साँवरी सूरत रूप सलोना
साँवरी सूरत रूप सलोना
ओ हसीना तेरा क्या कहना
ओ हसीना तेरा क्या कहना
नैनों में कैसा जादू भरकर
तूने तो मेरा होश है छीना
जुल्फें सँवारी हैं या
करी जादूगरी है
लगे अप्सरा सी
उतरी कोई है
होंठों पे लाली
माथे पे बिंदिया
चुरा रही है साजन की
निंदिया
प्यार ही प्यार
तेरी आँखों से छलके
साजन भला कैसे
झपकेंगे पलकें
Beautiful Di awesome
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation
DeleteLovely poem
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation
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