Tuesday 31 October 2023

Article : Famous Clothe Markets in Delhi

दीपावली आने वाली है, और उसमें सभी के अरमान होते हैं, नए-नए कपड़े पहनने के...

पर कहा जाता है कि जो बड़े शहर होते हैं, वहाँ जीवन बहुत कठिन होता है, क्योंकि वहाँ खर्चे बहुत ज़्यादा होते हैं। ऐसे में खाने-पीने के खर्चे निकल जाएँ तो बड़ी बात  है, ऐसे में नए कपड़ों के अरमान सजाना, बहुत ही मुश्किल है। पर सच्चाई इससे बिल्कुल इतर है। 

जीवन हर जगह बहुत कठिन है, फिर वो छोटा शहर या बड़ा शहर, पर अगर आप उस शहर के जानकार हैं तो, छोटे क्या, बड़े शहरों में भी जीवन आसान है, क्योंकि हर शहर में महंगे और सस्ते, हर सामान मिलते हैं। 

यह आप पर निर्भर करता है कि आप सामान कहाँ से खरीदते हैं। आप का यही निर्णय यह निर्धारित करता है कि आप को जगह खर्चीली लगती है या किफायती... 

तो चलिए आज आप को एक बड़े और populated शहर दिल्ली ले चलते हैं। दिल्ली एक ऐसा महानगर, जहाँ U.P., M.P., बिहार के साथ अन्य states से भी लोगों का यहाँ आकर, जिंदगी व्यतीत करना एक सपना होता है। 

उसी ऊंची उड़ान भरने वाले महानगर दिल्ली में अगर आप रहते हैं या दिल्ली से अपने घर के किसी बड़े function के लिए, कपड़े आदि लेने हैं तो उसके लिए, हमारा यह article बहुत कारगर सिद्ध होगा।

आज हम आपके लिए, दिल्ली के famous cloth market से जुड़ी सभी बातों को साझा कर रहे हैं।

एक बार, इसे पूरा पढ़ लीजिए, हमारा दावा है कि फिर shopping करने से अपने को रोक नहीं पाएंगी, क्योंकि इससे ज़्यादा reasonable price and best item आप को कहीं नहीं मिलेगा।

दिल्ली का प्रसिद्ध कपड़ा बाजार

 


हम यहाँ आपको, दिल्ली के famous market, उनकी timing and closing day, share करने की कोशिश कर रहे हैं, अगर वहाँ जाकर आपका कार्य सिद्ध हो जाए, तो एक बार Shades of Life के उज्जवल भविष्य के लिए कामना कर लीजिएगा 🙏🏻

जब कभी, कपड़ों की बड़ी shoping करनी हो तो, दिल्ली के Sarojini market का नाम, number 1 category में आता है, तो चलिए शुरुआत उसी से करते हैं।


1. Sarojini Market :

दिल्ली की लड़कियों की जान है ये सरोजिनी मार्केट। यहाँ पर सिर्फ 50 रुपये से कपड़ों की शुरुआत हो जाती है यानी बजट में पूरी shopping। College girls की ये  favourite market है। दिल्ली University, IP, JNU, सभी जगहों से students यहाँ हर दिन shopping के लिए आते हैं। इस market का सबसे best part है bargaining। यहाँ आप अपने मन मुताबिक पैसे कम करवा सकते हैं। इस market में हमेशा दिन में जाएँ, क्योंकि शाम के हिसाब से यहाँ की lighting इतनी अच्छी नहीं है। वहीं, अगर आप घर बैठे सरोजिनी नगर से shopping करना चाहते हैं तो वो option भी available है, क्योंकि सरोजिनी नगर की अब online website भी है। सोमवार को सरोजिनी नगर बंद रहता है।


पता - सरोजिनी नगर, नई दिल्ली, दिल्ली 110023

समय - सोमवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 10:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है

क्या खरीदें - clothing, home appliances, utensils, electronic products and decorative items...

Price limit - 50 रू से 1500 से शुरू 


2. Central market or lajpat nagar market :

लाजपत नगर market  लड़कियों व ladies के कपड़ों की खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यहाँ आपको एक से एक print वाले suits और जड़ी हुई साड़ियाँ मिल जाएंगी। अगर आप थोक में कपड़े खरीदना चाहते हैं, तो यहाँ आप अपनी सहेली या बहन को लेकर जा सकते हैं या फिर खुद से भी अकेले कपड़ों की खरीदारी कर सकते हैं। यह market, ethnic, Indian wear के लिए ये जगह एकदम best हैं। आपको बता दें, लाजपत नगर Asia का सबसे बड़ा बाजार है।


समय - सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक, सोमवार को बंद रहता है

पता - लाजपत नगर II, लाजपत नगर, नई दिल्ली, दिल्ली 110024

क्या खरीदें - clothing, shoes, bags, household material...

Price limit - 500 रु से शुरू 


3. Shankar Market :

अनोखे design, unique pattern वाले कपड़े और ढेरों रंगों के साथ सूट-साड़ी वाले शंकर market को लोगों की पसंदीदा जगह माना जाता है। शंकर market street art, और दीवारों पर दिखते चित्रों के साथ आपको दूर से ही दिखाई दे जाएगी। प्रिंट और रंगों वाले थोक में कपड़े आसानी से मिल जाएंगे, जो आपको अन्य दुकानों पर बेहद मुश्किल से मिलेंगे। यहाँ आप bargaining भी आसानी से कर सकते हैं। दिल्ली के इस कपड़ा बाजार के लिए 4 घंटे कम से कम रखें।


समय - सुबह 11 बजे से रात 8.30 बजे तक, रविवार को बंद रहता है

स्थान - Connaught place, दिल्ली


4. Chandni Chowk :

चांदनी चौक में तीन कपड़ा बाजार हैं - कपड़ा बाजार, किनारी बाजार और कटरा नील। यह भारत में सबसे प्रसिद्ध और बेहतरीन fabric बाजारों में से एक है। आपको चाहे ethnic cloth material लेना हो या cotton fabric लेना हो, आपको हर तरह के थोक में कपड़े मिल जाएंगे। यही नहीं, यहाँ पर्दों और फर्नीचर के लिए home decor fabric भी मिल जाते हैं। चांदनी चौक के कटरा नील बाजार में chanderi, net, silk, और printed cotton fabric से लेकर men's wear के कपड़े तक सब कुछ है। किनारी market, lace, georgette and zardozi fabric जैसे material के लिए मस्त जगह है, यहाँ आप सस्ते में सब खरीद सकते हैं। 

चांदनी चौक की मार्केट पूरे Asia की सबसे famous market कही जाती है। भारत के कई राज्यों से लोग खासतौर पर यहाँ पर अपनी शादी की shopping करने आते हैं। विदेशी लोग भी इस market से खूब  shopping करते हैं। अगर आप अब तक चांदनी चौक नहीं गई और आपकी शादी होने वाली है तो जान लें कि आपको अपनी शादी का कौन सा सामान चांदनी चौक की कौन सी मार्केट में मिलेगा। चांदनी चौक के shopping hub की नई सड़क में दरीबा कलां, चावरी बाज़ार, भागीरथी पैलेस, कटरा नील, मोती बाज़ार और बहुत कुछ हैं। जब आप यहाँ खरीदारी करने आएं तो स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड खाना न भूलें।


पता - 2573, नई सरक, रघु गंज, रोशनपुरा, पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, दिल्ली 110006

समय - सप्ताह के सभी दिन रविवार को छोड़कर सुबह 10 बजे से खोलें

क्या खरीदें - embroidery bag, semi-precious ornaments, silk and cotton clothes, books, wedding लहंगे और electronic products.

Price limit - छोटी वस्तुओं के लिए 500 रुपए से 1500 तक। लहंगा की कीमतें 3000 रुपए से शुरू होती है।


5. Janpath :

सिर्फ एक गली में सिमटे इस market में आपको कई trendy outfits मिल जाएंगे। यहाँ कई दुकानें  jewelry की हैं। Junk jewelry के लिए ये best market हो सकती है। इस गली के अलावा रोड की तरह आपको कई छोटे-छोटे stores मिल जाएंगे। यहाँ से भी अच्छी shopping हो सकती है। अगर आपको कच्छ और राजस्थानी work से लगाव है तो इन्हीं stores के आसपास आपको कई महिलाएं कपड़े, accessories और home decor का सामान बेचते हुए मिल जाएंगी। यहाँ का सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन जनपथ ही है। रविवार को जनपथ की कुछ दुकानें बंद रहती हैं।


पता - जनपथ रोड, जनपथ, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली, दिल्ली 110001

समय - सोमवार से शनिवार को सुबह 10 बजे से 9 बजे और रविवार को सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक।

क्या खरीदें - artificial jewellery, western wear, footwear, antique, handicrafts, panting and leather items...

Price limit - कमोडिटी 150 से शुरू होती है और यहां 1500 तक होती है। 


6. Paharganj :

पहाड़गंज दिल्ली का प्रसिद्ध थोक बाजार है। आमतौर पर यहाँ बहुत भीड़भाड़ होती है, और वहाँ के हल्ले-गुल्ले का अपना आकर्षण है। आपको थोक दरों पर कपड़े और अन्य वस्तुओं की कीमतें अन्य बाजारों की तुलना में सस्ती मिलेंगी। विदेशी सामान भी यहाँ बहुत मिलते हैं। इसके अलावा कपड़ो की बहुत सारी varieties अधिक ग्राहकों को आकर्षित करता है। बाजार आपकी थोक खरीदारी करने के लिए सही जगह है। यहाँ Connaught place से सिर्फ 5 मिनट में अपनी गाड़ी से पहुंच सकते हैं।


पता - पहाड़गंज, नई दिल्ली, दिल्ली, 110055, भारत

समय - सोमवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिनों में 11:00 पूर्वाह्न से 9:00 बजे तक खुला रहता है

क्या खरीदें - कपड़े, हुक्का पाइप, किताबें और हस्तशिल्प।

Price limit - 350 रुपए से शुरू होने वाली दरें 


इनमें से आप के घर के आसपास जो भी market हो, उससे shopping कीजिए। खुद को व अपने घर को सजाएं और दीपावली खुशनुमा बनाएं...


और भी बहुत से market हैं, जिनकी जानकारी हम आपको जल्द देंगे। 

Famous Cloth Markets in Delhi (Part-2) में

So stay tuned...

Tuesday 24 October 2023

India's Heritage : माँ चंड़ी देवी को प्रसन्न करना

शारदीय नवरात्र के पश्चात् दशहरा पर्व, पर हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻

माता रानी और प्रभू श्रीराम, हम सभी के जीवन में सुख समृद्धि लेकर आए...

आज आप को विरासत के अंतर्गत एक ऐसी कहानी के विषय में बताने जा रहे हैं, जो शायद आप ने नहीं सुनी होगी। पर यह कहानी, देवी मां, भगवान श्री राम जी व रावण के जीवन से जुड़ी हुई, त्रेता युग की कहानी है...

इस कहानी के जरिए आपको ज्ञात होगा कि, हमारी संस्कृत भाषा और मंत्र कितने सशक्त और सटीक हैं। जहाँ सिर्फ अक्षर के हेर-फेर से कितना कुछ बदल जाता है।

आज की हमारी कहानी माँ दुर्गा की भक्ति पर भी आधारित है।

आप ने महिषासुर मर्दिनी की कहानी तो बहुत बार सुनी होगी। यदि नहीं सुनी हो तो, कृपया comments box में डाल दीजिएगा, अगली बार उसे भी post कर देंगे।

तो बात उन दिनों की है, जब प्रभू श्रीराम, माता सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध करने जा रहे थे।

युद्ध से पहले का नियम था कि देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती थी। अतः प्रभू श्रीराम और रावण, दोनों ही देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न तरह की पूजा अर्चना कर रहे थे। 

अपितु प्रभू श्रीराम तो स्वयं ईश्वर थे, उन्हें किसी पूजा अर्चना की क्या आवश्यकता? तथापि वह भी पूजा अर्चना कर रहे थे। यह बात अपने आप में प्रभू श्रीराम की महानता और उनके मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि को इंगित करती है।

 माँ चंडी देवी को प्रसन्न करना  

लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा। 

उनके बताए अनुसार, चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। 

वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया। 

यह बात इंद्रदेव ने पवन देव के माध्यम से प्रभू  श्रीराम के पास पहुंचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ, रावण के पूजा-पाठ, समाप्त होने से पहले ही अति शीघ्र पूर्ण कर लिया जाए।

इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल, रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नज़र आने लगा। 

भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएं। दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी।

तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग 'कमलनयन नवकंच लोचन' भी कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए। 

प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी प्रकट हुईं और हाथ पकड़कर कहा "राम मैं प्रसन्न हूं" और प्रभू श्रीराम को विजयश्री का आशीर्वाद दे दिया।

वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए।

निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर मांगने को कहा। 

इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा, "प्रभु! आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए।"

 ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। "मंत्र में जयादेवी... भूर्तिहरिणी में 'ह' के स्थान पर 'क' उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है।"

'भूर्तिहरिणी' यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और 'भूर्तिकरिणी' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में 'ह' की जगह 'क' करा के रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी। 

नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक भगवान राम ने मां भगवती की पूजा की थी और मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करके 10वें दिन लंका के राजा रावण का वध किया था।

इस कहानी को पढ़कर आप को एहसास हुआ होगा कि, संस्कृत भाषा कितनी सुदृढ, सशक्त और सटीक है। और यह हमारे सनातन की, हमारे भारत की भाषा है।🙏🏻

विश्व की कोई भी भाषा, संस्कृत भाषा-सी समृद्धशाली, सुदृढ़, सशक्त और सटीक नहीं है। हमें गर्व है कि हमारी हिन्दी भाषा का उद्भव संस्कृत भाषा से ही हुआ है। 


माता रानी की जय 🚩 जय श्रीराम 🚩🙏🏻🙏🏻

शुभ विजय दशमी 🙏🏻  

जय हिन्द जय हिन्दी 🚩

Sunday 22 October 2023

Bhajan (Devotional Song): मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या

मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या



मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या

मैय्या मैय्या, देवी मैय्या 


जो कोई तेरे दर पे आए

मनचाहा फल उसे मिल जाए

मैय्या मैय्या, दुर्गा भैय्या


अंधा जो तेरे दर पे आए 

नैनो का सुख वो पा जाए 

मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या


रोगी जो तेरे दर पे आए 

कंचन काया उसे मिल जाए

मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या 


निर्धन जो तेरे दर पे आए

धन वैभव सब उसे मिल जाए

मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या 


बांझन जो तेरे दर पे आए

उसकी भी गोद भर जाए 

मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या 


भक्त जो तेरे दर पे आए 

भक्ति शक्ति सब पा जाए 

मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या 


मैय्या मैय्या, दुर्गा मैय्या 

मैय्या मैय्या, देवी मैय्या 



आप सभी को दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻

माँ हम सब पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻🙏🏻

Friday 20 October 2023

Article: दुर्गा पूजा बंगाल की

दुर्गा पूजा की धूम पूरे भारत वर्ष में है। कहीं गरबा, कहीं दांडिया, कहीं धुनुचि की उमंग है। 

भारत वर्ष के अधिकतर प्रांत में पूरे नौ दिन का महत्व है, फिर वो चाहे पंजाब हो, उत्तर प्रदेश हो, दिल्ली हो, गुजरात हो, महाराष्ट्र हो, सब में नवरात्र के नौ दिनों की विशेषता है। 

लेकिन बंगाल में नवरात्र पर्व का आरंभ षष्ठी से माना जाता है। वहां इसे नवरात्र पर्व नहीं बल्कि दुर्गापूजा कहा जाता है। और यह वहां पर सबसे विशिष्ट माना जाता है।

आज देखते हैं, क्यों है षष्ठी से वहां पूजा का आरंभ, और कब क्या होता है।

दुर्गा पूजा बंगाल की


षष्ठी तिथि को, यानी कि आज के दिन, ढाकी की थाप के साथ माँ के मुख के दर्शन होने प्रारंभ होते हैं। 

षष्ठी तिथि की देवी, कात्यायनी देवी होती हैं। यह देवी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं, और भगवान कार्तिकेय की पत्नी व भगवान शिव और माता पार्वती की ज्येष्ठ पुत्रवधू हैं। यही छठ मैया भी हैं, जिनकी पूजा छठ पर्व में होती है।


1. षष्ठी देवी कात्यायनी का स्वरूप :

दिव्य रुपा कात्यायनी देवी का शरीर सोने के समान चमकीला है। चार भुजाधारी माँ कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। अपने एक हाथ में तलवार और दूसरे में अपना प्रिय पुष्प कमल लिए हुए हैं। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं। इनका वाहन सिंह हैं।

इनकी पूजा करने से संतान प्राप्ति और संतान सुरक्षा का वरदान मिलता है।

बंगाल में दुर्गा पूजा पांच दिन का महापर्व है जो कि षष्ठी से आरंभ होकर दशहरा के दिन सिन्दूर खेला के साथ समाप्त होता है। 

आइए जानते हैं बंगाल में दुर्गा पूजा का क्या महत्व है और वहां के एक-एक दिन की क्या विशेषता है।


2. दुर्गा पूजा का महत्व :

दुर्गा पूजा राक्षसराज महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को जश्न के रूप में मनाते हैं। दुर्गा पूजा का पहला दिन महालया है, जो देवी के आगमन का प्रतीक है। महालया आश्विन अमावस्या के दिन होता है।

बंगाली समाज शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से पंचमी तक दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू कर देते हैं।

तैयारियों के दौरान माँ की मूर्ति में मिट्टी चढ़ाई जाती है, और पूजा-पंडाल की सजावट अपने चरम पर पहुंच जाती है। दुर्गा माँ की मूर्ति को सजाया जाता है और फिर छठे दिन से शक्ति की पूजा की जाती है। माँ दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा बंगाली लोग करते हैं। लोग पंडालों में दुर्गा माँ की मूर्ति के साथ-साथ माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी, पुत्र गणेश और कार्तिकेय की मूर्ति भी स्थापित करते हैं।

 

3. धुनुची नृत्य :

दुर्गा पूजा में सप्तमी से लेकर नवमी तक धुनुची नृत्य किया जाता है। धुनुची नृत्य या धुनुची नाच बंगाल की एक बहुत ही प्राचीन परंपरा है जिसकी झलक हर दुर्गा पूजा पंडाल में देखी जा सकती है।


4. दुर्गा पूजा के पांच दिन :


A. पहला दिन : कल्परम्भ -

दुर्गा पूजा का आरंभ कल्परम्भ से शुरू होता है। इसे अकाल बोधन भी कहा जाता है। इस दिन देवी मां को असमय निद्रा से जगाया जाता है, क्योंकि चातुर्मास के दौरान सभी देवी-देवता दक्षिणायन काल में निंद्रा अवस्था में होते हैं। इस दिन उनकी पूजा करके जगाया जाता है।


B. दूसरा दिन : नवपत्रिका पूजा -

नवपत्रिका पूजा का पर्व नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मानते हैं। यह दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि का होता है। नवपत्रिका पूजा में नौ तरह के पत्तों यानी केला, हल्दी, अनार, धान, मनका, बेलपत्र और जौ के पत्तों को बांधकर इसी से माँ को स्नान कराया जाता है। इसके बाद ही माँ को सजाकर प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है।


C. तीसरा दिन : संधि पूजा -

तीसरा दिन संधि पूजा का है। संधि पूजा अष्टमी और नवमी तिथि के बीच आती है। इस दिन पारंपरिक परिधान पहनकर देवी मां की पारंपरिक पूजा की जाती है। संधि पूजा अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के प्रारंभ होने के 24 मिनट बाद की जाती है।


D. चौथा दिन : महानवमी पूजा -

नवरात्रि का नौवें दिन मां सिद्धिदात्री का है। इस दिन माँ दुर्गा को दही, शहद, दूध आदि का भोग लगाते हैं और माँ दुर्गा को दर्पण दिखाया जाता है। ये दर्पण वही होता है, जो माँ दुर्गा के स्वागत के समय इस्तेमाल किया जाता है।


E. पांचवा दिन : सिंदूर उत्सव -

दुर्गा पूजा का पांचवा और आखिरी दिन के दिन सिंदूर खेला जाता है। इस दिन महिलाएं माँ दुर्गा को सिंदूर चढ़ाने के साथ एक-दूसरे के सिंदूर लगाती और उसे गुलाल की तरह उड़ाती है। इसलिए इसे सिंदूर खेला भी कहा जाता है।

सिंदूर खेला के बाद शुभ मुहूर्त में माँ दुर्गा की मूर्ति का विधि-विधान के साथ विसर्जन किया जाता है।


बंगाल में माँ के आगमन से विसर्जन के पहले तक का समय अनुपम होता है। पूरे शहर की छटा ही बदल जाती है। जगह-जगह छोटे-बड़े पूजा-पंडाल, सब एक से बढ़कर एक... इनकी खूबसूरती का वर्णन ही नहीं किया जा सकता है, जितनी भी करेंगे, कम ही होगी। हर पंडाल में माँ की भक्ति से परिपूर्ण बंगाली गीत... जो आपको चाहे समझ ना आए, पर कर्णप्रिय अवश्य लगेंगे...

इन पांचों दिन वहाँ घर पर नहीं व्यतीत किए जाते हैं। बल्कि पूरा बंगाल इन दिनों आपको पंडाल में ही दिखेगा, माँ की भक्ति में, उनके सौन्दर्य में, उनके रंग में ही रंगे दिखेंगे। 

सब भक्ति, उत्साह और उल्लास में ही दिखेंगे। यह पांच दिन उन्हें कुछ और नहीं सूझता है, पंडाल में ही पूरा दिन गुज़रता है। दुनिया भर के आयोजन होते रहते हैं, खाना-पीना भी वहीं रहता है। 

स्त्री, पुरुष, बच्चे और बड़े-बुजुर्ग सब वहीं रहते हैं। कभी आपको मौका मिले तो आप भी उसी रंग में अपने आपको रंग कर देखिएगा। हम को दुर्गा माँ ने यह सुअवसर दिया था...

सच में अद्भुत अनुभूति होती है।

बाकी जहाँ भी ईश्वरीय वातावरण होगा, उस जगह से अद्भुत और रमणीय दृश्य तो कहीं भी और नहीं होगा...

दुर्गापूजा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻

माँ की कृपा सभी पर बनी रहे 🙏🏻😊

Thursday 19 October 2023

Recipe: Shrikhand

नवरात्र चल रहे हैं, जिसमें हम माँ को रोज़ ही भोग प्रसाद चढ़ाते हैं। 

कल षष्ठी से पूजा अर्चना के विशेष दिन प्रारंभ हो जाएंगे।

तो चलिए आज एक ऐसी ही बहुत tasty and healthy recipe share कर देते हैं। 

ज़्यादातर dishes या तो healthy होती है या tasty। पर इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि जितनी healthy है उतनी ही tasty भी, साथ ही बहुत easily prepare भी हो जाती है।

आज की वो dish है श्रीखंड, इसे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी बहुत पसंद हैं।

तो चलिए झटपट देख लेते हैं कि यह कैसे बनेगा।


Shrikhand 



Ingredients 

  • Fresh, thick and creamy curd - 500 gm.
  • Sugar powder - ½ cup 
  • Milk - 1 tbsp. 
  • Saffron threads - 4 to 5 (optional)
  • Chopped dry fruits (almond and pistachio) - 2 tbsp. (optional) 
  • Nutmeg powder - one pinch (optional) 
  • Green cardamom powder - 2 tsp. (optional)
  • Kevda water  - 4 to 6 drops (optional)


Method -   

  1. Luke warm दूध में केसर के धागे डाल दीजिए।
  2. दही को muslin cloth में डालकर, बांध कर दो घंटे के लिए छोड़ दें।
  3. दो घंटे बाद दही को cloth से निकाल कर एक bowl में डाल लीजिए। 
  4. दूध में केसर को rub कर दीजिए, इससे दूध केसर रंग का हो जाएगा। 
  5. अब दही के bowl में केसरिया दूध, cardamom powder व पीसी हुई चीनी, डालकर अच्छे से मिला लें।
  6. ऊपर से इसे chopped dry fruits से garnish कर दीजिए और ½ hour के लिए set होने के लिए रख दीजिए। 
  7. अगर आपको authentic taste चाहिए तो दही में केसरिया दूध की जगह nutmeg powder और cardamom powder डालकर mix कीजिए।
  8. आप केवड़ा जल डाल रहे हैं तो, सिर्फ यही डलेगा... केसरिया दूध, nutmeg powder and cardamom powder, etc नहीं पड़ेगा।
  9. आपको अगर cinnamon flavour पसंद है तो आप इसमे 1 tsp. cinnamon powder डाल सकते हैं। आजकल यह flavour भी बहुत पसंद किया जा रहा है।

बस यह ध्यान रखिएगा कि एक बार में flavour एक ही रखिएगा, सब चीजों को मत डाल दीजिएगा, वरना taste ख़राब हो जाएगा।

आपको 4 flavour के श्रीखंड बताएं हैं, सभी एक से बढ़कर एक हैं। आप अपनी पसंद का श्रीखंड बनाएं, माँ को भोग प्रसाद चढ़ाएं और सबको वितरित करें...

माता रानी की सदा ही जय 🚩

Monday 16 October 2023

India's Heritage‌‌ : शारदीय नवरात्र

आजकल नवरात्र चल रहे हैैं। पूरे भारत वर्ष में माता रानी की पूजा अर्चना, भजन कीर्तन चल रहे हैं।

पर क्या आप के मन में कभी आया कि कैसे हुआ दुर्गा माँ का जन्म?, क्यों माँ ने अपनी सवारी के रूप में सिंह को ही चुना? और क्यों नवरात्रि में कन्या पूजन से मां का आशीर्वाद मिलता है? 

आज के विरासत के इस अंक में हम शारदीय नवरात्र पर्व के विषय में ही जानते हैं।  

शारदीय नवरात्र


नवरात्र : नवरात्र यानी महाशक्ति की पूजा के 9 दिन, जिसमें देवी के 9 स्वरूपों की अराधना की जाती है।

हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का खास महत्व होता है। नवरात्र पर्व साल में दो बार आते हैं, चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र (जो अश्विन मास में पड़ती है)

दोनों ही नवरात्रि में माता रानी की पूजा अर्चना भजन कीर्तन होता है। लेकिन अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय या शरद नवरात्र का आम जनमानस के बीच  प्रचलन अधिक है। 

इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से होने जा रही है और 24 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ इसका समापन होगा।

नवरात्रि, शक्ति की अराधना का पर्व है. इसमें देवी के 9 स्वरूपों की पूजा होती है। हिंदू शास्त्र में मां दुर्गा के जन्म से लेकर युद्ध में विजय पाने तक उन्हें अनेक रूपों में बताया गया है।

नवरात्रि में नवदुर्गा यानी मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा के इन रूपों को महाशक्ति कहा गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में मां दुर्गा के जन्म से लेकर महिषासुर से युद्ध और युद्ध में विजय पाने तक उनकी शक्ति को अनेक रूपों में परिभाषित किया गया है।

'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:' 

नवरात्रि की शुरुआत होते ही 9 दिनों तक घर, मंदिर और पूजा पंडालों में दुर्गा सप्तशती के इस मंत्र के जाप किए जाएंगे। देवी के इस मंत्र का अर्थ है- हे माँ! आप सर्वत्र  शक्ति के रूप में विराजमान हैं, हे माँ अम्बे, आपको मेरा बारंबार प्रणाम है।


चलिए अब जान लेते हैं कि माँ दुर्गा का जन्म कैसे हुआ? क्यों इन्हें शक्ति भी कहते हैं? 

कैसे हुआ देवी दुर्गा का जन्म?

हिंदू धर्म में देवी के कई रूप बताए गए हैं, लेकिन मान्यता है कि देवी का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में हुआ था।

राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए माँ दुर्गा का जन्म हुआ था, इसलिए माँ दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस महिषासुर का अत्याचार देवताओं पर खूब बढ़ गया था। उसने अपनी शक्तियों से देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं महिषासुर ने देवताओं के स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। ऐसे में सभी देवता परेशान हो गए और समस्या के समाधान के लिए त्रिदेव के पास गए। 

महिषासुर, सृष्टिकर्ता ब्रम्हा का महान भक्त था और ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता।

अब समस्या यह आयी कि जब कोई भी देवता या दानव महिषासुर का वध नहीं कर सकता तो उस पर विजय कैसे पाई जाए?

तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक आकृति बनाई और सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उस आकृति में डाली। देवताओं की शक्तियों से दुर्गा का जन्म हुआ। जिसकी छवि बेहद सौम्य और आकर्षक थी और उनके कई हाथ थे। देवताओं की शक्ति से जन्म होने के कारण ही इन्हें शक्ति कहा गया।

दुर्गा में सभी देवताओं की शक्ति थी. इसलिए ये सर्वशक्तिमान हुईं। भगवान शिव से उन्हें त्रिशूल प्राप्त हुआ, विष्णु जी से चक्र, बह्मा जी से कमल, पर्वतों के देव हिमावंत से वस्त्र, और इस प्रकार से एक-एक कर देवताओं से शक्ति प्राप्त देवी दुर्गा बनीं और महिषासुर से युद्ध के लिए तैयार हुईं। 


अब जान लेते हैं कि, ऐसा क्या हुआ कि नवरात्र पर्व में नौ दिन पूजन किया जाता है?

नवरात्रि का पर्व 9 दिनों का ही क्यों?

कहा जाता है कि मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक युद्ध चला था और दसवें दिन दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इसलिए नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है और दसवें दिन विजयदशमी होती है।

हालांकि 9 दिनों तक नवरात्रि मनाए जाने को लेकर यह भी मान्यता है कि, महिषासुर से युद्ध के दौरान मां दुर्गा ने नौ रूप धारण किए थे. इसलिए 9 दिनों के नवरात्र में अलग-अलग दिन मां दुर्गा के इन 9 रूपों की पूजा की जाती है।


सभी देवी-देवताओं की अपनी अपनी सवारी है, जिसकी सबकी अपनी-अपनी विशेषता है। माता रानी की सवारी शेर है। पर सिंह ही क्यों है सवारी, आइए यह भी जान लेते हैं?

सिंह की सवारी क्यों करती हैं मां दुर्गा ?

मां दुर्गा का वाहन सिंह या शेर है और मां दुर्गा इसी की सवारी करती हैं। इसका कारण यह है कि सिंह को अतुल्य शक्ति से जोड़कर देखा जाता है। 

जब माँ शक्ति स्वरूपा हैं तो सवारी भी वैसी ही होनी चाहिए, बस इसलिए ही सिंह उनकी सवारी है।

और मान्यता है कि, सिंह पर सवार होकर मां भक्तों के दुख और संसार की बुराई का संहार करती हैं।


नवरात्रि का व्रत पूजन, तब पूर्ण माना जाता है, जब कन्या पूजन किया जाता है, पर क्यों? आइए नवरात्रि में क्यों जरूरी है कन्या पूजन? यह भी जान लेते हैं।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्र पर्व में दुर्गा माँ ने नौ रुप धारण किए थे, जिसमें कन्या से लेकर दुर्गा माँ तक के रुप धारण किए थे। जो कि इस प्रकार हैं।

पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं। 

नवरात्र में इन्हीं नौ रुपों की पूजा की जाती है और माँ के हर एक रुप के लिए एक कन्या मानी जाती है। इसलिए ही नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज़ प्राप्त होता है. इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। होम, जप और दान से, मां दुर्गा इतनी खुश नही होती जितनी कन्या पूजन से होती हैं।

नवरात्रि में 9 कन्याओं की पूजा की जाती है, जिसकी आयु 2-10 वर्ष की होती है. इसे कन्या पूजन या कुमारी पूजन कहा जाता है. छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है।  शास्त्रों में हर आयु की कन्या के महत्व के बारे में भी बताया गया है। 


माता रानी व नवरात्र से जुड़ी और भी बातें हैं, जिन्हें आपको अगली नवरात्र में बताते हैं।

आज के लिए माँ के स्वरूप व नवरात्र की इन्हीं बातों के साथ, विराम लेते हैं... 

माता रानी की सदा ही जय...

जयकारा शेरावाली दा...

माता रानी आप की कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे 🙏🏻🙏🏻

Sunday 15 October 2023

Bhajan (Devotional Song) मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े

मैय्या विनती करूँ मैं दोनों कर जोड़े




मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े - 2

आजा आजा मैय्या आज घर मोरे - 2


लाल लाल चुनर में माँ तू आना -2

अमर सुहाग का वर दे के जाना-2


मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े -2

आजा आजा मैय्या आज घर मोरे -2


लाल लाल चूड़े में माँ तू आना - 2 

गोदी के ललना को अमर कर जाना - 2 


मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े - 2

आजा आजा मैय्या आज घर मोरे - 2


हाथों में मेहंदी लगा के आना - 2

ससुराल को मेरे सफल कर जाना - 2


मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े - 2

आजा आजा मैय्या आज घर मोरे - 2


लाल लाल महावर लगा के आना - 2

मायके को मेरे सफल कर जाना - 2


मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े - 2

आजा आजा मैय्या आज घर मोरे - 2


मैय्या पांव में बिछिया सजा के आना - 2

भक्तों को वरदान दे के जाना - 2


मैय्या विनती करुं मैं दोनों कर जोड़े - 2

आजा आजा मैय्या आज घर मोरे - 2 



आप सभी को शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐


माता रानी हम सब पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें 🙏🏻 🙏🏻


बोलो सांचे दरबार की जय 🚩

Thursday 12 October 2023

Poem : आप बिन

आज आपका जन्मदिन है, आप साथ होकर भी साथ नहीं हैं। हर दिन आप की याद आती है, पर इस दिन तो लगता है, कि एक दिन के लिए ही सही पर आपका वही सानिध्य, वही प्यार एक बार फिर मिल जाए। आपकी गोद में फिर से बचपन जी लें....

आप बिन



आप हैं साथ

पर आप बिन 

एक तपिश सी है 

जिंदगी ने दिया है

बहुत कुछ

पर आप बिन 

एक ख़लिश सी है 

कहते हैं सब 

पिता ना रहें साथ

पर साथ ही रहते हैं 

वो ईश्वर के घर से भी

हमारी खुशियों की

परवाह करते हैं ।

पर मौजूदगी बिन 

एक खालीपन 

तो रहता ही है 

अपनी बात कहने

और आपकी सुनने को 

दिल करता ही है 

वो आवाज़, वो हंसी 

आज भी गूंजती है कानों में

जब कोई आवाज लगाता है

पापा को अपने 

तन्हा, मेरा दिल रोता ही है

आप हैं साथ

पर आप के बिन 

एक तपिश सी है 

जिंदगी ने दिया है

बहुत कुछ

पर आप बिन 

एक ख़लिश सी है 


Miss you Papa 💔🙏🏻 


आप सब में से जिसके भी माँ या पापा  ईश्वर में लीन हो गए हैं, शायद उन सबके भी यही भाव हों 😔

Tuesday 10 October 2023

Article: Secret of Mental Health

Secret of Mental Health 




आज world mental health day है। इस topic पर हम आपसे पहले भी चर्चा कर चुके हैं जिसमें mental health से related बहुत कुछ हम लोगों ने discuss किया था। अगर आप उसको जानना चाहते हैं, तो विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर click करें

आजकल जिस-किसी से बात करो, हर एक को कुछ-ना-कुछ mental stress तो रहता ही है। पहले तो यह stress बड़ों में ही रहा करता था, पर आजकल तो बच्चों को भी बहुत ज़्यादा mental stress रहने लगा है। 

आपने कभी सोचा कि क्यों बच्चों को इतना mental stress रहने लगा है?

हम माँ-बाप कि बढ़ती हुई महत्वकांक्षाओं और बहुत अधिक facilities मिलने के कारण। 

पर सबसे बड़ा कारण है Mobile, tablet and laptop etc...

इस तरह के gadgets बच्चों में बहुत अधिक mental stress develop कर रहे हैैं।

जितना ज़्यादा , इस तरह के gadgets, उतना ज़्यादा stress. दूसरे शब्दों में childhood stealer...

आपको याद है अपना बचपन, जब mobile, tablet, laptop नहीं हुआ करता था? तब हम कितना दौड़ते थे, भागते थे, मस्ती करते थे, पूरी धरती हमारा खेल का मैदान होता था और पूरा आकाश मस्ती का भंडार...

तब हमें अपनी खिलखिलाहट भी सुनाई पड़ती थी और चिड़ियों कि चहचहाट भी। पर अब यह सब कहाँ?

तब दिन और रात में कुछ ज़्यादा अंतर नहीं था। हर समय stress free होता था।

उस समय मासूमियत भी ज़्यादा थी, physical growth भी अच्छी थी, mental growth भी और आपस की bonding भी।

आजकल के बच्चों का दायरा सिमटता आ रहा है। एक कुर्सी, एक पलंग और मात्र एक कमरे तक। 

और सिमटती जा रही है उनकी bonding, मात्र इस तरह के gadgets के साथ।

कहने को तो वो internet के through पूरी दुनिया से जुड़े हुए हैं पर वास्तविकता तो यह है कि virtually। 

सच मानिए, ज़िंदगी को खुशनुमा बनाना है तो सबसे पहले अपने बच्चों का बचपना संवारिए।

उसके लिए उनको इस तरह के gadgets  देना बंद कीजिए और जोड़िए उन्हें उनके अपनों से, उनके रिश्तेदारों से, उनके दोस्तों से और सबसे important अपने आप से। 

इस तरह के gadgets उन्हें औरों के साथ-साथ आपसे भी दूर करता जा रहा है। 

पर उसके लिए एक काम और करना होगा कि आपको अपना भी gadgets time का एक schedule बनाना होगा, कि जब बच्चे आप के आसपास हों तो आपका time उनके लिए खाली रहे। ना की इस तरह के gadgets में आप busy रहें।

ऐसा कर के देखिए, उनका और आपका, दोनों का ही mental stress कम होगा और love bonding ज़्यादा।

कम शब्दों में  कहें तो love bonding ही mental stress को कम करने का सबसे important factor है। 

सबके साथ रहिए, खुश रहिए और ज़िंदगी को सही मायने में enjoy कीजिए। आज भी और हमेशा ही आपकी mental health को improve करने की secret key यही है।

Happy world mental health day

Monday 9 October 2023

Article: Asian Games 2023

Asian Games 2023

Asian Games 2023 का आयोजन चीन के  हांगझोऊ में हुआ, जो कि 23 September से 8 October तक चला। India समेत बहुत से एशियाई देशों ने इसमें भाग लिया था। 

हालांकि इस का आयोजन 2023 में हुआ है, पर यह है एशियाई खेल 2022... 

Actually इसका आयोजन होना, 2022 में ही था, लेकिन COVID-19 के कारण वह सम्भव नहीं हो सका। अतः आयोजन 2023 में किया गया लेकिन players को‌ trophy 🏆 और medals 🏅 2022 के ही दिए जा रहे हैं।

हर बार की तरह first China, second Japan and third South Korea ही रहा...

जब सब पहले सा ही रहा तो इसमें लिखने जैसा क्या है?

है ना...

हमारे देश के खिलाड़ियों का record तोड़ performance और उनकी शानदार जीत... जिसने भारत को medals table में चौथे स्थान पर पहुंचा दिया।

केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, अपने सभी प्रतिभागी खिलाड़ियों के साथ Asian games में जाने से पहले यह नारा लगा रहे थे कि "अबकी बार सौ के पार"...

उन्हें अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पूर्ण विश्वास था कि वो इस नारे को पूरा कर के आएंगे और जो विश्वास था वो सही सिद्ध भी हुआ।

भारतीय athletes ने एशियन गेम्स में पहली बार 100 से अधिक medals जीते हैं। 28 gold, 38 silver, और 41 bronze के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 107 medals देश के नाम किए हैं। 72 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने medals का आंकड़ा 100 के पार किया है। 2018 में भारत ने सबसे अधिक 70 मेडल जीते थे। इस बार के Asian games में 34 भारतीय खिलाड़ी ऐसे थे जिन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर एक से अधिक medals जीत कर medals table में भारत का शतक पूरा किया है। एक से ज्यादा medals जीतने वालों में shooters सबसे आगे रहे।

भारत से खिलाड़ी तो पहले भी जाते थे, पर वह उतने total medals भी नहीं ला पाते थे, जितने इस बार gold medals मिले हैं। और gold medals... वो तो यदा-कदा ही मिलते थे। याद ही होगा आपको...

ऐसा क्यों? क्या पहले के खिलाड़ी कम योग्य थे? 

नहीं, बिल्कुल भी नहीं...

पर तब उनके पास, अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण नहीं मिलते थे, साथ ही प्रतिभा को प्रदर्शित करने के अवसर भी कम मिलते थे।

जबकि अब उपयुक्त प्रशिक्षण और अवसर पूर्ण रूप से प्रदान किए जा रहे हैं। साथ ही खिलाड़ियों के बेहतरीन खेल प्रदर्शन से देश को मिलने वाले सम्मान के प्रतिउत्तर में उन्हें अच्छे पद और धन-धान्य भी दिया जा रहा है। 

आप कहेंगे कि प्रतिउत्तर में अच्छे पद और धन-धान्य तो हमेशा से ही दिए जाते थे।

बिल्कुल दिए जाते थे, पर प्रतिभा निखारने के लिए प्रशिक्षण और प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए अवसर, अब ज्यादा दिए जा रहे हैं... 

साथ ही एक और बात, जिसे बहुत से लोग ना तो waitage देंगे, ना मानेंगे और वो है, हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा खिलाड़ियों को मिलने वाला प्रोत्साहन, और साथ ही केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर जी का खिलाड़ियों में जोश, उम्मीद और विश्वास का जज्बा भरने का हुनर... 

आप मानेंगे नहीं, पर विश्वास मानिए, प्रेरित करने वाले शब्द, जो काम करते हैं, उससे बढ़कर कुछ नहीं होता है।

आप अपने बच्चों द्वारा किए गए कार्यों को प्रोत्साहित कर के देखिएगा, उनके performance में बहुत ही postive effect आएगा। 

हमारे देश के खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन ने चीन में हमारे तिरंगे का बहुत मान बढ़ाया है। 

कुछ खिलाड़ियों का तो पहले से ही निर्धारित था कि वो हमारे भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो, gold medal तो India को मिलना ही था। 

पर उनके अलावा भी और भी बहुत से खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने हम सब भारतीयों का दिल जीत लिया, हमें गौरवान्वित किया। जिसमें कुछ खिलाड़ियों का प्रदर्शन तो रिकॉर्ड तोड़ रहा, और उन्होंने एक से अधिक medals जीतकर भारत को मिलने वाले medals का आंकड़ा सौ के पार पहुंचा दिया...


2 players ने जीते 4 medals

एशियन गेम्स में 2023 में एशियन गेम्स 2023 में शूटर ऐश्वर्य प्रताप सिंह इकलौते ऐसे पुरुष खिलाड़ी रहे जिन्होंने 4 मेडल अपने नाम किए। उन्होंने 2 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीत इतिहास रच दिया। ऐश्वर्य ने 2 गोल्ड मेडल टीम इवेंट में जीते। वहीं सिंगल इवेंट में उन्होंने एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता।

वहीं, महिला शूटर ईशा सिंह ने भी 4 मेडल जीते. उन्होंने एक गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल अपने नाम किए। उन्होंने एक गोल्ड और एक सिल्वर टीम इवेंट में जीता व 2 सिल्वर मेडल सिंगल इवेंट में अपने नाम किए।


4 players ने जीते 3 medals

4 भारतीय खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने 3-3 मेडल हासिल किए. तीरंदाजी में ओजस देवताले ने 3 गोल्ड, आर्चरी में ही ज्योति सुरेखा वेन्नम ने 3 गोल्ड, शूटिंग में आसी चाैकसे ने 2 सिल्वर, एक ब्रॉन्ज और 2 सिल्वर व एक ब्रॉन्ज मेडल वी रामराज ने एथलेटिक्स में अपने नाम किए।


28 players ने जीते 2 medals

वहीं बात करें 2-2 मेडल्स की तो 28 खिलाड़ियों ने ये कारनामा किया. स्क्वाश में हरिंहर संधू ने 2 गोल्ड, एथलेटिक्स में पारुल चौधरी में एक गोल्ड, एक सिल्वर, स्क्वाश में ही सौरभ घोषाल ने एक गोल्ड, एक सिल्वर, शूटिंग में पलक ने एक गोल्ड, एक सिल्वर और एथलेटिक्स में राजेश रमेश ने एक गोल्ड और एक सिल्वर अपने नाम किया।

इसके साथ ही क्रिकेट, हॉकी, भालाफेंक, फुटबॉल, कबड्डी, की पुरुष और महिला दोनों ही वर्ग में भी gold medals मिले हैं। 

भारत की जीत तो जहां हो, गर्व की बात है। पर अगर वो ज़मीन हमारे प्रतिद्वंद्वी की हो तो बात ही क्या... 

सच जब चीन में हमारा राष्ट्रीय गान शान से बजता था और तिरंगे को सम्मान मिलता था, तो एहसास होता है, अपने विश्व विजयी होने का, अपने शक्तिशाली होने का...

Friday 6 October 2023

Article : तीर्थ स्थान बन गए tourist place

तीर्थ स्थान बन गए tourist place


मुसलमानों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है मक्का मदीना, सिखों का स्वर्ण मंदिर और ईसाइयों का St.Thomas church। 

ये सभी तीर्थ स्थान सदियों से हैं या यूं कहें कि इन धर्मों के प्रारम्भ से हैं और अंत तक रहेंगे या दूसरे शब्दों में सदियों तक रहेंगे।

अब बात करते हैं हम हिंदुओं की। हमारे बहुत से तीर्थ स्थान हैं, मथुरा, अयोध्या, काशी आदि...

हमारे इतने सारे तीर्थ स्थान हैं जो सदियों से तीर्थ स्थान थे पर क्या सदियों तक रहेंगे?

शायद यह कहा जाना मुश्किल है, क्योंकि हमें कब अपने सनातन धर्म से प्यार है? हमारे तीर्थ स्थान तो कब के tourist place में convert हो चुके हैं।

ना जाने कितने लोग तो आस्था से नहीं बल्कि कहीं घूमने जाने की चाह से इन तीर्थ स्थानों पर जाते हैं।

और-तो-और जब ऐसे लोग इन तीर्थ स्थानों पर जाते हैं, तो वो यह देखते हैं कि मंदिरों के अलावा उन्हें और कौन-कौन से entertainment के avenues मिलेंगे?

यही कारण है कि हमारे तीर्थ स्थानों वाली जगहों पर मंदिरों के renovation से ज़्यादा entertainment के avenues को better बनाया गया।

इसलिए आजकल जब मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है तो लोगों के यह सवाल उठते हैं कि “मंदिरों के पुनर्निर्माण की क्या आवश्यकता है? ऐसा भी क्या बदल जाएगा?”

आपको पता है कि इस तरह के सवाल कौन ज़्यादा करते हैं? वही, जिनके लिए हमारे तीर्थ स्थान किसी tourist place से कम नहीं हैं।

जिन्हें भगवान में आस्था है, विश्वास है, उन्हें पता है कि मंदिरों के निर्माण से क्या होगा...

मंदिरों के जीर्णोद्धार से हमारे तीर्थ स्थान पहले कि भांति पुन: तीर्थ स्थान में परिवर्तित हो जाएंगे, हम लोगों में ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ जाएगी, परिणामस्वरूप हमारे कार्य और अधिक सिद्ध होंगे।

कार्य और सिद्ध होंगे कह कर हम अंधविश्वास नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि ईश्वर की शक्ति और भक्ति के तरफ ही केन्द्रित कर रहे हैं।

ध्यान केंद्र के अलावा तीर्थ स्थान बने रहने में उस जगह की विशेषता बढ़ जाती है, मंदिर से जुड़े जितने भी तरह के व्यवसाय हैं, वो फलने-फूलने लगते हैं जो कि उस जगह-विशेष के विकास में सहायक भी होते हैं। और ना केवल उस जगह विशेष के लिए बल्कि सम्पूर्ण देश के विकास के लिए सहायक होता है।

आप कहेंगे कि उसके लिए तो tourist place भी सहायक होते हैं।

बिल्कुल होते हैं, लेकिन तीर्थ स्थान बने रहने पर ईश्वर की आंतरिक शक्ति भी उसमें जुड़ जाती है।

अत: आप सबसे अनुरोध है कि जैसे और धर्म के लोग अपने तीर्थ स्थान को तीर्थ स्थान ही बने रहने दे रहे हैं। 

ऐसे ही आप भी यह स्वर्णिम कोशिश रखिए जिससे सनातन धर्म सुदृढ़ रूप से स्थापित रहे।

आप एक बार भाव बदल कर देखिएगा, अगर आप तीर्थस्थान के भाव से जाएंगे, आपके अन्दर जो आंतरिक शक्ति का संचार होगा, वो tourist places में जाने से नहीं होता है।

इसलिए tourist places को ही tourist place बने रहने दीजिए, और तीर्थस्थान को तीर्थस्थान...

फर्क क्या है? वो आपके भाव और उस स्थान पर पहुंचने पर,आप को अपने आप अनुभव हो जाएगा....

जय सनातन 🚩

Wednesday 4 October 2023

Satire : नर से नारायण

आजकल लोग इतने स्वार्थी, इतने self-centred होते जा रहे हैं कि उन्हें ना अपने माँ-बाप से मतलब है, ना भाई-बहन से और यहाँ तक कि ना ही पत्नी या पति और बच्चों से। 

वहीं कोई एक ऐसा भी है, जिसके लिए सब बराबर हैं। वह सभी को ईश्वर तुल्य समझता है जबकि वह दिन-पर-दिन बहुत बलवान होता जा रहा है। जानते हैं कौन है वो?

नर से नारायण


मच्छर...

और वो रिश्ता क्या है?

आपका और मच्छर का... 

अब आप कहेंगे क्या मतलब? 

मतलब है, कि आप मच्छरों कि शक्ति से तो रूबरू हैं ही। 

आजकल मच्छर सिर्फ़ malaria तक सीमित नहीं रह गए हैं बल्कि chikungunya और dengue तक भी पहुँच चुके हैं। 

जहाँ chikungunya इंसान के शरीर से पूरी ताकत खत्म करके उसे बहुत कमजोर बना देता है वहीं dengue के तो क्या कहने, वो तो जान ही ले लेता है, अस्तित्व ही खत्म कर देता है।

अच्छा आपकी information के लिए बता दें कि dengue और chikungunya के और खतरनाक variant भी आ चुके हैं।

ऐसा शक्तिशाली जीव जब आपकी शरण में आ कर आप से मुक्ति की कामना करे तो फिर यही कहेंगे ना की “अहम ब्रह्मास्मि”। 

सच यही feeling आती है ना, जब मच्छर आपके चारों तरफ तब तक मँडराता रहे जब तक आप उसे मार ना दें। तो आप बन गए ना ईश्वर? जो उसे मच्छर-रूपी योनि से मुक्त करेगा।

सच में गज़ब के निडर हो गए हैं मच्छर आजकल। मतलब पहले तो आपके चारों तरफ मँडराकर, गुनगुनाते हुए अपना गीत ही सुनाते रहते थे। तब इन्हें मारना थोड़ा कठिन भी था, शायद यह भी मरने से डरते थे। शायद ही... हाँ पक्का नहीं कह सकते, पर इनका दूर-दूर रहना कुछ ऐसा ही दर्शाता है....

पर अब ये भी बड़े वाले हो गए हैं। इन्हें अपनी शक्ति का बड़ा गुमान हो चला है। कभी मुँह पर, कभी हाथ पर, कभी पैर पर चिपके ही रहेंगे, अगर आप उड़ा देते हैं तो फिर आ कर चिपक जाएंगे।

मानो कह रहें हों कि “तुम हमें मार कर मुक्ति दे दो, वरना हम तुम्हें काट कर मार देंगे और तुम्हारा अस्तित्व खत्म कर देंगे”। 

सच में ये मच्छर ही हैं, जिन्होंने कलयुग के समय में हम इन्सानों का status बढ़ा दिया है और हमें नर से नारायण बना दिया है। 

तो फिर चलिए जब बना ही दिया है, तो संकोच किस बात का... हाथ से, मच्छर वाले racquet से या आपको जिस तरह से सूझे, इन का खात्मा करें, इनको मुक्ति प्रदान कर, नर से नारायण बनें वरना ये chikungunya और dengue फैला कर के पूरी पृथ्वी पर तबाही ले आएंगे। 

अब कुछ जरूरी बातें...

Dengue और chikungunya का season चल रहा है।

  • ऐसे कपड़े पहनें जिनसे आप पूरे ढकें रहें, fashion के लिए बाकी कि पूरी ज़िंदगी है।
  • कहीं भी पानी इकट्ठा ना होने दें। यही बीमारियों की जड़ होती है।
  • समय-समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करते और करवाते रहें।

अपनी सुरक्षा, अपने हाथ। अपने और अपने परिवार को मच्छरों से सुरक्षित रखिए। स्वस्थ रहिए, सुरक्षित रहिए।