ऐ देश, तेरे सम्मान में हम
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।
है गंगा, जमुना, सरस्वती यहाँ,
गोदावरी, नर्मदा, कावेरी यहाँ।
इन नदियों के पावन जल का,
सानिध्य हमेशा पाते हैं।।
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।
हिमराज हिमालय का साया,
रोके रिपु की काली छाया।
कल-कल बहता सागर का जल,
सुख-संपदा हमें दिलाते हैं।।
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।
राम और कृष्ण की जन्मस्थली,
संस्कारों से अभिसिंचित है।
इसलिए ही हम भारतवासी,
स्वतः संस्कारी हो जाते हैं।।
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।
वीर शिवाजी, झांसी की रानी,
अमर स्वतंत्रता के सेनानी।
इनके शौर्य की कथा सुनकर,
ओज से हम भर जाते हैं।।
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।
अध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान,
भारत का सबमें सर्वोच्च स्थान।
यह सोच-सोच, हम भारतवासी,
गौरवान्वित हो जाते हैं।।
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।
हर क्षण प्रयत्न हमारा यही रहे,
विश्व विजयी भारत बने।
गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर,
हम प्रण यही उठाते हैं।
ऐ देश, तेरे सम्मान में हम,
नित-नित शीश झुकाते हैं।।
🇮🇳 आप सभी को 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳
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