गणपति महाराज जी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे, उनकी अनुकंपा से सम्पूर्ण जगत में शुभ हो।
प्रथम-पूज्य देव गणपति बप्पा जी के शुभागमन से सम्पूर्ण भारत में आज से गणेशोत्सव का शुभारंभ हो रहा है।
हालांकि उत्साह, भक्ति और उमंग की लहर सम्पूर्ण भारत में छाई हुई है, पर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की उमंग चरम सीमा पर विद्यमान रहती है।
पर ऐसा क्या कारण है कि महाराष्ट्र में सर्वोपरि उत्सव गणेशोत्सव है?
आज अपने India's Heritage में इसी विषय में विचार करेंगे।
महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रधानता क्यों?
छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा पेशवाओं के समय से गणेश पूजा का सांस्कृतिक महत्व रहा है।
पर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से प्रसिद्धि दिलाने का सारा श्रेय बाल गंगाधर तिलक को जाता है।
विस्तृत रूप से भी देख लेते हैं।
ऐतिहासिक कारण :
• छत्रपति शिवाजी महाराज -
भारत में समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न साम्राज्यों की स्थापना हुई थी।
सन् 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी।
शिवाजी महाराज अपनी मां जीजाबाई के सशक्त, सक्षम और आज्ञाकारी पुत्र थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय मुगलों का लगभग पूरे भारत पर आधिपत्य था। पर छत्रपति शिवाजी महाराज की कोशिश रहती थी कि मुगलों को महाराष्ट्र से उखाड़ फेंकें। बस उसी कड़ी में शामिल हैं, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का आरंभ...
मान्यता है कि शिवाजी महाराज ने अपनी मां जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी, जो मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने का एक तरीका था। इसके बाद मराठा पेशवाओं के युग में भी गणेश पूजा का बड़े भव्य रूप से उत्सव मनाया जाने लगा।
• बाल गंगाधर तिलक -
बात भारत की पराधीनता के समय की है। अंग्रेजों ने सार्वजनिक रूप से लोगों के एकजुट होने पर पाबंदी लगा दी थी। पर उत्सव, विवाह और तीज-त्योहार पर एकत्रित होने पर कोई पाबंदी नहीं थी।
बस इसी बात का लाभ बाल गंगाधर तिलक जी ने उठाया और उन्होंने British शासन के खिलाफ राष्ट्रीय एकता और विद्रोह को बढ़ावा देने के लिए 1893 में गणेश उत्सव को पुणे में सार्वजनिक उत्सव के रूप में पुनर्जीवित कर दिया।
यह अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का एक विशिष्ट तरीका था, क्योंकि तिलक जानते थे कि भारतीय आस्था के नाम पर एक हो सकते हैं। इस उत्सव के माध्यम से उन्होंने हिंदू राष्ट्रवादी एकता को बढ़ावा दिया।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व :
• सामाजिक समरसता -
धीरे-धीरे इस उत्सव की प्रसिद्धि बढ़ती गई, जिससे वह धार्मिक होने के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी प्रतीक बन गया था, जिससे विभिन्न वर्गों के लोग एक साथ आने लगे थे।
• आस्था का केंद्र -
ऐसा क्या था कि गणेशोत्सव की प्रसिद्धि, दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही गई। दरअसल, गणपतिजी को बुद्धि, समृद्धि और भाग्य का देवता माना जाता है, जिसकी कामना हर प्राणी को रहती है। साथ ही नई शुरुआत के लिए भी उनकी पूजा करते हैं। यह आस्था ही महाराष्ट्र में गणेश जी की लोकप्रियता का मुख्य कारण है।
• गणेश मंडल -
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के दौरान बड़े सार्वजनिक मंडल बनाए जाते हैं, जहाँ गणेश जी की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव बहुत ही बड़े scale पर आयोजित किया जाता है। अतः इस उत्सव में दिव्यता और भव्यता दोनों शामिल है। और जहां दोनों शामिल हो, वहां प्रसिद्धि तो अवश्यंभावी है।
गणपति बप्पा मोरया....
गणपति महाराज जी की जय🙏🏻🎉💐
No comments:
Post a Comment
Thanks for reading!
Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)
Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.