Wednesday 31 July 2019

Article : हम जैसे भी हैं


हम जैसे भी हैं


कभी कभी मोदी, योगी, रामदेव इन सब को देखकर लगता है, कहाँ हम शादी -बच्चों के चक्कर में पड़ गए? हम भी इन झंझटों में ना फँसे होते तो आज हम भी बड़े काम और नाम वाले होते। 

क्यों, लगता है ना आपको भी कभी?

तो जनाब, हर कोई मोदी, योगी नहीं बनता है, इन्हें भी यहाँ तक पहुँचने में सालों का तप करना पड़ा है।

सफल तो शादीशुदा और परिवार वाले भी हुए हैं, टाटा, अंबानी, बच्चन, धोनी, सचिन। ये सभी शादीशुदा हैं, और इनके बच्चे भी हैं।

पर इनकी मेहनत भी इन्हें सफलता के मुकाम पर ले गयी।

सफलता दूसरों को कोसने या उन्हें किस्मत वाला मानने से नहीं मिलती है। ना ही अपने को बेचारा और बदकिस्मत मानने से मिलती है।

हम जैसे हैं, वैसे ही रहकर हमे मेहनत करनी होगी, वो भी सतत।

मेहनत तो लोग कर भी लेते हैं, पर सतत करते रहना, वो कठिन है। और हम से यही, नहीं हो पाता है।

वही कारण है, कि हम मोदी, रामदेव, बच्चन, धोनी, सचिन बनने से रह जाते हैं।

बाकी कोशिश इनके जैसा बनने की होनी भी नहीं चाहिए, क्योंकि कोई किसी के जैसा नहीं बन सकता। यहाँ तक कि आप अपने माँ- पापा जैसे नहीं बन सकते, तब किसी और जैसा बनने की कल्पना भी क्यों?

बनना है तो ऐसे बनिए, कि सब आप जैसे बनना चाहें। क्योंकि आप सफल भी तभी कहलाएंगे, जब आप किसी के जैसे ना बने हों, बल्कि सब आप जैसा बनना चाहें।

तो आप जैसे हो, कुँवारे, शादीशुदा, या अकेले रह गए हों। उससे सफल होने में, कोई अन्तर नहीं आता है। वैसे ही आगे बढ़ें, सफल बनें, संतुष्ट रहें। क्योंकि ईश्वर ने भी सबको एक ही काम के लिए नहीं भेजा है।

अपनी राह सबसे अलग बनाएँ, राह सुगम होगी, तो कारवाँ तो बन ही जाएगा।

Tuesday 30 July 2019

Story Of Life : सावन का तोहफा(भाग- 4)




 सावन का तोहफा(भाग- 4)


दो दिन बाद, नितिन छत पर बारिश में भीगते हुए गा रहा था “लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है.....   

तभी घंटी बजी, और चंद मिनटों बाद, नेहा के भैया, छत पर नितिन के सामने एक चिट्ठी ले कर खड़े थे। उन्होंने चिट्ठी नितिन को देते हुए बोला, ये तुम्हारी भाभी ने दी है।

चिट्ठी! नितिन ने आश्चर्य से भरकर चिट्ठी पढ़नी शुरू की, उसमें लिखा था, नितिन जी, आपको सावन का तोहफा भेज रही हूँ, पर इस वादे के साथ कि, आप भी हमें रक्षाबंधन में जरूर से तोहफा देंगे।

नितिन चिट्ठी पढ़कर भैया की तरफ आश्चर्य से देखने लगा, भैया तोहफा तो भाई, बहन को देते हैं, तब मैं क्यों दूंगा?

भैया बोले, अरे नितिन जी, आप नीचे चलकर अपना तोहफा देख लीजिये, फिर सोचिएगा क्या करना है?

नीचे नेहा अपनी सास के साथ बैठी थी, नेहा को देखते ही नितिन समझ गया, कि भाभी ने क्या लिखा है।

उसी रात ही नितिन ने बहुत ही सुंदर कमरा सजाया, नेहा को gown gift किया। song भी वही बज रहा था “मोहब्बत बरसा देना तू, सावन आया है.....

2 हफ्ते बाद वो नेहा के साथ, पहले अपनी बहन के घर, फिर अपने ससुराल गया, बहुत ही धूम से राखी मनाई गयी। नितिन ने भाभी से कहा, आपका सावन का तोहफा मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगा। “भाभी हो तो ऐसी”, नेहा ने नितिन के स्वर में स्वर मिलते हुए कहा। 

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Monday 29 July 2019

Story Of Life : सावन का तोहफा (भाग- 3)


सावन का तोहफा (भाग-1)...... और 

सावन का तोहफा (भाग-2)........ के आगे की कहानी 



सावन का तोहफा (भाग- 3)


नितिन जब office से घर आया, नेहा जाने को तैयार खड़ी थी। नितिन का ये देखकर दिल टूट गया, उसने सावन को लेकर बहुत सारे plan किए थे।

वो बहुत सुंदर night gown लाया था, उसने सोचा था, आज ही रात इस romantic song के साथ

मोहब्बत बरसा देना तू, सावन आया है..... नेहा को gown gift करेगा।

पर घर में तो, दूसरा ही माहौल था। नेहा अपने मायके चली गयी।

अब तो नितिन और नेहा दोनों को एक-एक दिन काटना भारी पड़ रहा था। 

एक दिन आखिरकर नितिन अपने ससुराल पहुँच ही गया। 

नेहा के घर वाले थोड़ा पुरानी सोच वाले थे, उन्होंने नितिन को नेहा के भाई के कमरे में रहने को बोल दिया, ये तो और भी बुरा था, साथ तो थे, पर साथ नहीं। उसी समय दूर बजता गाना, नितिन को और दुखी कर रहा था
 “अबकी सजन सावन में...... मिल ना सकेंगे दोनों, एक ही आँगन में.....

एक दिन में ही दुखी होकर नितिन वापस चला गया, नेहा भी तड़प के रह गयी। 

नेहा ने कभी सोचा भी नहीं था, कि कभी उसे मायके से ज्यादा ससुराल पसंद आएगा. नेहा की भाभी को नेहा की मनोदशा समझ आ गयी, उनकी और नेहा की बहुत पटती भी थी। दोनों ननद-भाभी कम, बहनें ज्यादा लगती थीं।

भाभी ने नेहा के भैया से बोला, आपको हमारा पहला सावन याद है? भैया बोलेकैसे भूल सकता हूँ, उस तड़प को!

तो भाभी बोली, आज मैं आप से अपने पहले सावन का तोहफा 
चाहती हूँ, देंगे?

आज 3 साल बाद!

हाँ, देंगे ना?

अच्छा बोलो, क्या चाहिए?

आप माँ जी से बात करके, नेहा को उसके ससुराल छोड़ आइये ना, आपको आपके पहले सावन के तड़प की कसम।

कैसी बात करती हो? माँ नही मानेंगी......। 

फिर कुछ दिन बाद राखी भी है, मेरी एक ही तो बहन है। उसे भी छोड़ आऊँ, तो मेरी कलाई सूनी ना रह जाएगी?......

एक तरफ सूनी कलाई, दूसरी तरफ साजन से जुदाई, क्या है नेहा की किस्मत में, जानते हैं सावन का तोहफा (भाग- 4)

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Friday 26 July 2019

Poem : कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस




सन् निन्यानबे में फिर सेना ने
भारत को विजय दिलाई थी
दूर खदेड़ दुश्मन को
फिर से धूल चटाई थी
60 दिन तक युद्ध चला
एक वीर ना सोया था
जीत दिलाने तक सबने
अपना सुख चैन खोया था
युद्ध में भारतीय सेना ने
ऐसे दांत किए थे खट्टे
पुनः युद्ध करने को फिर
ना हो सके पाकिस्तानी इकठ्ठे
उन वीर सैनानियों की शहादत को
स्मरण करने का दिन आया है
कारगिल विजय दिवस पर
तिरंगा फिर से लहराया है
शांति का प्रतीक है भारत
मानवता का नारा है
सर्वे भवन्तु सुखिन:
यह संदेश हमारा है
जय हिन्द जय भारत 

Thursday 25 July 2019

Story of life : सावन का तोहफा (भाग -2 )

 सावन का तोहफा ( भाग -1) के आगे........
 सावन का तोहफा (भाग -2 ) 

नितिन की बहन नितिन के लिए एक रिश्ता ले कर आई थी, उसने माँ से कहा, अगर नितिन को ये लड़की पसंद आ जाए तो इसी साल में नितिन की शादी कर देना।

माँ बोली, इस लड़के को कोई लड़की पसंद आए तब ना! एक की भी तो फोटो नहीं देखता है। ये कह कर माँ ने तस्वीर table पर ही रख दी। 

नितिन उसी समय office से आया था, उसके घर के अंदर आते से ही वो तस्वीर नितिन के पास उड़ के आ गयी। नितिन ने जैसे ही तस्वीर देखी, तो देखता रह गया, ये तो उसी अंजान हसीना की फोटो थी।

नितिन ने माँ को फोटो देते हुआ पूछा, माँ ये फोटो यहाँ कैसे है? 

नितिन की बहन ने चिढ़ाते हुए बोला, माँ नितिन तो कोई फोटो देखता नहीं है, इसलिए फोटो खुद ही दिखने पहुँच गयी, अब तो इसी से रिश्ता कर देना।

माँ को भी लड़की पसंद आ गयी, नितिन और नेहा की शादी April में हो गयी।

नितिन और नेहा इस कदर एक दूसरे से प्यार करते थे, कि दोनों को ही दुनिया-जहान से मतलब ही नहीं था। 

नितिन की बहन तो दोनों को चिढ़ती भी थी, कि नेहा और नितिन की शादी हुई है, कि लोहे और चुम्बक की? जब देखो एक दूसरे से चिपके रहते हैं। नेहा क्या आई, अब नितिन का तो सारा नेह उसी को मिलता है, कुछ अपने जीजा जी को भी सीखा दे।

नेहा का जैसा नाम था, वैसी ही वो थी भी, अपने ससुराल वालों का बहुत मान करती थी, हर काम में भी निपुण थी। दिन हँसी-खुशी गुजर रहे थे।

एक दिन नेहा की माँ का फोन, नेहा की सास के पास आया। सावन आ गया है, पहले सावन बेटी मायके आती है, क्या आप उसे भेज देंगी?

कहीं दूर गाना बज रहा था  सावन के झूले पड़े, तुम चले आओ......

नेहा को अपने मायके के सावन के झूले याद आने लगी। नेहा की सास ने हामी भर दी, नेहा जाने की तैयारी करने लगी। 

नितिन जब office से घर आया, नेहा जाने को तैयार खड़ी थी। नितिन का ये देखकर दिल टूट गया, उसने सावन को लेकर बहुत सारे plan किए थे।

क्या थे नितिन ने plan, जानते हैं सावन का तोहफा (भाग -3 )


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Wednesday 24 July 2019

Story of life : सावन का तोहफा



सावन का मस्त महीना चल रहा है, पिछले साल सावन में गीतों से सजी कहानियाँ, लोगों ने बहुत पसंद की थी तो इस सावन में एक बार फिर गीतों से सजी कहानी प्रस्तुत है, इसके भी सभी अंक का आनंद लेकर मुझे कृतार्थ करें  

सावन का तोहफा  


नितिन office से bike से लौट रहा था, आज रात भी हो चली थी, तभी अचानक से बहुत ज़ोर से बारिश शुरू हो गयी। नितिन को लगा इतनी तेज़ बारिश में रात में bike चलाना safe नहीं होगा। 

तभी उसे shed दिखाई दी, जहां कुछ लोग बारिश से बचने के लिए खड़े भी थे। 

उसने भी अपनी bike side में लगाई, और shed में चला गया। अभी वो shed में आया ही था, कि एक भीगा हुआ दुपट्टा उसके गाल से टकरा गया। 

उसने उसे हटाया, तो सामने उसे बहुत ही खूबसूरत सी लड़की अपने बालों से पानी झटकती हुई दिखी। उसके गोरे गालों में घुँघराली लटकती हुई लटें, तो उसे और ही बला की खूबसूरत बना रही थीं। 

नितिन को एक पल को तो ये लगा वो किसी अप्सरा को देख रहा है। और उसके मन में यह गीत बज रहा था,

ना झटको ज़ुल्फ से पानी, यह मोती टूट 

जाएंगे......

थोड़ी देर में बारिश मद्धम पड़ गयी, सभी अपनी अपनी राह को हो लिए। पर नितिन अभी भी एक टक उसी लड़की को देखे जा रहा था।

तभी वो लड़की नितिन के पास आई, और बोली, क्या आप मुझे घर तक छोड़ देंगे? सब तरफ इतना पानी भर गया है, कि कोई auto भी नहीं मिलेगा। 

पर नितिन तो उसमें ऐसा खोया था, कि उसने सुना ही नहीं कि उस लड़की ने क्या कहा।

लड़की ने नितिन को झकझोर के कहा, जी आप मुझे अपनी bike से छोड़ देंगे? नितिन भड़भड़ा गया  

लड़की ने फिर कहा, क्या आप सुन नहीं सकते हैं? जी मेरा घर कुछ दूर ही है। पर वहाँ बहुत पानी भर गया होगा, इसलिए कोई auto नहीं मिलेगा। क्या आप मुझे घर छोड़ देंगे?

“जी बिल्कुल” नितिन अपने मन की खुशी छिपाते हुए बोला।

Bike से उस लड़की का घर चंद मिनटों की दूरी पर था। नितिन ने उसे घर तो छोड़ दिया, पर उस लड़की की यादों ने नितिन का दिल नहीं छोड़ा।

अब तो नितिन बस यही गाता रहता,ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात, एक अंजान हसीना से मुलाक़ात की रात.....

आगे पढ़े, सावन‌ का तोहफा( भाग -2) में.....


सावन से जुड़ी और कहानियों के लिए पढ़ें ...
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Tuesday 23 July 2019

Kids Story : Advay the Hero : Tiffin


Advay the Hero : Tiffin


Advay के school में ये rule था कि हर दिन nutritious food ले जाना रहता था, केवल Friday को ही कुछ भी, biscuit, cake, chips ले जा सकते थे।

पर इधर कुछ दिन से रंजना रोज Friday वाला ही Tiffin ला रही थी। और सबसे छुप छुप के tiffin finish करती थी। 

एक दिन advay ने उससे पूछ ही लिया, तुम रोज Friday वाला tiffin क्यों लाती हो? और सबसे छुप कर क्यों tiffin finish करती हो?

रंजना रोने लगी। उसको रोता देखकर advay ने पूछा, क्या हुआ रंजना क्यों रो रही हो?

वो बोली मेरी mumma hospital में हैं, पापा को कुछ बनाना नहीं आता है। इसलिए मैं ऐसा Tiffin लाती हूँ। 

Mumma को ठीक होने में अभी दस दिन और लगेंगे। मैं कैसे खाना ला पाऊँगी। Ma’am ने देख लिया तो डांटेगी। Advay बोला, तुम मत रो, Ma’am नहीं डाटेंगी।     

Advay अपने friends के पास गया। उसने सबसे बोला रंजना की mumma की तबीयत खराब है। दस दिन में वो ठीक हो जाएंगी। दस में से पाँच दिन की छुट्टी है। 

अगर हम लोग उसके लिए Tiffin ले आएंगे, तो उसकी डांट नहीं पड़ेगी। दीपिका बोली, मैं रोज ज्यादा खाना लाऊँगी तो, mumma डांटेगी। अक्षय ने भी दीपिका की हाँ में हाँ मिलायी।

Advay बोला पाँच दिन है, हम भी पाँच है। अपने मम्मी- पापा को बता देंगे, कि हम रंजना की help कर रहे हैं। वो डाटेंगे नहीं, बल्कि हमारी help करेंगे। 

रोज हम में से एक ही friend ज्यादा खाना लाएगा। तो हम लोगों की घर में डांट नहीं पड़ेगी, और रंजना की school में। वरुण और यश ज़ोर से चिल्लाये, क्या idea है। 

दीपिका और अक्षय भी ready हो गए।

रंजना को रोज खाना मिलने लगा। वो बहुत खुश थी, पाँच दिन गुजर गए। स्कूल की छुट्टी हो गयी।

जब स्कूल खुला रंजना अपना Tiffin लाई थी, उसकी mumma ठीक हो गईं थीं। 

वो सबके लिए chocolate लायी थी। उसने सबको chocolate दी, और कहा mumma ने सबको thank you बोला है। 

Advay को दो chocolate ज्यादा दी, क्योंकि advay के कारण ही उसे खाना मिल रहा था, और ma'am से डांट भी नहीं पड़ रही थी।

Advay ने एक chocolate रख ली, बाकी अपने friends और रंजना के साथ share कर ली। सारे friends बोले

East or west, Advay is the best


Monday 22 July 2019

Bhajan : महीना सावन का आया (Devotional)

महीना सावन का आया




सब हो जाओ तैयार,
हो जायेगा, बेड़ा पार;
महीना सावन का आया। 
महीना सावन का आया।  
डमरू ले, महादेव तैयार,
बहती, गंगा की धार;
महीना सावन का आया। 
महीना सावन का आया। 
काँवर, हो गए तैयार, 
जाने को, हरिद्वार; 
महीना सावन का आया। 
महीना सावन का आया
चलो, महादेव के द्वार,
भर देंगे, खाली भंडार; 
महीना सावन का आया। 
महीना सावन का आया
भोले, भक्ति करना स्वीकार,
कर देना, प्रभु उद्धार;
महीना सावन का आया। 
महीना सावन का आया


हमने ये भजन इस  धुन पर बनाया, आप चाहे तो इसे अपनी बनाई धुन पर भी गा सकते हैं।  
  

Friday 19 July 2019

Recipe : Café style hot coffee

The delight of rainy season doubles with hot snacks and a café style hot coffee. And for it, many of us usually go to costly cafés. But today I'm here with the recipe of café style hot coffee, which will surely reduce those café bills, without compromising your taste.

Café style hot coffee




For 2 person 

Ingredients:

Nescafe Classic Instant Coffee ½ tsp
Sugar     2 tsp
Water     1 tsp (I repeat- only 1tsp)
Milk     2 cups
chocolate powder : optional

Method:

  1. Take coffee powder, sugar and water (1 tsp) in a cup.
  2. Whip briskly, with a spoon, till it becomes creamy. 
  3. If you are unable to move the spoon, then you may add only  ½ tsp of water to it; but don't exceed this further.
  4. Divide this mixture into two cups.
  5. Add hot milk to it.
  6. Mix it gently and your Cafe style hot coffee is ready.
  7. Now you can decorate it with chocolate powder.

Note:

  • You may change the ratio of coffee powder and sugar as per your taste.
  • Always try to use fresh coffee powder its give more authentic taste and aroma, so its better to use Rs.2/- sachets.  

Thursday 18 July 2019

Article : भलाई


भलाई


भलाई, “आखिर क्यों? हमने तो नहीं कहा था”, यही सुनने को मिलेगा।  

कहते हैं, आज कल भलाई का ज़माना नहीं है।

सच इन घटनाओं के बाद तो यही लगता है।

1. रीमा बहुत ही soft heart की है, उसके यहाँ दो maid काम 
करती थीं। उस साल ठंड बहुत पड़ रही थी, हाथ-पैर ठंड से गले जा रहे थे। रीमा ने सोचा, अब से ठंड के लिए दोनों maid के 200 रुपए बढ़ा दिये जाएँ। उसने दोनों maid से बोला, मैंने सोचा है, ठंड में काम करना कठिन होता है। तो अब से हर ठंड के तीन महीने तुम लोगों को 200 रुपए extra दे दूँगी। दोनों बड़ी खुश हुईं, बोलीं आप से अच्छी कोई madam नहीं हैं। तीन महीने तक रीमा ने 200 रुपए extra दिये। तीन महीने बाद से रीमा ने 200 रुपए extra देने बंद कर दिये, दोनों maid को ये बात खल गयी। उन्हें ये लगने लगा, उनके 200 रुपए काट दिये गए हैं। एक एक करके दोनों ने बहाना बना कर काम छोड़ दिया, काम छोड़ते समय उन्हें रीमा की भलाई नहीं याद रही, कि रीमा ने उनकी ठंड के समय की तकलीफ समझते हुए सिर्फ तीन महीने के लिए ही 200 रुपए बढ़ाए थे। उसके बाद से रीमा फिर किसी भी maid के साथ, वो भलाई ना कर सकी।

2. नीरजा और विनीत के घर, जो maid काम करती थी। उसकी एक बेटी थी, जिसकी पढ़ाई का खर्चा उठाना उसके लिए बहुत मुश्किल होता था। वो आए दिन नीरजा से बोला करती दीदी, मेरे पास घर चलाने के पैसे पूरे नहीं पड़ते, उसमें से फिर इसकी पढ़ाई का खर्च! कैसे इसे पढ़ाऊँ, समझ ही नहीं आता है। maid की बेटी बड़ी होनहार थी, उसे पढ़ने का बहुत शौक था। नीरजा और विनीत ने निर्णय लिया, उसकी बेटी की पढ़ाई के खर्च की ज़िम्मेदारी वो लोग ले लेंगे। उन्होंने अपनी maid को बेटी की पढ़ाई के लिए 1500 रुपए देने शुरू कर दिये। maid और उसकी बेटी दोनों बहुत खुश हो गए। 2 महीने बाद ही maid ने कहा, madam आप तनख्वा बढ़ा कर दो, इतने में पूरा नहीं पड़ता है।  नीरजा बोली, हम तुम्हें पहले ही कम नहीं दे रहे हैं, फिर बेटी की fees के रुपए भी दे रहे हैं। वो बोली, मैंने तो नहीं कहा था। अब उसकी fees के पैसे से घर तो नहीं चलाऊँगी। दुगनी तनख्वा दोगी, तो ठीक, नहीं तो ढूंढ लेना दूसरी। नीरजा ठगी से उसे देखती रह गयी। वो समझ गयी, भलाई का कोई मोल नहीं है। वो maid चली गयी, पर फिर नीरजा ऐसी भलाई, किसी के साथ ना कर सकी।

3. गगन हमेशा यही सोचता था, सबके लिए एक सा व्यहवार होना चाहिए, फिर चाहे कोई गरीब हो या अमीर। उसके घर में एक लड़की उसके दो बच्चों के देखरेख के लिए रहती थी। वो उन बच्चों के ही समान उस लड़की की भी birthday मानता, उसके लिए भी यदाकदा तोहफे लाता। कभी वो लोग घूमने जाते, तो साथ में उसे भी ले जाते। कहने का तात्पर्य है, वो उस लड़की के साथ भी अपने बच्चों सा व्यहवार करता।
कुछ दिन बाद उस लड़की की माँ बोली, अब मेरी बेटी आपके घर काम नहीं करेगी। गगन को कुछ समझ नहीं आया, आखिर क्यों? पूछने पर उसकी माँ बोली। मेरी बेटी को दूसरे घर से और ज्यादा पैसे मिल रहे हैं, और दिन भर रहना भी नहीं पड़ेगा, तो वो ज्यादा लोगों के घर काम कर पाएगी, तो बहुत ज्यादा पैसा कमाएगी। पर हम तो तुम्हारी लड़की को अपनी बेटी जैसा ही प्यार और मान देते हैं। कितनी जगह साथ में घूमने गयी, तुमने कभी उसका birthday नहीं मनाया, वो भी हम मनाते हैं। खाना-पीना, पहनना- ओढ़ना सब कितना अच्छा किया, किसी बात की कमी नहीं की। वो बोली देखो साहब, मैंने नहीं कहा था, ये सब करने को। मुझे अपनी बेटी को ज्यादा जगह काम करना है, तो अब वो आपके घर काम नहीं कर सकेगी, ये कह कर वो उसे ले गयी। गगन सोचता रह गया, क्या भलाई करके उसने गलत कर दिया।

ऐसा नहीं है, ऐसा maid लोगों के साथ ही होता है, ऐसा आपको अपने आस-पास भी देखने को मिलेगा।
  • किसी के आने से आप अपना program change कर दीजिये, वो ये नहीं सोचेगा, आप कितने अच्छे हैं, बल्कि कहेगा, हमने तो नहीं कहा था।
  • किसी के आने की news मिलने से, आप भूखे रहिए, कि साथ खाएँगे। तो वो ये नहीं सोचेगा, आपको उसका अकेले बैठ कर खाना अच्छा नहीं लग रहा था, बल्कि वो यही कहेगा, इन्हें भूख नहीं लग रही होगी, या इनसे भूख सहन  होती है, तभी तो रुके थे।
  • किसी को job, promotion या transfer दिलवा दीजिये, तो वो आपका गुणगान नहीं करेगा, बल्कि आपसे कन्नी काटने लगेगा, कि सामने पड़ेंगे तो काम करना पड़ेगा
  • आप लोगों के साथ social रहें, तो कोई ये नहीं कहेगा, इसे रिश्तों की कितनी परवाह है। बल्कि ये ही सुनने को मिलेगा, कोई काम धाम नहीं है इसके पास, तभी तो सबको वक़्त देता रहता है।
  • लोगों की रुपए-पैसे से मदद करेंगे, तो कोई ये नहीं कहेगा, कि इसके लिए पैसों से बढ़कर रिश्ते हैं, इंसानियत है। बल्कि यही सुनने को मिलेगा, रुपए की धौंस दिखाता फिरता है। जरूर, ऊपर की कमाई करता होगा, black money जमा कर रखी होगी, तभी तो.....     

तो जनाब! भलाई का कोई मोल नहीं है, फिर भी आपको करनी है, तो अपनी खुशी के लिए करिए। शायद आप जैसे कुछ लोगों के कारण ही आज भी इंसानियत जीवित है।