Sunday, 26 January 2025

Poem : ऐ देश, तेरे सम्मान में हम

ऐ देश, तेरे सम्मान में हम


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

नित-नित शीश झुकाते हैं।


है गंगा, जमुना, सरस्वती यहाँ,

गोदावरी, नर्मदा, कावेरी यहाँ।

इन नदियों के पावन जल का,

सानिध्य हमेशा पाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,  

नित-नित शीश झुकाते हैं।


हिमराज हिमालय का साया,

रोके रिपु की काली छाया।

कल-कल बहता सागर का जल,

सुख-संपदा हमें दिलाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।


राम और कृष्ण की जन्मस्थली,

संस्कारों से अभिसिंचित है।

इसलिए ही हम भारतवासी, 

स्वतः संस्कारी हो जाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।


वीर शिवाजी, झांसी की रानी, 

अमर स्वतंत्रता के सेनानी। 

इनके शौर्य की कथा सुनकर,

ओज से हम भर जाते हैं।। 


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम, 

नित-नित शीश झुकाते हैं।


अध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान, 

भारत का सबमें सर्वोच्च स्थान। 

यह सोच-सोच, हम भारतवासी,

गौरवान्वित हो जाते हैं।।


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।


हर क्षण प्रयत्न हमारा यही रहे,

विश्व विजयी भारत बने।

गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर,

हम प्रण यही उठाते हैं। 


ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,

 नित-नित शीश झुकाते हैं।।


🇮🇳 आप सभी को 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳

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