भलाई
भलाई, “आखिर क्यों? हमने तो नहीं कहा था”, यही सुनने को मिलेगा।
कहते हैं, आज कल भलाई का
ज़माना नहीं है।
सच इन घटनाओं के बाद तो यही लगता है।
1. रीमा बहुत ही soft heart की है, उसके यहाँ दो maid काम
करती थीं। उस साल ठंड बहुत
पड़ रही थी, हाथ-पैर ठंड से गले जा रहे
थे। रीमा ने सोचा, अब से ठंड के लिए दोनों maid के 200 रुपए बढ़ा दिये जाएँ। उसने दोनों maid से बोला, मैंने सोचा है, ठंड में काम करना कठिन होता है। तो
अब से हर ठंड के तीन महीने तुम लोगों को 200 रुपए extra दे
दूँगी। दोनों बड़ी खुश हुईं, बोलीं आप से अच्छी कोई madam
नहीं हैं। तीन महीने तक रीमा ने 200 रुपए extra दिये। तीन महीने बाद से रीमा ने 200 रुपए extra देने
बंद कर दिये, दोनों maid को ये बात खल
गयी। उन्हें ये लगने लगा, उनके 200 रुपए काट दिये गए हैं। एक
एक करके दोनों ने बहाना बना कर काम छोड़ दिया, काम छोड़ते समय
उन्हें रीमा की भलाई नहीं याद रही, कि रीमा ने उनकी ठंड के
समय की तकलीफ समझते हुए सिर्फ तीन महीने के लिए ही 200 रुपए बढ़ाए थे। उसके बाद से
रीमा फिर किसी भी maid के साथ, वो भलाई
ना कर सकी।
2. नीरजा और विनीत के घर, जो maid
काम करती थी। उसकी एक बेटी थी, जिसकी पढ़ाई का
खर्चा उठाना उसके लिए बहुत मुश्किल होता था। वो आए दिन नीरजा से बोला करती दीदी, मेरे पास घर चलाने के पैसे पूरे नहीं पड़ते, उसमें से
फिर इसकी पढ़ाई का खर्च! कैसे इसे पढ़ाऊँ, समझ ही नहीं आता है।
maid की बेटी बड़ी होनहार थी, उसे पढ़ने
का बहुत शौक था। नीरजा और विनीत ने निर्णय लिया, उसकी बेटी
की पढ़ाई के खर्च की ज़िम्मेदारी वो लोग ले लेंगे। उन्होंने अपनी maid को बेटी की पढ़ाई के लिए 1500 रुपए देने शुरू कर दिये। maid और उसकी बेटी दोनों बहुत खुश हो गए। 2 महीने बाद ही maid ने कहा, madam आप तनख्वा बढ़ा कर
दो, इतने में पूरा नहीं पड़ता है। नीरजा बोली, हम तुम्हें
पहले ही कम नहीं दे रहे हैं, फिर बेटी की fees के रुपए भी दे रहे हैं। वो बोली, मैंने तो नहीं कहा
था। अब उसकी fees के पैसे से घर तो नहीं चलाऊँगी। दुगनी
तनख्वा दोगी, तो ठीक, नहीं तो ढूंढ
लेना दूसरी। नीरजा ठगी से उसे देखती रह गयी। वो समझ गयी,
भलाई का कोई मोल नहीं है। वो maid चली गयी, पर फिर नीरजा ऐसी भलाई, किसी के साथ ना कर सकी।
3. गगन हमेशा यही सोचता था, सबके लिए
एक सा व्यहवार होना चाहिए, फिर चाहे कोई गरीब हो या अमीर।
उसके घर में एक लड़की उसके दो बच्चों के देखरेख के लिए रहती थी। वो उन बच्चों के ही
समान उस लड़की की भी birthday मानता,
उसके लिए भी यदाकदा तोहफे लाता। कभी वो लोग घूमने जाते, तो साथ
में उसे भी ले जाते। कहने का तात्पर्य है, वो उस लड़की के साथ
भी अपने बच्चों सा व्यहवार करता।
कुछ दिन बाद उस लड़की की माँ बोली, अब मेरी
बेटी आपके घर काम नहीं करेगी। गगन को कुछ समझ नहीं आया, आखिर
क्यों? पूछने पर उसकी माँ बोली। मेरी बेटी को दूसरे घर से और
ज्यादा पैसे मिल रहे हैं, और दिन भर रहना भी नहीं पड़ेगा, तो वो ज्यादा लोगों के घर काम कर पाएगी, तो बहुत
ज्यादा पैसा कमाएगी। पर हम तो तुम्हारी लड़की को अपनी बेटी जैसा ही प्यार और मान
देते हैं। कितनी जगह साथ में घूमने गयी, तुमने कभी उसका birthday
नहीं मनाया, वो भी हम मनाते हैं। खाना-पीना, पहनना- ओढ़ना सब कितना अच्छा किया, किसी बात की कमी
नहीं की। वो बोली देखो साहब, मैंने नहीं कहा था, ये सब करने को। मुझे अपनी बेटी को ज्यादा जगह काम करना है, तो अब वो आपके घर काम नहीं कर सकेगी, ये कह कर वो
उसे ले गयी। गगन सोचता रह गया, क्या भलाई करके उसने गलत कर
दिया।
ऐसा नहीं है, ऐसा maid लोगों के साथ ही होता है, ऐसा आपको अपने आस-पास भी
देखने को मिलेगा।
- किसी के आने से आप अपना program change कर दीजिये, वो ये नहीं सोचेगा,
आप कितने अच्छे हैं, बल्कि कहेगा, हमने
तो नहीं कहा था।
- किसी के आने की news मिलने
से, आप भूखे रहिए, कि साथ खाएँगे। तो
वो ये नहीं सोचेगा, आपको उसका अकेले बैठ कर खाना अच्छा नहीं
लग रहा था, बल्कि वो यही कहेगा, इन्हें
भूख नहीं लग रही होगी, या इनसे भूख सहन होती है, तभी तो रुके थे।
- किसी को job, promotion या transfer दिलवा दीजिये, तो
वो आपका गुणगान नहीं करेगा, बल्कि आपसे कन्नी काटने लगेगा, कि सामने पड़ेंगे तो काम करना पड़ेगा।
- आप लोगों के साथ social रहें, तो कोई ये नहीं कहेगा, इसे रिश्तों की कितनी परवाह
है। बल्कि ये ही सुनने को मिलेगा, कोई काम धाम नहीं है इसके
पास, तभी तो सबको वक़्त देता रहता है।
- लोगों की रुपए-पैसे से मदद करेंगे, तो कोई ये
नहीं कहेगा, कि इसके लिए पैसों से बढ़कर रिश्ते हैं, इंसानियत है। बल्कि यही सुनने को मिलेगा, रुपए की धौंस
दिखाता फिरता है। जरूर, ऊपर की कमाई करता होगा, black money जमा कर रखी होगी, तभी तो.....
तो जनाब! भलाई का कोई मोल नहीं है, फिर भी
आपको करनी है, तो अपनी खुशी के लिए करिए। शायद आप जैसे कुछ
लोगों के कारण ही आज भी इंसानियत जीवित है।