन मिलाकर अच्छे से mix कर लीजिए।
  4. Pressure cooker में पालक, चना दाल, मूंगफली, नमक, हल्दी, 1 cup पानी डालकर 2 high flame पर, और 1 slow flame पर whistle लगा लीजिए।
  5. जब cooker का pressure down हो जाए, तो उसमें छाछ-बेसन का घोल डालकर अच्छे से mix करके 2 boil आने तक पका लीजिए। 
  6. अब इसमें गुड़ का ढेला डालकर गलने तक मिला दीजिए।
  7. अदरक-लहसुन और हरी मिर्च को कूट लें। 
  8. एक wok में घी डालकर गर्म कीजिए।
  9. अब इसमें हींग और जीरा डालकर चटकाएं।
  10. फिर इसमें अदरक-लहसुन, हरी मिर्च का paste डालकर भून लें। 
  11. तैयार छौंक को पालक दाल भाजी में डाल दीजिए।

गर्मागर्म पालक दाल भाजी को चावल के साथ enjoy कीजिए।


III. Tips and tricks :

  • चने की दाल और मूंगफली को भिगोकर रखें, इससे यह जल्दी गल जाते हैं।
  • इस recipe में चने की दाल थोड़ी खड़ी रखी जाती है, पर अगर आप को चने की ठीक से गली हुई दाल पसंद है तो slow flame पर 2 to 3 whistle लगा लीजिएगा।
  • Maharashtrian cuisine की recipe है, इसलिए इसमें मूंगफली, छाछ और गुड़ डाला जाता है, अगर आप को कोई खास ingredients न पसंद हो तो discard कर सकते हैं। वैसे authentic flavour, यह सब डालकर ही आएगा।
  • अगर आप लहसुन नहीं खाते हैं तो उसे avoid कर सकते हैं।
  • आप अपने taste के according मिर्च घटा-बढ़ा सकते हैं, चाहे तो हटा भी सकते हैं। 
  • हमारे यहां कुछ लोग तीखा नहीं खाते हैं, इसलिए हमने हरी मिर्च‌ नहीं कूटी थी, बल्कि boil करते समय डाली थी।
  • Boiled हरी मिर्च को serve करते समय केवल उन servings में mash करके डाल दें, जिन्हें तीखा पसंद है।
  • इसमें किसी भी तरह के dry मसाले नहीं पड़ते हैं, सारा flavour fresh ingredients से आता है, जो इसको बहुत ही unique taste देता है। एक बार जरूर से बना कर खाएं...

Sunday, 26 January 2025

Poem : ऐ देश, तेरे सम्मान में हम

ऐ देश, तेरे सम्मान में हम


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

नित-नित शीश झुकाते हैं।


है गंगा, जमुना, सरस्वती यहाँ,

गोदावरी, नर्मदा, कावेरी यहाँ।

इन नदियों के पावन जल का,

सानिध्य हमेशा पाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,  

नित-नित शीश झुकाते हैं।


हिमराज हिमालय का साया,

रोके रिपु की काली छाया।

कल-कल बहता सागर का जल,

सुख-संपदा हमें दिलाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।


राम और कृष्ण की जन्मस्थली,

संस्कारों से अभिसिंचित है।

इसलिए ही हम भारतवासी, 

स्वतः संस्कारी हो जाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।


वीर शिवाजी, झांसी की रानी, 

अमर स्वतंत्रता के सेनानी। 

इनके शौर्य की कथा सुनकर,

ओज से हम भर जाते हैं।। 


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम, 

नित-नित शीश झुकाते हैं।


अध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान, 

भारत का सबमें सर्वोच्च स्थान। 

यह सोच-सोच, हम भारतवासी,

गौरवान्वित हो जाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।


हर क्षण प्रयत्न हमारा यही रहे,

विश्व विजयी भारत बने।

गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर,

हम प्रण यही उठाते हैं। 


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।।


🇮🇳 आप सभी को 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳

Friday, 24 January 2025

Poem: सेल - एक राष्ट्र निर्माता

सेल - एक राष्ट्र निर्माता 



सेल सबकी जिंदगी से जुड़ा 

हमारी तो जिंदगी है सेल 

देता है यह दृढ़ता भारत को

हमारी तो बंदगी है सेल 


देश की आन है सेल

देश की शान है सेल 

 हम हैं सेल से

हमारी पहचान है सेल


केवल इस्पात नहीं 

ज़िन्दगी भी सजाती है सेल 

हर कमजोर को सुदृढ़

बनाती है सेल


यह एक कम्पनी नहीं

है एक राष्ट्र निर्माता सेल

गौरवान्वित हो जाता है वो 

जिससे जुड़ जाता है सेल 


सभी को सेल के निर्माण दिवस पर विशेष शुभकामनाएं 🎉 💐


Thursday, 23 January 2025

Article : नेताजी का भारत

आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 128वीं जयंती है। तो आज इसी उपलक्ष्य में जानते हैं कि कौन थे नेताजी, और आखिर ऐसी क्या विशेषता थी उनमें, जो उन्हें सबसे पृथक करती है।

'नेताजी सुभाष चन्द्र बोस', यह वो अमर नाम है, जिसने भारत को एक बार पुनः भारत बनने का सम्मान दिया था।

आप जानना चाहते हैं कि हमारे यह कहने का क्या आशय है?

नेताजी का भारत


नेताजी ही वे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों को बाध्य कर दिया था, भारत को स्वतंत्र करने के लिए। उनके साहस, सूझ-बूझ और सशक्त देशों से मैत्री सम्बन्ध ही तो थे, जिन्होंने 190 वर्षों के अंग्रेजी शासन को घुटनों पर ला दिया था।

कुटिल नीति और क्रूरता की प्रतिमा थे अंग्रेज...

उनके पंजों से भारत का निकलना असंभव होता, यदि भारत के वीर स्वतन्त्रता सेनानी, सुभाष चन्द्र बोस न होते।

सुभाष चंद्र बोस, जितने वीर और साहसी थे, उतने ही चतुर और सशक्त भी थे। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के करिश्माई नेता और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी नेताजी सुभाष चंद्र...

क्या आपको लगता है कि अंग्रेज़ सरकार केवल सत्य और अहिंसा के आगे घुटने टेक देती?

नहीं, बिल्कुल भी नहीं...

नेताजी की सशक्त आज़ाद हिन्द फौज, जापान और जर्मनी जैसे सशक्त देशों से मैत्री सम्बन्ध ही थे, जिन्होंने अंग्रेजों को बाध्य कर दिया घुटने टेकने के लिए...

अगर आप ध्यान देंगे, तो आपको समझ आएगा कि भारत को आजादी, द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् मिली है। 

उस समय जर्मनी और जापान जैसे देश सबसे सशक्त देशों में शामिल थे।

ब्रिटिश की हार निश्चित थी, उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस से मदद मांगी, कि वो अपनी आजाद हिन्द फौज को सहायता के लिए भेजे और साथ ही जापान और जर्मनी से उन्हें बचाएं।

हमारे देश भक्त नेता जी ने इसके बदले में सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज़ मांगी, और वो थी भारत देश की आजादी...

अंग्रेज़ सरकार समझ चुकी थी कि उन्हें अपनी रक्षा के लिए नेता जी की बात अवश्य माननी होगी। और बस वही वो पल था, जब भारत 190 साल से जकड़ी हुई गुलामी की जंजीर को तोड़ सका, एक बार पुनः भारत बनने की ओर अग्रसर हो सका।

उनके उसी अथक प्रयास को यदि हमें सच्ची श्रद्धांजलि देनी है, तो हमें भारत को उनके सपनों का भारत बनना होगा।

नेताजी के सपनों का भारत एक ऐसा राष्ट्र था, जहाँ स्वराज हर हृदय की धड़कन बन जाए और आत्मनिर्भरता हर हाथ की शक्ति...

उनका भारत स्वतंत्रता का एक ऐसा दीप था, जो प्रत्येक नागरिक को स्वाभिमान और आत्मविश्वास से रोशन करे...

वे एक ऐसे देश की कल्पना करते थे, जो अपनी संस्कृति, परंपरा और विज्ञान में अग्रणी हो, जहाँ हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे, और भारत विश्वगुरु बनकर शांति, प्रगति और न्याय का संदेश फैलाए... 

सरकार द्वारा 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयन्ती से पहले इस दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी थी। 

Wednesday, 22 January 2025

Article : राम मंदिर वर्षगांठ

याद है, आपको 22 January 2024 का वो पावन दिन...

आज ही के दिन, पूरा भारतवर्ष राममय हो गया था...नहीं, नहीं यह कहना पूर्ण संगत नहीं होगा, बल्कि यह कहा जाए, सम्पूर्ण विश्व में जहां-जहां भी रामभक्त हैं, वो कोना-कोना राममय हो गया था। 

अर्थात् 22 जनवरी 2024 में सम्पूर्ण विश्व राममय हो गया था, अगर यह कहा जाए, तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी...

आज राम मंदिर में प्रभु श्री राम की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा हुए एक वर्ष पूर्ण हो गया है। 

प्रभु श्री राम के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम... 

चलिए देखते हैं कि राम मंदिर निर्माण, जिसमें करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए, उनका लेखा-जोखा क्या है?

किसी भी बड़े निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च होते ही हैं, तो क्या सरकार ने जनता के ही करोड़ों रुपए खर्च कर दिए, या खर्च किए गए रुपयों में किसी और की भी भागीदारी रही है? 

और एक बात भी बहुत से लोगों के मन में प्रश्न बनकर उभर रही होगी कि क्या राम मंदिर निर्माण से सिर्फ आस्था ही सिद्ध हो रही होगी या कुछ अन्य लाभ भी हुआ है?

क्योंकि खर्च की गई राशि की बात सुनते ही फिर से school, college and hospital की बात आरंभ कर दी जाएगी।

तो विश्वस्त सूत्रों से जानकारी एकत्र कर के आप के सभी प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं...

राम मंदिर वर्षगांठ


1) राम मंदिर निर्माण पर हुआ व्यय :

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र trust ने बताया कि भक्तों से रामलला के दरबार में एक साल में 363 करोड़ 34 लाख रुपये प्राप्त हुए।

यह अलग-अलग मदों से भक्तों ने दान के रूप में मंदिर में पेश किए हैं। 

इसके साथ ही एक साल में राम मंदिर और उसके परिसर में 776 करोड़ रुपये निर्माण में खर्च हुए हैं। केवल मंदिर निर्माण की बात करें तो इसमें 540 करोड़ रुपये का खर्चा एक साल में आ चुका है।


2) भक्तों द्वारा दिया गया दान :

राम मंदिर trust के महासचिव चंपत राय ने वित्तीय वर्ष के आयव्यय का लेखाजोखा सार्वजनिक करते हुए बताया कि एक साल में मंदिर को दान के रूप में 363 करोड़ 34 लाख रुपये मिले। इनमें trust के दान पत्र में 53 करोड़ रुपये, रामलला की हुंडी में 24.50 करोड़, रामलला को online 71.51 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा विदेशी राम भक्तों ने रामलला को 10.43 करोड़ रुपये का दान दिया। 

यह तो हुई रुपयों की बात, इसमें आपको अच्छे से पता चला होगा कि केवल सरकार द्वारा ही नहीं बल्कि, देश और विदेश से भी भक्तों ने दिल खोलकर दान दिया है। 

अब प्रश्न एक और उठता है कि, मंदिरों में रूपयों के साथ अथाह मात्रा में सोना-चांदी भी चढ़ावे के रूप में चढ़ती है, फिर क्या राममंदिर में ऐसा कुछ नहीं चढ़ा? 

बिल्कुल चढ़ा है, और कितना वो भी बताते हैं...


3) सोना-चांदी का दान :

Trust ने जानकारी देते हुए बताया कि 4 वर्षों में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र trust को 1300 kilograms चांदी और 20 kilograms सोना राम भक्तों ने रामलला को समर्पित किया है।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष के नाम से 2100 करोड़ रुपये का cheque प्राप्त हुआ है। 

1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक मंदिर के निर्माण में 670 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव pass किया गया है। 

चलिए, राम मंदिर निर्माण में होने वाले खर्च, और दान के विषय में तो जान लिया। 

अब दूसरी बात भी जान लेते हैं, जो बहुत से लोगों के मन में प्रश्न बनकर उभर रही होगी कि क्या राम मंदिर निर्माण से सिर्फ आस्था ही सिद्ध हो रही है या कुछ अन्य लाभ भी हुआ है? 

अयोध्या को राम मंदिर बनने से क्या लाभ हुआ है?


4) राम मंदिर निर्माण से अयोध्या पर प्रभाव : 

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद यहाँ के स्थानीय लोगों की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है। प्रदेश की GDP में जिले की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।

श्री राम मंदिर के कारण अयोध्या को वैश्विक पहचान मिली है। इसीलिए अयोध्या के विकास का पूरा ताना-बाना श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के इर्द-गिर्द घूमता है। 

राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद देशभर से रोजाना डेढ़ से दो लाख लोग अयोध्या आ रहे हैं। भक्त एक से दो दिन अयोध्या में बिताते हैं। इससे अयोध्या में रोजगार के अवसर बहुत तेजी से बढ़े हैं।

लोग अयोध्या भ्रमण के दौरान होटलों में रुकते हैं। स्थानीय सामानों की खरीदारी करते हैं। मंदिरों के दर्शन करते हैं और जाते समय अपने साथ कुछ न कुछ ले जाते हैं, चाहे वह राम मंदिर का model हो, प्रसाद के रूप में मिठाई या श्री राम ध्वज...

संक्षेप में समझें तो अयोध्या का कायाकल्प हो गया है।


अब आप के सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गये होंगे और शायद यह भावना भी बलवती हो गई होगी कि मंदिर निर्माण, उस शहर, उस प्रदेश और देश के विकास का द्योतक है...

राम मंदिर निर्माण की वर्षगांठ की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ, प्रभू श्री राम हम सब पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें 🙏🏻

जय श्री राम 🚩

Tuesday, 21 January 2025

Article : Kho-Kho World Cup

भारत में sports field में दिन-प्रतिदिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं, जो हमारे देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।

और बात तब और हर्षित करती है, जब हमारे युवा खिलाड़ी, फिर चाहे men's segment की बात हो, या women's segment की, विश्व विजयी घोषित हो रहे हों।

अभी हाल ही में chess में यह कमाल कर दिखाया था और अब वही कमाल एक बार फिर हमारे खिलाड़ियों ने कर दिया है। 

जी हां, हम बात कर रहे हैं खो-खो प्रतियोगिता की... 

खो-खो वर्ल्ड कप  



भारत ने 13 से 19 जनवरी 2025 तक नई दिल्ली के Indira Gandhi Arena
में आयोजित पहले खो-खो वर्ल्ड कप 2025 में Men's and Women's  दोनों का title  जीतकर इतिहास रच दिया

इस ऐतिहासिक आयोजन में 6 continents के 23 देशों ने भाग लिया था, जिसमें 20 पुरुषों और 19 महिलाओं की teams ने seven-player format का Competition किया... 

इस जीत के साथ ही भारत के एक पुराने पारंपरिक खेल को अंतरराष्ट्रीय खेल का दर्जा मिल गया है...

खो-खो एक Indian field sport है। इस खेल में मैदान के दोनों ओर दो poles के अतिरिक्त किसी अन्य equipment की जरूरत नहीं पड़ती। 

यह एक अनूठा स्वदेशी खेल है, जो युवाओं में vigour और healthy fighting spirit भरने वाला होता है। 

यह खेल chasing करने वाले और self-defenders, दोनों में extreme fitness, skill, speed and energy की demand करता है। खो-खो किसी भी तरह की field पर खेला जा सकता है।

खो-खो ऐसा खेल है, जो हम सब ने ही अपने बचपन में school में जरूर खेला होगा। यह एक ऐसा खेल है जो हमारी मीठी यादों में शामिल है। 

हम लोगों का तो, school days में, 8th class तक कोई दिन ऐसा नहीं जाता था, जब हम लोग खो-खो न खेलें। 

हम सारी सहेलियां इसमें माहिर थीं। सच बहुत अच्छे दिन थे वो...

और यह जानकर बहुत खुशी हुई कि जो खेल हमारे बचपन का अभिन्न अंग है, हमारे खिलाड़ी (men's and women's team) उसमें विश्व विजयी कहलाए। 

भारत का तिरंगा, यूँ ही हर field पर विश्व विजयी बनकर लहराए और हम भारतीय विश्व विजयी कहलाएं...

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Friday, 17 January 2025

India's Heritage : संकष्टी गणेश चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी। महिलाएं आज अपने बच्चों की सलामती की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है। 

संकष्टी चतुर्थी पर बचपन से एक कहानी सुनते आ रहे हैं, जिससे हमें पता चलता है कि प्रभु श्री गणेश जी, भक्तों की किस बात को सबसे अधिक महत्व देते हैं। 

आज उसी कहानी को share कर रहे हैं, शायद आप में से बहुत लोगों के घर में यही कहानी कही जाती हो... गर नहीं सुनी है आपने, तो आप भी यह कहानी सुनें, और साथ ही यह भी कि यह कहानी क्यों कही जाती है...

संकष्टी गणेश चतुर्थी


एक जेठानी और देवरानी थीं। जेठानी माला धनाढ्य, लालची और दुष्ट प्रवृत्ति की स्त्री थी, जबकि देवरानी सुधा गरीब, सरल ह्रदय की, भक्त प्रवृत्ति की स्त्री थी।

क्योंकि देवरानी गरीब थी, तो वो जेठानी के घर पर बर्तन, झाड़ू-पोंछा आदि का काम करती थी।

एक दिन वो काम करके लौट रही थी, तो उसकी नयी पड़ोसन रेखा, तिल धोकर साफ कर रही थी।

सुधा ने रेखा से पूछा कि तिल क्यों धो रही है?

तो रेखा बोली, संकष्टी चतुर्थी व्रत आ रहा है, इसमें गणेश जी के चंद्रभाल रूप की पूजा, व्रत आदि किया जाता है। यह पूजा संतान की लंबी आयु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए की जाती है।

उसके लिए ही तिल धोकर साफ कर रही हूँ, जब यह सूख जाएंगे, तब गुड़ के साथ कूट कर इनका प्रसाद बनाऊंगी।

पूजा विधि, और प्रसाद के विषय में जानकारी लेकर सुधा भी तिल, गुड़ ले आई। 

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुधा माला को बोल आई कि “दीदी, आज शाम मैं काम पर नहीं आऊंगी।”

दिन भर व्रत रखकर रात को सुधा ने पूजा की तैयारी की व तिल-गुड़ कूटकर उसने प्रसाद तैयार कर लिया। और बहुत ही श्रद्धाभाव से गणेश जी पूजा आरंभ कर दी।

अभी उसे पूजा आरंभ किए हुए आधे घंटे ही हुए थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई।

उसने दरवाजा खोला तो सामने एक छोटा-सा बालक खड़ा था।

सुधा को देखते ही वह बालक बोल उठा, माँ बहुत भूख लगी है, कुछ खाने को दे दो...

सुधा ने उसे अंदर आने को कहा, और बोला मेरे पास इस तिलकुट प्रसाद के आलावा, तुम्हें देने को और कुछ नहीं है।

पूजा आरंभ कर दी है, थोड़ी देर में पूर्ण हो जाएगी, तब तुम खा लेना।

वो बालक पूजा समाप्त होने की प्रतीक्षा करने लगा।

पूजा समाप्त होने के बाद सुधा ने उस बालक को प्रसाद दे दिया।

बालक ने धीरे-धीरे कर के बना हुआ पूरा प्रसाद लें लिया।

सुधा के बच्चे उसका मुंह देखते रहे, पर उसने उनकी परवाह किए बिना उस छोटे से बालक को सारा प्रसाद दे दिया...

उस बालक ने पूरा प्रसाद ख़त्म करने के बाद कहा कि अब मुझे पोटी आई है, कहां करूं? 

सुधा को कुछ न सूझा, क्योंकि वो तो घर के बाहर बहुत दूर खेतों पर जाते थे, पर इस नन्हे बालक को रात में कहां ले जाएं... 

उसने घर के एक कोने में उसे पोटी करने को कहा, थोड़ी ही देर में बच्चे ने घर के चारों कोनों में पोटी कर दी।

जब पोटी पोंछने की बात आई तो उसने अपने साड़ी के एक कोने से उसकी पोटी पोंछ दी। 

उस बालक के जाने के बाद सब भूखे पेट सो गए।

सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि उनका घर का वो हर कोना जहां उस छोटे से बालक ने पोटी की थी और साड़ी का वो हिस्सा, सोने, चांदी हीरे-जवाहरात की तरह चमक रहे थे।

यह सब देखकर, सभी हर्षित हुए कि कल जो बालक आया था, वो कोई और नहीं, स्वयं गणेश जी थे और वो अपने भक्तों की परीक्षा लेने और अपनी कृपा बरसाने आए थे।

अब सुधा को घर-घर जाकर काम करने की आवश्यकता नहीं थी। जब माला को यह पता चला तो वह सुधा के घर दौड़ी चली आई और सम्पूर्ण जानकारी ली।

उसने अगले वर्ष, अपने घर में संकष्टी चतुर्थी व्रत की बहुत बड़ी व्यवस्था की, तिलकुट प्रसाद के आलावा, बहुत सारी मिठाई पकवान बनवाए। घर का बड़ा हिस्सा खाली कर दिया।

सुबह व्रत रखकर, रात में पूजा अर्चना आरंभ कर दी। पर उसका ध्यान पूजा में ना लगकर पूर्ण रूप से दरवाज़े पर लगा हुआ था।

पूजा आरंभ कर के एक घंटा बीत चुका था, पर दरवाजे पर दस्तक ही नहीं हो रही थी। माला के सब्र का बांध टूट रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।

देखा, सामने एक छोटा सा बालक खड़ा था।

आह! आ गये गणेश जी... वो ख़ुशी से झूम उठी

उसने तुरंत उसे अंदर खींच लिया और इसके पहले कि वो कुछ बोलता, ढेरों पकवान उस बालक के मुंह में डालना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में बालक ने कहा कि मेरा पेट भर गया...

पर माला को इतने कम में संतोष नहीं था, उसने सोचा कि ज्यादा खाएगा तो सोना, चांदी , हीरे-जवाहरात सब भी बहुत अधिक बनेंगे।

उसने अब ज़ोर‌ जबरदस्ती के साथ बालक को खिलाना शुरू कर दिया, जब तक बालक ने यह नहीं कह दिया कि उसे पोटी आई है।

माला ने उस बालक से पूरे घर भर में पोटी करवा दी और पोंछने की बात पर अपने माथे और हाथ में पोंछ ली।

जब वो बालक चला गया तो सब सो गए।

सुबह उठकर माला ने देखा, उसका पूरा घर पोटी की बदबू से भर गया था, सब ओर मक्खियां भिनभिना रही थीं। उसके पास से भी बदबू आ रही थी।

उसने पूरे दिन परिवार के साथ घर साफ़ किया, घर तो साफ़ हो गया, पर बदबू थी कि जाने का नाम ही नहीं ले रही थी।

वो उस बदबू से इतनी परेशान हो गयी कि दिनभर पागलों की तरह सफाई करती रहती, पर निजात नहीं मिलती।


इस पूजा को बच्चों के लिए रखा जाता है और इस पूजा के दौरान इस कहानी को सुनाने के पीछे का आशय यह है कि सरलता से बच्चों के मन-मस्तिष्क में यह बात पहुंचाई जाए कि ईश्वर की प्राप्ति उन्हें होती है, जो सरल ह्रदय वाले होते हैं, सच्चे भक्त होते हैं, जिनका ध्यान ईश्वर आराधना में होता है, न कि मोह-माया में, जो ईमानदार और निष्पक्ष होते हैं, जो लालची नहीं होते हैं, जो दूसरे के दुःख, भूख और परेशानी को अपने से पहले हल करते हैं। 

सुधा में वो सारे सद्गुण थे, जिससे गणेश जी प्रसन्न हो गए थे, अतः उन्होंने उसे सब तरह के सुख दे दिए थे। जबकि माला के गुण उसके विपरीत थे, अतः उसके पास सब होते हुए भी छिन गया।

हे श्री गणेश जी महाराज, हम सब से प्रसन्न रहें। हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बना कर रखें🙏🏻 

जय संकष्टी गणेश चतुर्थी 🙏🏻

Thursday, 16 January 2025

Article : महाकुंभ से अर्थव्यवस्था

लोग कहते हैं कि क्या लाभ है, मंदिर बनाने और महोत्सव कराने से? इतने ही रुपए खर्च करने के लिए उपलब्ध हैं, तो hospitals, schools and colleges खुलवा देने चाहिए।

बस व्यर्थ का धन व्यय करना आता है सरकार को...

चलिए, जो लोग यह मानते हैं, उनके साथ हिसाब-किताब लगा लेते हैं कि क्यों hospitals, schools and colleges के साथ ही मंदिर निर्माण और महोत्सव भी किए जाने चाहिए।

Article शुरू करने से पहले, आप को बता दें कि, इस सरकार के आने से न केवल मंदिर निर्माण और महोत्सव को प्रोत्साहन मिला है, अपितु educational institute and medical field में भी बढ़ोतरी हुई है।

लेकिन अभी, जब हमारे भारत देश में इतना बड़ा महोत्सव प्रयागराज में चल रहा है तो, उसका ही उदाहरण लेते हैं और देखते हैं कि महाकुंभ महोत्सव से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा कि नहीं, उसकी गणना कर लेते हैं।

महाकुंभ से अर्थव्यवस्था


महाकुंभ महोत्सव में लगने वाली धन राशि है, 12 हजार करोड़ रुपए या 120 billion रुपए (₹1,20,00,00,00,000)...

हे भगवान! इतना अधिक... 

वही तो, इतने में तो न जाने कितने hospitals, school college खुल जाते, सड़कों का निर्माण हो जाता, बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता आदि...

बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप।

अब ज़रा यह भी सुन लीजिए कि इससे मिलना वाला profit है, 20 लाख करोड़ रुपए...

सुना आपने, 20 लाख करोड़ रुपए या 20 trillion रुपए (₹2,00,00,00,00,00,000)...

अब सोचिएगा, इससे क्या-क्या होगा?

अब आगे चलते हैं।

12 हजार करोड़ रुपए, पूरी तरह से केवल महाकुंभ महोत्सव में ही नहीं लग गये हैं, बल्कि इसमें से बहुत सारा व्यय, प्रयागराज के कायाकल्प में भी ख़र्च किया गया है।

फिर महाकुंभ महोत्सव तो केवल 45 दिनों के लिए है, 13 January से आरंभ हुआ था और 26 February के बाद समाप्त हो जाएगा, लेकिन उससे प्रयागराज में जो कायाकल्प हुआ है, वो कितने सालों के लिए सुव्यवस्थित हो गया है, यह वहां पर रहने वाले नागरिकों पर निर्भर करता है। 

यह expenditure and profit तो वो हुआ, जो सरकार ने खर्च किया है और जो उन्हें लाभ मिलेगा...

अब और सुनिए।

महाकुंभ महोत्सव की ख्याति, केवल भारत तक सीमित नहीं है अपितु देश-विदेश तक पहुंच गई है, जिसके फलस्वरूप देश-विदेश के लाखों-करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं और महाकुंभ में आने की‌ तैयारी कर रहे हैं।

इससे दो लाभ हैं, पहला विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और दूसरा भारत देश की सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार... 

चलिए, अब ज़रा, इस ओर भी सोच लेते हैं कि, केवल व्यय हो रहा है या लोगों के लिए रोज़गार के सुनहरे अवसर भी मिले हैं...

आपको लगता है कि यह बताने की जरूरत है?

चलिए, फिर भी बता देते हैं...

महोत्सव की तैयारियों के साथ ही शुरू हो गये थे, रोजगार के अवसर मिलने..

न जाने कितने ही मजदूरों ने रोजगार पाया, कितने ही चित्रकारों की तूलिकाएं रोजगार पा गयी, न जाने कितने architect को यह proof करने का मौका मिला, कि उनकी प्रतिभा न केवल उन्हें धन-धान्य दे सकती है, अपितु गर्व करने का अवसर भी दे सकती है, कितने ही पुजारियों को संगम का अत्यधिक आशीर्वाद प्राप्त हुआ, आध्यात्मिक और धन-धान्य दोनों रूपों में, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी, जिनके food business है, ऐसे ही न जाने कितने लोगों के सपने पूरे कर दिए महाकुंभ ने...

और जब से महाकुंभ महोत्सव आरंभ हुआ है, जिनमें भी धनार्जन करने की चाह है, वो मालामाल हुआ जा रहा है...

आप सुनकर हैरान हो जाएंगे, जब आपको पता चलेगा कि वहां अपनी stalls लगाने के लिए लोग, 45 दिन के लिए 48 लाख रुपए दे रहे हैं, अर्थात् एक दिन का एक लाख रुपए तक दे रहे हैं।

चाय जैसी छोटी 10/10 की stall के लिए भी 45 दिन के 12 लाख की demand है और लोग दे भी रहे हैं। 

वो Businessman कोई बेवकूफ तो हैं नहीं, क्योंकि वो जानते हैं 10 लगाएंगे तो सौ मिलेंगे, और मिल भी रहा है...

40 करोड़ भक्तों (visitors) के आने का अनुमान है, जिसमें देश विदेश के लोग भी शामिल हैं। 

जितनी संख्या में visitors आ रहे हैं, उतनी ही संख्या में वो लोग भी आ रहे हैं, जो महाकुंभ महोत्सव से जुड़कर धनार्जन करना चाहते हैं। 

जो वहां पर आने वाले व्यापारी हैं, चाहे वो किसी भी level के हों, चाय-कॉफी बेचने वाले, खाने-पीने की चीजें बेचने वाले, वस्त्र, मालाएं, पूजा सामग्री, अलग तरह के सामान बेचने वाले, technical support करने वाले, महाकुंभ महोत्सव की व्यवस्था में लगने वाले सामानों की मालिकाना companies, हर एक यही कह रहा है कि economy बढ़ाने का इसे अच्छा सुअवसर नहीं मिल सकता है। 

अब आप खुद सोचिएगा कि क्या मंदिर निर्माण और महोत्सव को प्रोत्साहन मिलना चाहिए? क्योंकि उसके कारण आर्थिक व्यवस्था और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, यह निश्चित है...

शायद आपकी सोच बदल गई हो, और आप भी इनके प्रोत्साहन में शामिल हो जाएं।

वैसे अगर आप बिना किसी स्वार्थ और निन्दा के भाव से देखें तो आपको भी यह ज्ञात होगा, कि ये ही वो सुअवसर हैं, जो भारत को एक बार फिर से सोने की चिड़िया बना देंगे।

जहां धन-धान्य, संस्कृति और परंपरा का वास होगा, वही देश सफल बन पाएगा, और यही करने से भारत विश्व विजयी बनेगा।

जय संस्कृति, जय सनातन, जय भारत 🇮🇳 

Wednesday, 15 January 2025

Article : महाकुंभ के अमृत स्नान

आप को महाकुंभ महोत्सव Heritage segment में महाकुंभ से जुड़े तथ्य, आस्था और वैज्ञानिक रूप में share किया था।

अमृत स्नान क्यों किया जाता है, उसका विवरण विस्तार से share करते हैं....

प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर महाकुंभ महोत्सव आरंभ हो गया है।

आप ने सुना होगा कि महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। पर क्या होता है शाही स्नान? कब-कब है शाही स्नान? और क्या महत्व है इसका? 

हालांकि, इस बार से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने शाही स्नान का नाम, अमृत स्नान और पेशवाई का नाम कुंभ मेला छावनी प्रवेश कर दिया है। 

तो जब नाम बदल ही दिया गया ,है तो शाही स्नान को हमने भी आगे अमृत स्नान ही लिखा है...

आइए जानते हैं, सब कुछ विस्तार से...

महाकुंभ के अमृत स्नान


महाकुंभ के दौरान कुल तीन अमृत स्नान होंगे, जिसमें से पहला मकर संक्रांति के दिन, 14 जनवरी को होगा। दूसरा, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर और तीसरा 3 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन किया जाएगा।

इसके अलावा माघी पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन भी स्नान किया जाएगा, लेकिन इन्हें अमृत स्नान नहीं माना जाता है।

क्यों कहा जाता था इन्हें शाही स्नान?


1) अमृत स्नान (शाही स्नान) :

महाकुंभ के दौरान कुछ विशेष तिथियों पर होने वाले स्नान को "शाही स्नान" कहा जाता था। इस नाम के पीछे विशेष महत्व और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है। माना जाता है कि नागा-साधुओं को उनकी धार्मिक निष्ठा के कारण सबसे पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर राजसी ठाट-बाट के साथ स्नान करने आते हैं। इसी भव्यता के कारण इसे शाही स्नान नाम दिया गया था। 

एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में राजा-महाराज भी साधु-संतों के साथ भव्य जुलूस लेकर स्नान के लिए निकलते थे। इसी परंपरा ने शाही स्नान की शुरुआत की।

इसके अलावा यह भी मान्यता है कि महाकुंभ का आयोजन सूर्य और बृहस्पति जैसे ग्रहों की विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है, इसलिए इसे "राजसी स्नान" भी कहा जाता है। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।

ऐसा माना जाता है कि ये पवित्र स्नान अनुष्ठान, या शाही स्नान, आत्मा को शुद्ध करते हैं और पापों को धो देते हैं, जिससे ये इस आयोजन का आध्यात्मिक आकर्षण बन जाते हैं। 


2) महाकुंभ में स्नान करने के नियम :

स्नान करते समय 5 डुबकी ज़रूर लगाएं, तभी स्नान पूरा माना जाता है। स्नान के समय साबुन या shampoo का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इसे पवित्र जल को अशुद्ध करने वाला माना जाता है।


3) यहाँ ज़रूर करें दर्शन :

महाकुंभ में कुंभ अमृत स्नान-दान के बाद बड़े हनुमान और नागवासुकी का दर्शन जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि कुंभ अमृत स्नान के बाद इन दोनों में से किसी एक मंदिर के दर्शन न करने से महाकुंभ की धार्मिक यात्रा अधूरी मानी जाती है।


4) महाकुंभ 2025 अमृत स्नान की तिथियां :

I. पौष पूर्णिमा - 13 जनवरी (सोमवार); स्नान

II. मकर सक्रांति - 14 जनवरी (मंगलवार); अमृत स्नान 

III. मौनी अमावस्या - 29 जनवरी (बुधवार); अमृत स्नान

IV. बसंत पंचमी - 3 फरवरी (सोमवार); अमृत स्नान 

V. माघी पूर्णिमा - 12 फरवरी (बुधवार);  स्नान

VI. महाशिवरात्रि - 26 फरवरी (बुधवार);  स्नान 


5) अमृत स्नान का समय :

अमृत स्नान के लिए 13 अखाड़ों के बीच समय आवंटित किया जाता है, जिसमें शिविर छोड़ने, घाट पर अनुष्ठान स्नान करने और वापस लौटने के लिए आवश्यक समय शामिल होता है। महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा सबसे पहले अमृत स्नान शुरू करेंगे, जो सुबह 5:15 बजे से सुबह 7:55 बजे तक निर्धारित है, जिसमें अनुष्ठान के लिए 40 मिनट निर्धारित हैं। उनके बाद, निरंजनी और आनंद अखाड़ों को सुबह 6:05 बजे से सुबह 8:45 बजे तक का समय आवंटित किया गया है, जिसमें प्रस्थान, स्नान करने और वापस लौटने की पूरी प्रक्रिया शामिल है।


6) अमृत स्नान के मुख्य आकर्षण : 

कुंभ मेले के दौरान, कई समारोह होते हैं; हाथी, घोड़े और रथों पर अखाड़ों का पारंपरिक जुलूस जिसे 'पेशवाई' कहा जाता था, अब इसका भी नाम बदलकर कुंभ मेला छावनी प्रवेश यात्रा कर दिया गया है। 

'अमृत स्नान' के दौरान नागा-साधुओं की चमचमाती तलवारें और अनुष्ठान, और कई अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ जो कुंभ मेले में भाग लेने के लिए लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती हैं।


7) अमृत स्नान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व :

I. धार्मिक महत्व -

इस दिन सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं। उनके बाद आम लोग स्नान कर सकते हैं। शाही स्नान को बेहद खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से न सिर्फ इस जन्म के, बल्कि पिछले जन्म के पाप भी खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।


II. सांस्कृतिक महत्व -

महाकुंभ भारतीय समाज के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें अमृत स्नान के साथ मंदिर दर्शन, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। 


महाकुंभ में भाग लेने वाले नागा साधु, अघोरी और सन्यासी हिंदू धर्म की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं। महाकुंभ का यह आयोजन धार्मिक आस्था, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। 

Tuesday, 14 January 2025

Poem : मकर संक्रांति

मकर संक्रांति


मकर संक्रांति के पर्व से,

हर्षित हुआ है देश।

आज सूर्य कर रहा,

धनु से मकर में प्रवेश।।


सबके जीवन से मिटे,

दुःख, कठिनाई और क्लेश। 

खरमास के दिन नहीं,

रह गए हैं शेष।।


जप, तप और पूजा के,

आ गये हैं दिन विशेष।

शुभ कार्य हों सम्पन्न,

करिए श्री गणेश।।


खिचड़ी, तिल गुड़ का,

भोजन में हो समावेश।

आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें,

दे रहीं सुख का संदेश।।


आप सभी को उत्तरायण (मकर संक्रांति) एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Monday, 13 January 2025

India's Heritage : महाकुंभ महोत्सव

महाकुंभ, एक ऐसा महोत्सव, एक ऐसा पर्व, एक ऐसा मेला, जो आस्था और उपासना का सबसे बड़ा प्रयोजन होता है। 13 January (पौष पूर्णिमा) से इस महोत्सव का प्रारंभ हो रहा है, जो कि 26 February (महाशिवरात्रि) तक चलेगा।

और इस बार के महाकुंभ का महोत्सव प्रयागराज के त्रिवेणी (गंगा, यमुना, सरस्वती) संगम पर सम्पन्न होने जा रहा है।

ईश्वर के सामीप्य और उनके श्री चरणों के अमृतपान का सुखद अवसर हैं यह... 

इस समय प्रयागराज पहुंचने वालों को जो आलोकिक अनुभूति होनी है, वो अवर्णनीय है।

हमारे लिए इसका विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इस बार महाकुंभ, हमारी जन्मभूमि प्रयागराज पर होने जा रहा है। 

हे जन्मभूमि, अगर आप की पावन धरती पर माथा टेकने का सुअवसर न भी मिले, तो भी मेरा दंडवत प्रणाम स्वीकार कीजिएगा। 

चलिए आप को बताते हैं कि क्यों महाकुंभ का आयोजन किया जाता है? 

क्या है इसका महत्व? और किन चार शहरों को इस आयोजन को कराने का सौभाग्य प्राप्त है? 

महाकुंभ महोत्सव


ईश्वर ने मुझे अपनी भक्ति में लीन होने के लिए दो रूपों में जोड़ा है, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप में...

तो आज, हम आपको दोनों तरह से महाकुंभ की विशेषता का वर्णन करेंगे। आस्था और पौराणिक रुप में और वैज्ञानिक और तथ्यों के रूप में भी...

ईश्वर की आस्था और उपासना ही जीवन का मुख्य उद्देश्य है तो आपको पहले महाकुंभ का पौराणिक महत्व ही बताते हैं।


1) पौराणिक कथा के अनुसार :

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, देव और दानवों के मध्य समुद्र मंथन का आयोजन किया गया था, जिसमें समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे, जो कुछ इस प्रकार हैं...

सबसे पहले निकला कालकूट (या हलाहल), फिर ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा अप्सरा, महालक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चंद्रमा, शारंग धनुष, पांचजन्य शंख, धन्वंतरि, और सबसे अंत में अमृत से भरा हुआ कुंभ (कलश, घड़ा)...

कालकूट या हलाहल, बेहद ज़हरीला विष था, जिसके निकलने पर सब इधर-उधर हटने लगे, किन्तु यह तय था कि जो भी निकलेगा, उसे देवता या दानव में से किसी एक को लेना ही होगा...

ऐसे में महादेव, सामने आए और उन्होंने विषपान किया और उसे अपने कंठ में ही रोक लिया, नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया, तब से ही देवों के देव महादेव, नीलकंठ कहलाए। 

आगे निकलने वाली चीजें, कुछ देवों के और कुछ दानवों के हिस्से में आई।

अंत में अमृत कुंभ को पाकर देवता और दानव आपस में लड़ने लगे। इस बीच, दानवों से बचाने के लिए इंद्र के पुत्र जयंत अमृत कुंभ लेकर भागने लगे। दानवों ने भी उनका पीछा किया। भागते-भागते जयंत के हाथ से अमृत कलश से कुछ बूंदें पृथ्वी की तीन नदियों और चार स्थानों पर गिर गईं।

 

2) तीन नदियां और चार शहर :

समुद्र मंथन के पश्चात् अमृत कुंभ द्वारा जिन तीन नदियों और शहरों में अमृत की बूंदें गिरी थी, वो थी गंगा नदी, क्षिप्रा नदी, और गोदावरी नदी और वो चार शहर हैं, प्रयागराज और हरिद्वार, गंगा नदी के तट पर, उज्जैन क्षिप्रा नदी के तट पर और नासिक गोदावरी नदी के तट पर...

बस उसी कुंभ को symbolic मानकर कुंभ मेले का आयोजन होने लगा, जो अमरता और आध्यात्मिक पोषण का प्रतीक है...

अब प्रश्न उठता है कि नदी में स्नान क्यों?


3) नदी में स्नान का महत्व :

तो पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाकुंभ आता है तो उस नदी विशेष का पूर्ण जल, अमृत में परिवर्तित हो जाता है, तो उसमें स्नान करना, अर्थात् साक्षात अमृत जल का सानिध्य प्राप्त करना है।

अब आपको महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व बताते हैं कि क्यों इन चार शहरों में ही महाकुंभ का आयोजन करते हैं, क्यों नदी का स्नान शुभ फलदाई होता है। और क्यों लाखों-करोड़ों लोग इस समय प्रयागराज पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं?


4) महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व :

पूरे world के map को देखेंगे तो 0° से लेकर 33° latitude तक जो भी part है, उसमें centrifugal force सबसे ज्यादा होता है।

Centrifugal force ऐसा force होता है, जो कि gravitational force से दूर रहकर भी घूमने की क्षमता रखता है। 

हमारे संस्कृति बहुत वैज्ञानिक है, अगर आप सार खोज पाएं तो भारतीय संस्कृति के हर क्षेत्र में विज्ञान मिलेगा। 

और इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है महाकुंभ, 

आइए देखते हैं कैसे?

हमारे ऋषि-मुनियों ने देखा कि भारत इसी latitude में आता है। तो उन्होंने चार ऐसी जगह और खोजी, जिसमें centrifugal force और ज्यादा होता है, जो है प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक...

पर centrifugal force ज्यादा होने से क्या लाभ है? और यह spiritually किस तरह से helpful है?

देखिए आप को spiritually strong होना है, तो उसके लिए ऊर्जा चक्रों को जाग्रत करना होता है। और इन चक्रों को जाग्रत करने के लिए वो स्थान उत्तम होता है, जहां centrifugal force अधिक हो। क्योंकि वो gravitational force के against ऊर्जा के ऊपर उठने में सहयोग करता है। 

इसलिए ही इन जगहों पर महाकुंभ महोत्सव होता है।

अब बात करते हैं, डुबकी लगाने का क्या औचित्य है? 


5) डुबकी का औचित्य :

उसका कारण यह है कि पानी में डुबकी लगाने से cosmic energy लेने की क्षमता बढ़ जाती है। क्योंकि गीले रहने से receptivity बढ़ जाती है, अर्थात् ईश्वरीय ध्यान केन्द्रित करना पूर्ण रूप से सक्षम होता है।

कुंभ तो समझ आया, पर यह महाकुंभ क्या है?

और वो 12 सालों में ही क्यों लगता है?


6) 12 साल में महाकुंभ का आयोजन :


पौराणिक कथा के अनुसार 

अमृत कुंभ को पाने के लिए देवों और दानवों में 12 दिन युद्ध चला था और किंवदंती है कि देवों का 1 दिन, मनुष्यों के 1 वर्ष का होता है।

यही कारण है कि महाकुंभ महोत्सव हर 12 वर्ष के पश्चात् आता है। 

ज्योतिषीय गणना के अनुसार 

महाकुंभ के आयोजन में अमृत के साथ ही तीन और celestial bodies का महत्व है, और वो है, बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, means Jupiter, Sun and Moon की postion का...

ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, बृहस्पति ग्रह हर 12 साल में 12 राशियों का चक्कर लगाता है। इसलिए, कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है।

महाकुंभ मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में लगता है।

कुंभ मेला हर साल और महाकुंभ मेला हर 12 साल में लगता है।

साल 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में लग रहा है।

आइए जानते हैं, कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ग्रहों की स्थिति के आधार पर महाकुंभ मेले का आयोजन कब किस जगहों पर होता है...


7) प्रयागराज में लगने की स्थिति :

जब बृहस्पति ग्रह वृषभ (Taurus) राशि में हों, सूर्य देव और चंद्र देव दोनों ही मकर (Capricorn) राशि में हों, तो महाकुंभ मेला प्रयागराज में लगता है।

2025 में ऐसी स्थिति ही बनी है, इसलिए महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में सम्पन्न हो रहा है।


8) हरिद्वार में लगने की स्थिति :

जब बृहस्पति ग्रह कुंभ (Aquarius) राशि में हों, सूर्य देव मेष (Aries) राशि में हों, और चन्द्र देव धनु (Sagittarius) राशि में हो, तो महाकुंभ मेला हरिद्वार में लगता है।


9) नासिक में लगने की स्थिति :

जब सूर्य और बृहस्पति सिंह (Leo) राशि में हों, और चन्द्र देव कर्क (cancer) राशि में हो, तो महाकुंभ मेला नासिक में लगता है। 


10) उज्जैन में लगने की स्थिति :

जब बृहस्पति ग्रह सिंह (Leo) राशि में हो, सूर्य देव और चंद्र देव दोनों मेष (Aries) राशि में हों, तो महाकुंभ मेला उज्जैन में लगता है।

महाकुंभ, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और भव्य आयोजनों में से एक है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु और संत शामिल होते हैं। ये लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।


महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है, वो किस-किस दिन है, क्यों कहते हैं इसे शाही स्नान, आपको अगले के article में बताएंगे...

महाकुंभ के अमृत स्नान 

So stay tuned...

Saturday, 11 January 2025

Recipe : Pizza Pockets

आज आपके लिए एक ऐसी recipe share कर रहे हैं, जो बहुत ही yummy है। साथ ही एक interesting factor यह भी है, कि उसके base से हम बहुत variety की dishes prepare कर सकते हैं।  

और वो base है, bread pocket की...

यह बहुत easily घर पर रखे हुए सामानों से ही prepare हो जाती है। 

हम bread pocket से pizza pocket बना रहे हैं, पर आपको इसके और variants भी बता देंगे।

Pizza Pocket की speciality यह है, कि इसमें crispy and crunchy flavour भी आएगा, और soft and creamy flavour भी आएगा।

Pizza Pockets


A) Ingredients :

I. For stuffing -

  • Salt - as per taste
  • Onion - 1 (big)
  • Sweet corn - 1 tbsp.
  • Capsicum - 1 (big)
  • Paneer - 50 gm.
  • Mushroom - 50 gm. 
  • Baby corn - 50 gm.
  • Cheese slice - 10 number 
  • Mix herbs - for garnishing
  • Tomato ketchup - as per taste
  • Hung curd - 2 tbsp.


II. For base -

  • White bread - 10 slices
  • Cornflour - 1 tbsp. 
  • All purpose flour (Maida) - 1 tbsp. 
  • Clarified butter (ghee) - for frying 


B) Method :

I. For stuffing -

  • Sweet corn, baby corn को boil कर लीजिए, जिससे वो soft हो जाएं।
  • एक wok लीजिए, उसमें एक tbsp. घी डाल दीजिए।
  • इसमें प्याज और नमक डालकर sauté कर लीजिए।
  • अब इसमें सारी veggies, sweet corn and baby corn डालकर slightly पका लीजिए। 
  • जब filling थोड़ी ठंडी हो जाए तो उसमें, Hung curd and Mix herbs डालकर अच्छे से mix कर दीजिए।

Stuffing/filling is ready.


II. For base -

  1. दो bread slices को एक साथ रखकर rolling pin से बेल लें।
  2. फिर cookie cutter से ring काट लें।
  3. Side की बची हुई bread को mixer grinder jar में डालकर महीन पीसकर bread crumbs बना लें। 
  4. Cornflour और all purpose flour में ¼ tsp. salt डालकर अच्छे से mix करें। इसमें पानी डालकर slurry बना लें। 
  5. Bread ring को slurry में dip कर लें।फिर इसे bread crumbs से coat कर लीजिए। 
  6. इसी तरह से सारी bread rings को ready कर लीजिए।
  7. एक wok में घी डालकर अच्छे से गर्म कर लीजिए। गर्म घी में bread rings डालकर उस पर घी डालते हुए fry कर लीजिए।
  8. इससे bread ring फूल कर पूड़ी जैसी बन जाएगी।
  9. जब सारी ring ready हो जाए, तो उन्हें half कर दें, जिससे pocket create हो जाएगी।

Base (bread pockets) is ready.



III. For assembling -

  1. अब bread pockets में tomato ketchup लगा दीजिए।
  2. फिर उसमें cheese slice fit कर लीजिए।
  3. अब इसमें filling को bread pockets के अंदर stuff कर दीजिए।
  4. Pocket में ऊपर से भी sauce डालकर serve कर दीजिए।

Your delicious and nutritious Pizza Pockets are ready to serve. Relish them with some mixed herbs, oregano or chilli flakes.


C) Tips and Tricks :

  • Bread fresh होनी चाहिए, वरना बेलने में वह straight नहीं होगी, बल्कि टूट टूट जाएगी।
  • दो breads को एकसाथ ही बेलें, इससे वो आपस में अच्छे से चिपक कर ऐसी हो जाती हैं, मानो एक हो गयी हों। इसी से pocket create होती है। 
  • Fresh bread और एक साथ बेलना, यही इसका key point है, इसे ज़रूर से follow करना है।
  • आप healthy variant चाहें तो, brown bread use कर सकते हैं।
  • अगर आप के पास cookie cutter न हो तो, glass या कटोरी से भी ring काट सकते हैं।
  • Veggies, slightly ही पकाएं, जिससे उसमें crunchy texture बना रहे। तभी अच्छा taste आता है।
  • हमने pizza pocket बनाया है, इसलिए stuffing के लिए pizza topping वाले ingredients लिए हैं। अगर आपको और variants के options देखने हैं, तो वो आपको इस post में सबसे नीचे मिलेंगे।
  • आप sauce भी different flavours के लें सकते हैं। Hung curd की जगह hummus की filling भी use कर सकते हैं।
  • Stuffing prepare करते हुए ध्यान रखिएगा कि नमक slurry में भी है, और cheese slice में भी, तो filling में salt ऐसा पड़ना चाहिए, जो assembling के बाद भी salt balanced रहे। 
  • जितनी बार भी bread pockets, fry करने के लिए डालें, ध्यान रखिएगा कि घी तेज गर्म रहे, नहीं तो bread ज़्यादा घी soak कर लेगी।
  • घी की जगह, olive oil or refined oil भी ले सकते हैं, पर घी में fry करने से taste enhance हो जाता है। 
  • Bread pockets एक बार पलट देने के बाद ही फूलती है। तो बिल्कुल भी panic न करें कि आप की ring पूड़ी जैसी फूल नहीं रही है।
  • Bread pockets के नहीं फूलने के दो ही कारण हो सकते हैं, या तो वो proper बनी न हो, कहीं से खुली रह गई हो, या ठंडे घी या तेल में डाल दी गई हो।
  • आप bread pockets बना कर fridge में रखकर store कर सकते हैं, और serving से पहले fry कर लें।
  • एक बात याद रखिएगा, कि filling pockets fry करने से पहले ready होनी चाहिए, जिससे pocket का crispy and crunchy texture, serve करने तक intact रहे। 
  • इसे बनाने में चटनी, sauce or dips की coating, pocket wall में कर देते हैं, इसलिए यह complete dish होती है।


D) Flavours/Variants :

  • Aloo masala (like samosa & kachori)
  • Matar masala
  • Paneer masala
  • Mushroom masala
  • Chocolate filling
  • Khoa/Mawa filling
  • Paneer filling (sweet)
  • Custard filling
  • Cream filling


फिर सोच क्या रहे हैं, अपने मनपसंद flavour की pocket create कीजिए, और गर्मागर्म coffeeके साथ इसका लुत्फ उठाएं... 

आज pizza pocket बताया है,अगर आप की demand होगी तो full ingredients and method के साथ और filling की pockets की recipe भी share कर देंगे...

Thursday, 9 January 2025

Poem : हर ओर धुंध

हर ओर धुंध


हर ओर धुंध, और

कोहरा-सा है।


शरद की

कंपकंपाती शीत में,

एक अनभिज्ञ

पहरा-सा है।


हाथ को हाथ

नहीं सुहाता है,

प्रभात हो चुका है,

फिर भी अंधेरा-सा है।


रवि अपनी रश्मि संग,

है अभ्र में आया,

पर तिमिर ढलेगा कब,

रहस्य यह गहरा-सा है।


न पक्षी का कलरव,

न वृक्षों में हलचल,

न नदियों में कल-कल, 

प्रकृति में मौन ठहरा-सा है।


हर ओर धुंध, और

कोहरा-सा है।

Tuesday, 7 January 2025

Short Story : खाली हाथ

खाली हाथ


एक बहुत ही सिद्ध गुरु जी थे। वो शहर-शहर, गांव-गांव जाकर लोगों में ईश्वर भक्ति का प्रचार-प्रसार किया करते थे। 

क्योंकि वो बहुत ज्ञानी भी थे, तो उनके पास लोग अपने कई तरह के प्रश्न भी पूछने के लिए आया करते थे। गुरु जी बड़े मनोयोग से उनके पूछे हुए प्रश्नों के उत्तर दिया करते थे।

एक दिन उनके पास एक दस साल का बच्चा आया, और उसने बहुत ही सहज, किन्तु क्लिष्ट प्रश्न पूछे...

गुरु जी, मनुष्य खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही लौट जाता है, क्यों?

और दूसरा प्रश्न यह है, कि जब खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना है तो इतना परिश्रम करके धनार्जन क्यों करना है?

प्रश्न तो बहुत सहज थे, पर उसके उत्तर में गूढ़ रहस्य था, अतः गुरु जी ने कहा कि मैं तुम्हें बताता हूं, पर उसके पहले तुम यह समझो कि ईश्वर स्वयं नहीं आते हैं, किन्तु उन्होंने धरती को सुरक्षित और सम्पन्न करने के लिए एक रिश्ता बनाया है और वो रिश्ता है माता-पिता का....

तो तुम्हारा पहला प्रश्न कि हम खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ जाते हैं, क्यों?

तो उसका जवाब यह है, कि हमारे जन्म लेने से पहले ही हमारे मां-पापा, हमारे जीवन से जुड़े सभी कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए धनार्जन करते हैं। अत: हमें कुछ भी लेकर आने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ईश्वर ने हमारे जन्म लेने से पहले ही हमें सुरक्षित हाथों में सौंप दिया होता है, सब तरह की व्यवस्था के साथ...

और खाली हाथ इसलिए जाते हैं, क्योंकि ईश्वर के पास पहुंचने के पश्चात् हमें किसी भी तरह की व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके पास हर चीज़ के इतने साधन है कि किसी भी और को कुछ लाने की जरूरत ही नहीं है।

अब बात दूसरी है कि जब खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ ही जाते हैं, तो इतनी मेहनत करके धनार्जन क्यों करना है?

तो उसका जवाब यह है, कि जिस तरह से तुम्हारे मां-पापा ने तुम्हारे जन्म से पहले मेहनत से धनार्जन करके जीवन को सुरक्षित किया था, वैसे ही तुम अपनी संतान के लिए करो।

जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी कुल सुचारू रूप से चल सके, धरती पर भी जीवन सुगमता पूर्वक व्यतीत किया जा सके।

ईश्वर के द्वारा बनाई गई सृष्टि सुचारु रूप से चल सके। 

बाकी इंसान आता खाली हाथ है, पर जाता खाली हाथ नहीं है, जो मेहनत और ईमानदारी से कर्म करता है, वो अपने संग अपनों की संतुष्टि और प्रेम लेकर जाता है।

और जो जीवन पर्यन्त कामचोरी करता है, नकारा रहता है, वो अपने संग अपनों की असंतुष्टी और घृणा लेकर जाता है।

और यह बात भी पूर्णत: सत्य है कि जो मनुष्य अपने कर्म पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ करता है, बस वही ईश्वर के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त करता है।

इसीलिए, यह सोच कर कि खाली हाथ ही तो जाना है, इतनी मेहनत क्यों करनी... ऐसा बिल्कुल न करना, बल्कि मेहनत और ईमानदारी से कर्म करना, वही मोक्ष का द्वार है, बस इतना ध्यान जरूर रखना चाहिए कि धनार्जन करने में झूठ, छल, कपट, आदि नहीं होना चाहिए, ऐसा कोई कार्य नहीं होना चाहिए, जिससे किसी और की कुछ हानि हो या दिल दुखे...

Monday, 6 January 2025

Superstition : आँखों का फड़कना

आज एक ऐसे topic पर लिख रहे हैं, जिसको अधिकतर लोग superstition के रूप में न लेकर वास्तविक रूप में अधिक लेते हैं।

और वो बात है, आँखों का फड़कना (twitching)... आपका क्या सोचना है, इस बात को लेकर...

अच्छा, एक बात और है कि आंख कौन सी फड़क रही है, और किस की, मसलन gents की या ladies की, इससे पूरी बात ही बदल जाती है।‌

धारणा के मुताबिक, left अंग फड़कना ladies का और right अंग फड़कना gents का अच्छा माना जाता है।

तो चलिए, जो धारणा चली आ रही है, आँखों के फड़कने की, पहले उसे ही देख लेते हैं।

आँखों का फड़कना



1) पुरुषों की बाईं आँख फड़कना :

पुरुषों में left आँख का फड़कना अशुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि किसी दुश्मन से लड़ाई हो सकती है या फिर future में कोई परेशानी बढ़ सकती है।

बाईं आँख फड़कने का मतलब tension, fear, शोक, लड़ाई आदि की ओर इशारा भी होता है।


2) महिलाओं की बाईं आँख फड़कना :

स्त्रियों में left आँख का फड़कना शुभ माना जाता है।

इसे शुभ समाचार, सुख, सौभाग्य, और धन लाभ का संकेत माना जाता है। इसके अलावा यह किसी नई चीज़ की शुरुआत, कोई नया सामान मिलना, किसी नए मेहमान का आना, present पर focus करना और past के बारे में बहुत ज़्यादा न सोचना जैसी बातों का भी संकेत हो सकता है।


3) महिलाओं की दाईं आँख फड़कना :

Right आँख का फड़कना महिलाओं के लिए अशुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि उन्हें mental तनाव या health-related problem हो सकती है।


4) पुरुषों की बाईं आँख फड़कना :

पुरुषों के लिए right आँख का फड़कना अति शुभ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि भविष्य में आपको धन लाभ होने वाला है। अगर पुरुषों की right आँख की upper eyelashes और eyebrows फड़कती हैं, तो माना जाता है कि उनके मन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और promotion व धन लाभ भी होता है।


यह तो हुई धारणा की बात...

अब जान लेते हैं, कि medically or scientifically, आँखों के फड़कने का क्या कारण है...


5) आँख फड़कने के वैज्ञानिक कारण :

  • Excessive screen time.
  • Lack of sleep.
  • Tension or anxiety.
  • Overconsumption of caffeine (coffee and tea).
  • Deficiency of vitamin B12 and D.
  • Fatigue.


आइए अब आप को बताते हैं कि अगर आंख फड़क रही है और आप उससे बहुत ज्यादा परेशान हैं तो क्या किया जाए, जिससे आप को आराम मिल‌ जाए...


6) आँख के फड़कने से आराम पाना : 

  • Resting the eyes.
  • Massaging the eyes.
  • Going for a walk.
  • Exercising.
  • Talking with relatives/friends.
  • Having a good sleep.
  • Reducing consumption of caffeine.
  • Stopping the consumption of alcohol, tobacco and cigarette.
  • Keeping the eyes half open.


आपको धारणा और scientific reason दोनों ही बता दिया है, अब आप को जो भी अच्छा लगे, उसके अनुसार करें 🙏🏻 

सुखी रहें, स्वस्थ रहें...


Note : अगर आंखें जोर-जोर से फड़क रही हैं, लाल हो रही हैं, या सूजन या पानी गिरने की शिकायत है, तो doctor से सलाह लें।

Saturday, 4 January 2025

Recipe : Oil-Free Mayonnaise

आजकल dining table पर breakfast से लेकर dinner तक, Indian dishes कम, और विदेशी dishes की भरमार हो गई है। 

ख़ासतौर पर बच्चे तो बस burger, sandwich, rolls, pizza etc. ही खाना चाहते हैं। 

और इन सबको खिलाने में भी health factor देखना है, तो इसे घर पर बनाना ज्यादा appropriate है। 

पर बात वही है कि, सबमें mayo लगता है और वो खुद oil से ही बनता है। 

तो लीजिए, आप के लिए oil-free mayonnaise की recipe share कर रहे हैं, जिससे आप carefree होकर बच्चों से बड़ों तक, सबको खिला सकें।

Oil-Free Mayonnaise


A) Ingredients :

  • Almonds - 10 gm.
  • Cashews - 20 gm.
  • Paneer - 50 gm.
  • Lemon juice - ¾ tsp.
  • Table salt - ⅓ tsp. 
  • Black pepper - ¼ tsp.
  • Milk - ¾ cup 
  • Honey - ¼ tsp.


B) Method :

  1. Cashews and almonds को 2-3 hours के लिए पानी में soak करने के लिए रख दीजिए। 
  2. Soak होने के बाद Almond का छिलका उतार दीजिए।
  3. अब jar में काजू, बादाम, और थोड़ा सा दूध डालकर महीन पीस लीजिए।
  4. अब इसमें पनीर, बचा हुआ दूध, नमक, काली मिर्च, शहद डालकर महीन पीस लें। 

Your tasty and healthy Oil-Free Mayonnaise is ready to serve. You can use it in making or enhancing any dish, of your wish. 


C) Tips and Tricks :

  • काजू-बादाम को भिगोकर ही पीसें, जिससे महीन paste बन सके। अगर आप भिगाना भूल गए हैं, तो काजू-बादाम को 10 minutes के लिए गर्म पानी में भिगोकर रख दें।
  • काजू बादाम को पीसते समय, थोड़ा-सा ही दूध डालें, वरना paste महीन नहीं पिसेगा।
  • ध्यान रखिएगा, काजू-बादाम का paste, और पनीर डालकर grind करने के बाद भी smooth paste ही बनना चाहिए। 
  • Nutty या coarse paste नहीं होना चाहिए, वरना mayonnaise का न तो proper texture आएगा, न ही proper taste आएगा।


D) Storage : This mayonnaise must be kept under dry and hygienic conditions, preferably in a refrigerator. It should be consumed within a day or two. 


हमने eggless mayonnaise की recipe भी share की थी, जैसी market में मिलती है, इसलिए उसमें oil use किया था। पर उसमें आपको चार flavour कैसे create किए जाते हैं, वो भी share किया है। उस recipe के लिए इस link पर click करें - Eggless Mayonnaise in four flavours. इसमें आप Oil-Free Mayonnaise को different flavours का कैसे बना सकते हैं, वो भी देख सकते हैं।