Thursday, 28 August 2025

Poem : तुम प्रीत, तुम मीत

तुम प्रीत, तुम मीत 


तुम प्रीत, तुम मीत,

तुम जीवन के संगीत।

हर स्वर की तुम आवाज, 

हर झंकृत तार के साज।।


हर ओर तुम, हर छोर तुम, 

तुम हर पल दिल के साथ।

एहसास तुम, हर श्वास तुम, 

थामे हर पल मेरा हाथ।। 


तुम्हारे जन्म का अर्थ,

मेरा जीवन सार्थक।

अस्तित्व हों अलग-अलग, 

पर मन से नहीं पृथक्।।


जन्मदिवस पर अनेकानेक बधाइयाँ 💐🎉

Wednesday, 27 August 2025

India's Heritage : महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रधानता क्यों?

गणपति महाराज जी की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे, उनकी अनुकंपा से सम्पूर्ण जगत में शुभ हो।

प्रथम-पूज्य देव गणपति बप्पा जी के शुभागमन से सम्पूर्ण भारत में आज से गणेशोत्सव का शुभारंभ हो रहा है।

हालांकि उत्साह, भक्ति और उमंग की लहर सम्पूर्ण भारत में छाई हुई है, पर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की उमंग चरम सीमा पर विद्यमान रहती है।

पर ऐसा क्या कारण है कि महाराष्ट्र में सर्वोपरि उत्सव गणेशोत्सव है?

आज अपने India's Heritage में इसी विषय में विचार करेंगे।

महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रधानता क्यों?


छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा पेशवाओं के समय से गणेश पूजा का सांस्कृतिक महत्व रहा है।

पर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से प्रसिद्धि दिलाने का सारा श्रेय बाल गंगाधर तिलक को जाता है।

विस्तृत रूप से भी देख लेते हैं।


ऐतिहासिक कारण :

• छत्रपति शिवाजी महाराज -

भारत में समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न साम्राज्यों की स्थापना हुई थी।

सन् 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। 

शिवाजी महाराज अपनी मां जीजाबाई के सशक्त, सक्षम और आज्ञाकारी पुत्र थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय मुगलों का लगभग पूरे भारत पर आधिपत्य था। पर छत्रपति शिवाजी महाराज की कोशिश रहती थी कि मुगलों को महाराष्ट्र से उखाड़ फेंकें। बस उसी कड़ी में शामिल हैं, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का आरंभ...

मान्यता है कि शिवाजी महाराज ने अपनी मां जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी, जो मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने का एक तरीका था। इसके बाद मराठा पेशवाओं के युग में भी गणेश पूजा का बड़े भव्य रूप से उत्सव मनाया जाने लगा।


• बाल गंगाधर तिलक -

बात भारत की पराधीनता के समय की है। अंग्रेजों ने सार्वजनिक रूप से लोगों के एकजुट होने पर पाबंदी लगा दी थी। पर उत्सव, विवाह और तीज-त्योहार पर एकत्रित होने पर कोई पाबंदी नहीं थी।

बस इसी बात का लाभ बाल गंगाधर तिलक जी ने उठाया और उन्होंने British शासन के खिलाफ राष्ट्रीय एकता और विद्रोह को बढ़ावा देने के लिए 1893 में गणेश उत्सव को पुणे में सार्वजनिक उत्सव के रूप में पुनर्जीवित कर दिया।

यह अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का एक विशिष्ट तरीका था, क्योंकि तिलक जानते थे कि भारतीय आस्था के नाम पर एक हो सकते हैं। इस उत्सव के माध्यम से उन्होंने हिंदू राष्ट्रवादी एकता को बढ़ावा दिया।


सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व :

• सामाजिक समरसता -

धीरे-धीरे इस उत्सव की प्रसिद्धि बढ़ती गई, जिससे वह धार्मिक होने के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी प्रतीक बन गया था, जिससे विभिन्न वर्गों के लोग एक साथ आने लगे थे।


• आस्था का केंद्र -

ऐसा क्या था कि गणेशोत्सव की प्रसिद्धि, दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही गई। दरअसल, गणपतिजी को बुद्धि, समृद्धि और भाग्य का देवता माना जाता है, जिसकी कामना हर प्राणी को रहती है। साथ ही नई शुरुआत के लिए भी उनकी पूजा करते हैं। यह आस्था ही महाराष्ट्र में गणेश जी की लोकप्रियता का मुख्य कारण है।


• गणेश मंडल -

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के दौरान बड़े सार्वजनिक मंडल बनाए जाते हैं, जहाँ गणेश जी की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव बहुत ही बड़े scale पर आयोजित किया जाता है। अतः इस उत्सव में दिव्यता और भव्यता दोनों शामिल है। और जहां दोनों शामिल हो, वहां प्रसिद्धि तो अवश्यंभावी है।


गणपति बप्पा मोरया....

गणपति महाराज जी की जय🙏🏻🎉💐

Tuesday, 26 August 2025

Poem: हरतालिका तीज निराली

शिव शम्भू और मां पार्वती की कृपा सदैव बनी रहे 🙏🏻 🙏🏻 

सभी को हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐


हरतालिका तीज निराली

 



आई हरतालिका तीज निराली 

सुहागिनों का शुभ करने वाली 

हरा श्रृंगार, हर ओर हरियाली 

मन-मस्तिष्क में सुख भरने वाली 


कठिन तप, अटूट विश्वास 

शिव पार्वती की कृपा अपार 

सभी सुहागन व्रतों में इसको

सबसे अधिक बनाए खास 


प्रेम, भक्ति और तपस्या का

सजनी करती इसमें श्रृंगार 

अलौकिक प्रदीप्ति से 

दमके उसका घर संसार 


काले मेघ, घनघोर घटाएं 

मन में प्रेम प्रीत जगाएं 

साजन के संग मिलकर 

आओ यह शुभ पर्व मनाएं 

Wednesday, 20 August 2025

Short Story : इंसान की कीमत

इंसान की कीमत

एक लड़का था रजत, जो कि रोज एक आश्रम में जाता था, वहां के गुरु जी लोगों को बहुत-सी गूढ़ बातें बताते थे।

एक दिन रजत ने गुरु जी से पूछा, “एक बात बताइए कि कुछ मनुष्य महलों में रहते हैं तो कुछ झोंपड़ी में, कुछ के पास खाने को इतना है कि वो खाकर फेंक देते हैं तो कुछ के पास दोनों समय खाने के लिए भी नहीं है। ऐसा क्यों है? और दुनिया में इंसान की क्या कीमत है? साथ ही ज्यादा कीमती क्या है पैसा या काम?”

गुरु जी ने कहा, “बेटा, पैसा सबके पास होता है, कम या ज्यादा और काम भी सब के पास होता है, छोटा या बड़ा। पर कीमत सबसे ज्यादा होती है, स्थान की…”

“स्थान की? मतलब?”

वो बोले, “एक काम करो कि तुम मेरा यह कड़ा ले जाओ और इसकी कीमत पता करके आओ, पर इसे बेच कर मत आना, सिर्फ कीमत पूछकर आना और हां, कोई जब इसकी कीमत पूछे तो तुम्हें कुछ बोलना नहीं है, केवल दो उंगली दिखा देना।”

“इससे क्या होगा?”

“वो तुम्हें खुद पता चलेगा…”

कड़ा इतना सुन्दर था कि कोई भी उसे आसानी से खरीदने को तैयार हो जाता।
रजत कड़ा लेकर एक bus stand में गया।

उसने कड़ा बेचने के लिए एक आदमी को कड़ा दिया, कड़े की सुंदरता देखकर आदमी कड़ा खरीदने को तैयार हो गया, उसने रजत से कड़े की कीमत पूछी। उसने बिना कुछ कहे, दो उंगलियाँ दिखा दीं।

आदमी बोला, “₹200?”

“हाँ जी, धन्यवाद। माफ़ कीजियेगा, दरअसल मुझे केवल इसकी कीमत पता करनी थी, इसे बेचना नहीं है।” कहकर रजत ने कड़ा लिया और बहुत तेज़ी से आश्रम की ओर बढ़ गया।

“गुरू जी! गुरु जी! मुझे कीमत पता चल गई, इसकी कीमत ₹200 है।”

“अच्छा! बढ़िया, अब तुम एक बार फिर से किसी और जगह जाओ और फिर वही प्रकिया दोहराओ।”

रजत अबकी बार एक बड़े से mall में गया, उसने कड़ा बेचने के लिए एक आदमी को कड़ा दिखाया। वह खरीदने के लिए तैयार होकर उसने रजत से उस की कीमत पूछी। रजत ने बिना कुछ कहे, फिर से दो उंगलियाँ दिखा दीं।

आदमी ने पूछा, “₹2000?”

अपनी स्थिति को समझाकर और उस आदमी को धन्यवाद देकर रजत कड़ा वापस ले लेता है। वह खुशी से भर कर आश्रम की ओर चलने लगा।

“गुरु जी! इसकी कीमत तो बढ़ गई, इसकी कीमत दो हज़ार रुपए है।”

गुरु जी एक बार पुनः उसे किसी दूसरी जगह पर जाने को और वही प्रक्रिया वापस दोहराने को बोलते हैं।

इस बार रजत एक jeweller के showroom में जाता है। जब रजत उसे कड़ा दिखाता है, तो jeweller की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। Jeweller सोचता है, ‘वाह! यह कड़ा तो खरे सोने से बना हुआ है। कितने नग और हीरे भी तो जड़े हुए हैं इसमें। लड़के से कीमत पूछी जाए।’

कीमत पूछी जाने पर रजत एक बार फिर दो उंगलियां दिखा देता है। Jeweller पूछता है, “₹200000?”

2 लाख की कीमत सुनकर तो रजत को भी भरोसा नहीं होता। Jeweller से रजत कहता है कि वो कड़ा उसके गुरु की आखिरी निशानी है और वो उसे बेचना नहीं चाहता। Jeweller और महंगे भाव पर भी उसे खरीदने को तैयार हो जाता है, पर रजत नहीं मानता है।

चमकती आँखों के साथ वह आश्रम में वापस लौटता है। हैरानी और खुशी के मिले हुए भावों के साथ वह गुरु जी से बोलता है, “कितना कीमती है यह कड़ा! जोहरी तो ढाई (2.5) लाख रुपए में भी उसे खरीदने को तैयार हो गया था।”

“महंगा तो होगा ही। शुद्ध सोने से बना और इतने हीरे-जवाहरात से जो जड़ा हुआ है। वैसे तुमने एक बात देखी क्या?”

“कौन-सी बात?”

“Bus stand पर उस कड़े की कीमत दो सौ रुपए थी। लोग वहाँ से अक्सर इसी मूल्य के सामान लेते हैं। आदमी को कड़ा सुन्दर लगा, इसलिए अपने हिसाब से कीमत बता दी।

फिर जब तुम mall में गए, तो उसकी कीमत बढ़ के दो हज़ार रुपए हो गई। वहां से लोग दस-बीस हज़ार के सामान ले लेते हैं, और उस आदमी को नग कीमती लगे होंगे। इससे कड़े की कीमत बढ़ गई।

आखिर में तुम गए जोहरी के पास। वो जानता था कि कड़े की असली कीमत क्या है। इसलिए उसने उसकी कीमत ढाई लाख रुपए बताई, जो वास्तव में इस कड़े की कीमत है।

जिस प्रकार इस कड़े की कीमत बिकने वाली जगह पर आधारित थी, उसी प्रकार से मनुष्य की असली कीमत भी तब ही होती है, जब वह अपने उचित स्थान पर हो। अतः, मनुष्य को सदैव अच्छी संगत में रहना चाहिए और ऐसी जगहों पर ही रहना चाहिए जहाँ उसका आदर हो।”

“समझ गया गुरु जी। आप सच में महान हैं, एक कड़े के माध्यम से आप ने जीवन की अनमोल सीख दे दी मुझे।” रजत मुस्कुराते हुए आश्रम से बाहर निकलता है।

Saturday, 16 August 2025

Poem : The Story of Giridhar

This is the first time Advay has expressed a story in the form of a poem (written a ballad). Please motivate him if you do like it.

Happy Janmashtami 🎉

The Story of Giridhar


After scorching heat, comes pleasant rain,
When nature itself, waters the grain.
This monsoon season, has many folklores,
Full of lessons, worth several crores.


They are one of the earliest creations,
Passed along many several generations.
Let me narrate, one of the folktales,
Where arrogance, fury and anger fails.


The auspicious and holy place of Mathura,
Acted as the residence of Lord Krishna.
The villagers were farmers by occupation,
And revered Lord Indra, for apt irrigation.


One fine day, with a question in his head,
In an innocent voice, Lord Krishna said,
“Why worship Indra? What does he do,”
As if attempting, to get a small clue.


Maa Yashoda replied, “There’s a reason,
He is the god of the monsoon season.”
Krishna understood, but was dissatisfied.
To share his view, he moved a bit aside.


“Why not worship Mount Govardhan?
For our cattle, it is the grass garden.”
Everyone agreed, and did the same.
For Indra, it became a matter of shame.


As a result, he started raining exceedingly.
For seven days, it rained increasingly.
Nothing was harmed, he was surprised,
The savior’s God himself, he had realized.


He came down, in order to apologize,
But he couldn’t simply believe his eyes.
A boy held a mountain on his li’l finger,
None other than Shri Krishna, or Giridhar.

Friday, 15 August 2025

Poem : कहानी स्वतंत्रता की

79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर शहीदों को श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हुए आज की यह कविता प्रस्तुत करते हैं…

कहानी स्वतंत्रता की


मंगल पांडे, तात्या टोपे,

या फिर झांसी की रानी। 

स्वतंत्रता दिलाई किस-किस ने,

है यह बड़ी लंबी कहानी।।

 

शहीद यहाँ हुए अनेकों, 

कुछ जाने, कुछ अनजाने भी। 

हंसते-हंसते खून बहा दिए,

आजादी के परवानों ने ही।।

 

वीर सावरकर, और भगत सिंह,

हो या चंद्रशेखर आजाद।

नाम अनेकों जुड़े हुए हैं,

जिन्होंने देश को किया आबाद।।


गांधीजी हो, सरदार पटेल,

या हो सुभाष चन्द्र बोस। 

अंग्रेजों की कुटिल चाल को,

सदा के लिए किया ख़ामोश।।


हर भारतीय ने किया विरोध,

 गूंज उठा हर एक इलाका।

पराजित फिरंगी देख हैरान थे,

लहराता हुआ विजय पताका।।


सन् सत्तावन से भड़की चिंगारी,

सन् सैंतालीस में शांत हुई।

फिरंगियों की सेना हारी, 

बेचैन और क्लान्त हुई।।


शत्-शत् नमन उन सभी को,

जो थे अमर‌ वीर बलिदानी।

सदियों तक याद की जाएगी,

स्वतंत्रता की अमिट कहानी।।



🇮🇳🙏🏻 भारत माता की जय 🙏🏻🇮🇳

Thursday, 14 August 2025

Poem : बारिश की नन्हीं बूंदें

रिमझिम बारिश को देख मन स्वतः ही काव्य-रस में भीगकर नन्हीं बूंदों संग अठखेलियां करता हुआ यह कविता गढ़ता चला गया। आइए इसका आनन्द लें और बारिश के मनभावन मौसम का लुत्फ उठाएं…

बारिश की नन्हीं बूंदें


बारिश की नन्हीं बूंदें, 

इठलाती-बलखाती सी।

नभ से उतरकर जो,

धरा की अंक में समाती हैं।

सौंधी खुशबू से हर एक के

तन-मन को महकाती हैं।।

तरुणी को आया नवयौवन, 

भाता उनका चंचल चितवन।

क्षणिक मनोहर-सी वो आभा,

 नैनों को तृप्ति दिलाती है।

विटप नहाए, पपीहा गाए,

प्रकृति में हरियाली छाए।।

देखकर ऐसी छवि निराली, 

जन-जन को हर्षाती है। 

बारिश की नन्हीं बूंदें, 

इठलाती-बलखाती सी।

नभ से उतरकर जो,

धरा की अंक में समाती हैं।।

Tuesday, 12 August 2025

Article : गर्व राखी पर

दो दिन से medical related problems के लिए hospital जाना हो रहा था।

तो आने-जाने और hospital में एक बात notice की, उसे बताने से पहले हिन्दू त्यौहार के विषय में जान लेते हैं।

गर्व राखी पर 


हिन्दू धर्म, एक ऐसा धर्म है, जहां हर धर्म से अधिक देवी-देवता हैं और हर धर्म से अधिक इसमें तीज-त्योहार मनाए जाते हैं।

पर सर्वाधिक देवी-देवता, हिन्दू धर्म में ही क्यों हैं? ऐसा कभी आपने सोचा?

अगर नहीं, तो चलिए साथ में विचार करते हैं...

एकमात्र हिन्दू धर्म में ही हर एक को ईश्वरीय स्थान प्राप्त है, फिर वो पेड़-पौधे हों, पशु-पक्षी हों, चाहे प्रकृति हो, या रिश्ते हों, जैसे पूर्वज, पति, भाई, संतान इत्यादि...

जब हर कुछ पूजनीय है तो देवी-देवता भी बहुत सारे होंगे और तीज-त्योहार भी...

और जितने अधिक देवी-देवता और तीज-त्योहार होंगे, उतना ही अधिक उत्साह, उमंग, प्रेम, अपनत्व, सुख और आनंद...

और जीवन में जिसे यह सब प्राप्त हो, वो ही मोक्ष प्राप्ति कर ईश्वर में समा पाएगा।

दीपावली, होली, रामनवमी, दशहरा, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, नवरात्रि, राखी, करवाचौथ, तीज, छठ, सकट, गणेशोत्सव, रथयात्रा, नागपंचमी इत्यादि... इतने अधिक तीज-त्योहार हैं कि बस लिखते ही जाएं...

इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है राखी...

भाई-बहन के प्यार को प्रेम के मजबूत बंधन में बांधती रेशम की डोर... 

जितना यह अनोखा बंधन है उतना ही गर्व से भरा हुआ...

हमने देखा कि जिन कलाइयों में राखी बंधी हुई थी, उन लोगों के चेहरे पर एक अलग ही सुख और गर्व की आभा थी।

और यह आभा, उतनी अधिक थी, जितनी ज्यादा राखी बंधी हुई थी कलाई पर...

उम्र, फिर चाहे कुछ भी हो, बच्चा, जवान या वृद्ध, सभी अपने हाथों में बंधी राखी से प्रसन्न होकर उसे बार-बार उसे ठीक करते रह रहे थे।

कौन कहता है कि केवल पुत्र प्राप्ति की कामना है, पूछिए भाइयों से कि उन्हें कितना इंतजार रहता है अपनी कलाइयों को सजवाने का, या जानिए, उन भाइयों से कि वो कितने दुखी रहते हैं, जिनकी कलाई सूनी रहती है...

कितने ही लोग तो ऐसे होते हैं, जो अपने हाथों में राखी एक-दो दिन नहीं बल्कि महीनों तक या अगली राखी तक बांधे रहते हैं।

इन गर्वित चेहरों को देख कर यह ही प्रतीत हुआ कि लोगों को लगता होगा होली, दीपावाली बड़ा त्योहार होगा, पर राखी से सजी हुई कलाइयां और गर्व से भरे हुए चेहरे, कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे थे।

इससे यह एहसास होता है कि भारत देवी-देवताओं और तीज-त्योहारों का देश है, जहां प्रेम, सुख, आनंद, श्रद्धा और विश्वास है। जहां यह सब है, वहीं ईश्वरीय वास है और जहां ईश्वर है, वहीं जीवन भी है और मोक्ष भी...

इसलिए अगर आप भारतीय है और भारत में ही रह रहे हैं तो अपने आप को सम्मानित महसूस कीजिए और गर्व से कहें,

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳  

Saturday, 9 August 2025

Poem : राखी बंधन है प्यार का

राखी के पवित्र पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ, सभी भाई-बहन एक-दूसरे के साथ प्यार के बंधन में बंधे हुए एक-दूसरे का साथ निभाएं और जीवन में सभी सुख पाएं...

राखी बंधन है प्यार का


भाई बहन का रिश्ता,

होता अजब निराला है।

जीवन से मरण तक

चलने वाला है।।

माता पिता का साथ,

हम अपने बुढ़ापे तक

नहीं पाते हैं।

और जीवन साथी से, 

बचपन से ही नहीं

जुड़ जाते हैं।।

एक भाई-बहन

का ही रिश्ता है,

जो बचपन से जुड़ता है,

और बुढ़ापे तक जाता है। 

इसलिए राखी का त्योहार, 

हम सब की जिंदगी में

एक अलग ही स्थान पाता है।।

राखी बंधन है प्यार का,

अपनत्व और विश्वास का।

बचपन के सौहार्द का,

कहे-अनकहे जज़्बात का।। 

यह एक अलग ही एहसास है,

जो बनाता त्यौहार को खास है।


राखी की अनेकानेक बधाइयाँ…

Monday, 4 August 2025

Article : Life in Metros 1 (Delhi vs Mumbai)

आज कल एक प्रश्न हमारे ईर्द-गिर्द चल रहा है कि दिल्ली, मुंबई कौन है बेहतर?

इस बात को शुरू करने से पहले तो यह कहना चाहेंगे कि जिस व्यक्ति का जन्म जहां हुआ होता है या जिस शहर के आसपास हुआ होता है, या उसके सपने क्या पाने के हैं, उस पर निर्भर करता है, कि उसे कौन सा शहर ज्यादा बेहतर लगेगा।

वैसे भारत का हर शहर बेहतर है, कमी और अच्छाई सबमें है। 

अब बात उसकी करते हैं, जिसकी चर्चा कर रहे हैं। दोनों ही metro cities है, हर बात में बाकी शहरों से बेहतर हैं।

तो हर मुद्दे को मद्देनजर रखते हुए बात आगे बढ़ाते हैं।

Life in Metros 1 (Delhi vs Mumbai)


हम एक आम इंसान की जरूरत को लेते हुए बात करेंगे।

तो किसी की भी मूलभूत आवश्यकता होती है रोटी-कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य...

दूसरे शब्दों में महंगाई कहां कितनी है?


1) Clothes :

इसमें से कपड़ा तो लगभग हर दूसरे शहर में एक-दूसरी जगह से export-import होता रहता है तो यह तो आपकी choice पर depend करता है कि आप कितने branded और कितने local कपड़े पहनते हैं, more or less बराबर ही दाम के कपड़े मिल जाते हैं दोनों शहरों में।


2) Food :

अगर आप vegetarian है तो बता दे कि सब्जियां मुंबई में ज्यादा महंगी हैं, साथ ही अगर U.P., M.P., Delhi वाले हैं तो यहां पर मिलने वाली बहुत-सी सब्जियां ऐसी होंगी जो शायद वहाँ नहीं भी मिलेगी। पर जो सब्जियां मुंबई या अन्य प्रांतों की है, वो आपको दिल्ली की बड़ी मंडी में देखने को मिल सकती हैं, हां एकदम local शायद थोड़ी न भी मिले।

अब अगर आप non vegetarian हैं तो depends की आप को क्या ज्यादा पसंद है, fish or meat... Fish undoubtedly मुंबई में ज्यादा varities की और सस्ती मिलेगी।

बाकी राशन more or less same है, जिसका एक कारण online shopping का चलन भी है।


3) Residence :

मकान आपको किराए पर लेना हो या खरीदना हो, दोनों ही सूरत में घर मुंबई में महंगे हैं। और एक बात है कि दिल्ली plain area में है और मुंबई पहाड़ों को काटकर और समुद्र को पाट कर बनाया गया है। तो मुंबई के पास ज़मीनी जगह कम है। 

दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 1484 km² है, जबकि मुंबई का केवल 550 km² है।

इस ही कारण से वहाँ घर महंगे भी हैं और उन्हें timely redevelopment की जरूरत भी होती है।

अतः मुंबई में घर, office, hotel, हर एक का size comparatively छोटा है, means size ½ और price 1½ गुना...

इस कारण से मुंबई में खरीदे हुए घरों की EMI भरते-भरते उम्र निकल जाती है, और किराया चुकाते-चुकते जेबें ढीली हो जाती हैं। ऐसा नहीं है कि दिल्ली में घर बहुत सस्ते हैं, पर मुंबई के comparison में सस्ते हैं।


4) Education :

Education के point of view से देखेंगे तो education and exposure दिल्ली में ज्यादा है। और अगर fees का comparison देखेंगे तो normal schools की fees मुंबई में ज्यादा है। 

हां ज्यादा महंगे school देखने चलेंगे तो आप को दिल्ली में भी एक से एक महंगे school मिल जाएंगे।

अगर आप को medical, engineering, UPSC, management, etc. की education देखनी है तो Delhi is the best, पर अगर आपको कला से जुड़ी education चाहिए, जैसे art, drama, media, etc. तो मुंबई ज्यादा बेहतर है।

ऐसा नहीं है कि मुंबई में medical, engineering, UPSC and mangement की education नहीं है या दिल्ली में art, drama, media etc नहीं है। पर हर शहर कुछ खास field में ज्यादा बेहतर होता है, बस वही कहा है।


5) Medical Facilities :

फिर वही बात कि दोनों metropolitan cities है तो दोनों ही जगह भरपूर medical facilities है।


6) Weather :

Delhi का weather dry है जबकि मुंबई का humid..

इस कारण से दिल्ली में ठंड और गर्मी भयंकर पड़ती है, और बरसात, मुंबई के मुकाबले कम होती है। जबकि मुंबई में आए दिन बरसात होती रहती है, अतः throughout the year temperature काफी कुछ same रहता है।

पर humid weather के कारण चिपचिपाहट बहुत ज्यादा होती है, पसीना सूखना मुश्किल होता है, तो AC की requirement लगभग पूरे साल रहती है। जबकि दिल्ली में ठंड के दिनों में AC बंद हो जाते हैं पर geyser and heater चलना शुरू हो जाते हैं, मतलब बिजली का खर्च लगभग एक जैसा...

मुंबई में आए दिन बरसात और समुद्र के कारण, humid weather रहता है, जिसके कारण सामान का रख-रखाव ज्यादा करना पड़ता है, सामान के खराब होने, फफूंदी लगने, दीमक लगने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। 

जबकि dry weather के कारण दिल्ली में सामान का रखरखाव कम करना पड़ता है।

बाकी सामान की care तो करनी ही चाहिए। अच्छी care सामान की shelf life बढ़ा देता है।


7) Pollution :

Traffic and population दोनों ही दोनों शहरों में लगभग बराबर ही है।

फिर भी pollution undoubtedly मुंबई में कम है, कारण समुद्र की मौजूदगी... Water body की मौजूदगी pollution को purify करने का काम करती है।

दूसरा दिल्ली में plastic का usage बहुत ज्यादा होता है और treatment कम।नतीजन दिल्ली में ज्यादा pollution होनी की एक बहुत बड़ी वजह कूड़े का पहाड़ और हद से ज्यादा गंदी‌ और संकरी हो चुकी यमुना जी भी हैं।


8) Traffic :

Traffic दोनों ही जगह ज्यादा है, पर traffic jams मुंबई में ज्यादा होता है, कारण दिल्ली की सड़कें चौड़ी ज्यादा है तो jams, comparatively मुंबई से कम देर के लिए लगते हैं। 

चाहे कोई भी शहर हो, water logging होने से jams ज्यादा होता है। फिर चाहे दिल्ली हो या मुंबई...

मुंबई में बारिश और समुद्र की वजह से water logging ज्यादा होती है।


9) Language : 

India में चार metro cities हैं, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई...

मुंबई में मराठी, कोलकाता में बंगाली, चेन्नई में तामिल भाषा को पाठ्यक्रम में जरूर से शामिल रखा जाता है, चाहे आपका मन हो या न हो आपको पढ़ना ही होगा। साथ ही वहां के locals भी चाहते हैं कि आप उनकी regional language सीखें।

जबकि कम से कम metropolitan cities में ऐसा नहीं होना चाहिए। सभी cities India की हैं और अगर कोई हिन्दी भाषा बोलता है तो उसके साथ पराएपन का व्यवहार बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

पर दिल्ली में आपको किसी भी भाषा को सिखाने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है। जबकि दिल्ली में भी पंजाबी लोगों की अधिकता है। 

Course में हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अलावा संस्कृत, उर्दू, पंजाबी, बांग्ला, तेलुगु, तामिल, गढ़वाली, foreign language आदि है। पर पढ़ने के लिए कोई बाध्यता नहीं है। आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी भाषा पढ़ने के लिए चुन सकते हैं।

भारत का दुर्भाग्य है कि English language को सर्वोपरि माना जाता है, उसके बाद अन्य भाषाएं आती हैं, जबकि सबसे पहला स्थान हिन्दी भाषा को मिलना चाहिए।

हिन्दी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि की भाषा नहीं है, बल्कि वहां की भी अवधी, ब्रज, भोजपुरी, खड़ी बोली, बुंदेली, बघेली, मालवी, निमाड़ी, पंजाबी आदि भाषाएं हैं। पर हिन्दी को मान केवल उ.प्र., म.प्र. और दिल्ली में ही मिलता है, उतना तो नहीं जितना मिलना चाहिए, दूसरी भाषा के रूप में ही सही, पर बाकी पूरे भारत में हिन्दी भाषा को दूसरी नहीं बल्कि तीसरी भाषा के रूप में या किसी भी तरह का सम्मान नहीं...

आपने दोनों शहरों में अंतर देख लिया, कौन सा बेहतर है, यह सबकी अपनी-अपनी सोच है, लेकिन कुछ बात तो है, जो दिल्ली भारत का दिल है और हमारा भी...

Love you Delhi 💞

Sunday, 3 August 2025

Poem : हमारा सच्चा यार

आप सभी को मित्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ 💞💐

आज की यह कविता अद्वय के मन के उद्गार हैं, आइए देखते हैं कि आज कल के बच्चे क्या सोचते हैं, दोस्त के लिए...

इसका आनन्द लीजिए और अगर आप को पसंद आए तो कृपया उसे प्रोत्साहित अवश्य कीजियेगा 🙏🏻

हमारा सच्चा यार



जिसके लिए मायने नहीं रखता,

क्या सोचता है संसार।

वही व्यक्ति तो है,

हमारा सच्चा यार।।


जो बन जाता है हमारे,

जीवन जीने का आधार।

वही मनुष्य तो है,

हमारा सच्चा यार।।


जिसकी मौजूदगी से आए,

हमारे जीवन में बहार।

वही मानव तो है,

हमारा सच्चा यार।।


जिससे साझा कर सकें,

हम अपने सभी विचार।

वही इंसान तो है,

हमारा सच्चा यार।।