लम्हे
बड़ी बेपरवाह सी ज़िंदगी
गुजरती है आजकल
यहाँ समय नहीं है
किसी के पास
समय गुजारने के लिए
एक एक लम्हा गुज़ार
देते हैं ऐसे
जैसे किसी से
उधार मांग के लाये हों
ज़रा सा थम जाएंगे
तो किस्त दोगुनी
हो जाएगी
इस कदर भी
मशग़ूलियत कैसी
कि,
एक लम्हा भी
नहीं है, जनाब
अपने ही दिल को
जानने के लिए
ऊपर वाले ने आपको
कीट या पतंगा
नहीं बनाया है
जिनके पास जीने
के लिए लम्हे
ही दो होते हैं
इंसान हैं आप
उसने भी आपको
जीने के लिए
चार
लम्हे दिये हैं
दो लम्हे तो
सुकून से गुज़ार दें
Sahi baat 😀👌👌
ReplyDeleteThank you Ma'am
DeleteWo do lamhe sukun ke ...mil to jayen🤗
ReplyDeleteउन्हें चुरा लेना चाहिए,मसरूफियत के पलों से
Delete😊
Jeevan ki bhaag daud ko bayan krti... khubsurat panktiyan
ReplyDeleteआपके सराहनीय शब्दों के लिए अनेकानेक आभार 🙏🏻😊
DeleteReally , truth of everybody's life
ReplyDeleteThank you Ma'am for your valuable comment
DeleteReally , truth of everybody's life
ReplyDeleteThank you for your appreciation 🙏🏻
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