होलिका दहन, मूहुर्त व पूजा विधि
होलिका दहन, क्यों किया जाता है? इसके पीछे क्या मान्यता है?
हिन्दुओं में बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक हर एक को पता है, कि होलिका दहन क्यों किया जाता है। तथापि जिन्हें विदित नहीं हो, उन्हें भी पता रहे कि क्यों होलिका दहन किया जाता है और क्यों उसे रंगोत्सव के एक दिन पहले किया जाता है? हम आपको बता देते हैं...
होलिका दहन की पौराणिक कथा :
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हिरण्यकशिप का ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। दैत्य पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परन्तु भगवान नारायण स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गयी।
उस दिन फालगुन मास की पूर्णिमा थी। इस प्रकार, तब से होलिका दहन का प्रचलन प्रारंभ हो गया।
हमारे कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
आज 17 मार्च 2022 को गुरुवार के दिन होलिका दहन किया जाएगा, इसके अगले दिन 18 मार्च को शुक्रवार के दिन रंगों की होली मनाई जाएगी।
हर साल होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को सूर्यास्त के बाद किया जाता है। पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी, लेकिन 17 मार्च को 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा।
भद्राकाल होने से लोगों के मन में होलिका दहन के समय को लेकर संशय बना हुआ है। शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ समय बताया गया है और इस समय में किसी भी शुभ काम को न करने की हिदायत दी गई है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :
शास्त्रों में भद्राकाल में कोई भी शुभ काम न करने के लिए कहा गया है। भद्राकाल देर रात 12:57 बजे तक रहेगा। ऐसे में देखा जाए तो होलिका दहन का शुभ समय तो 12:57 बजे के बाद ही है। 12:58 बजे से 02:12 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है। इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी लेकिन कुछ ज्योतिष विद्वानों का मत है कि होलिका दहन रात 09:06 बजे से लेकर 10: 31 बजे के बीच भी किया जा सकता है क्योंकि इस समय भद्रा की पूंछ रहेगी। भद्रा की पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है।
होलिका की पूजा विधि :
हिन्दुओं के किसी भी पर्व का प्रारंभ, पूजा अर्चना से होता है। फिर होली तो, हमारा महापर्व है अतः इसका प्रारंभ भी पूजा-अर्चना से ही होता है।
रंगोत्सव से एक रात पहले, होलिका दहन के शुभ मूहर्त पर, लकड़ी से तैयार, होलिका की पूजा अर्चना की जाती है। इस पूजा अर्चना के लिए निम्न पूजन सामग्री चाहिए होती है।
पूजा हेतु सामग्री :
एक बड़ी सी plate में कच्चा सूत, तांबे के लोटे में जल, चावल, पुष्प, हल्दी, लौंग, तेज़पत्र, कपूर, गेहूं की बालें, नारियल, तथा रोली/कुंकुम रख लीजिए।
साथ में, वह सब पकवान जो आप ने होली के लिए बनाए हैं, जैसे गुझिया, मठरी, निमकी, शक्कर पारे, मिक्सचर, पापड़, चिप्स, दही बड़े आदि में से थोड़ा-थोड़ा रख लेते हैं। यदि आप ने घर में कुछ भी पकवान नहीं बनाएं हैं तो, थोड़ी से बताशा या कोई मिठाई भी रख सकते हैं।
पूजा विधि :
शाम के समय पूजा करके होलिका जलाएं और उसकी तीन परिक्रमा करें। वहीं भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए पाचों अनाज को अग्नि में अर्पित कर दें। परिक्रमा करते हुए अर्घ्य दें, 3 या 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका पर कच्चा सूत लपेटें। फिर गोबर के बड़कुले, चने की बालों, जौ और गेहूं होलिका में डालें। गुलाल डालें और जल भी चढ़ाएं।
साथ में आप पकवान, मिठाई आदि जो ले गए हैं, उसमें से कुछ वहांँ पर चढ़ा दें और बाकी बचे हुए को घर में रखे पकवानों में मिला दें, जिससे घर में रखे सारे पकवान भोग बन जाए। अब उन्हें सब को प्रसाद के रूप में बांट दें।
होलिका जलने के बाद उसकी भस्म को अपने घर ले जाएं और उसे पूजा वाले स्थान पर रख दें। ऐसा करने से घर पर सुख-समृद्धि का वास रहेगा। साथ ही मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।
होली के पहले बन रहे पकवानों को होलिका दहन में अर्पित करने के बाद, वहाँ से बचे हुए भाग को सारे पकवानों में मिला कर प्रसाद बनाने के बाद ही ग्रहण (खाया) किया जाता है।
होलिका दहन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ, श्री हरि हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं🙏🏻🙏🏻
हम सभी की जिंदगी, रंग, उमंग और उत्साह से परिपूर्ण रहे। सभी सुखी, संपन्न, स्वस्थ व चिरायु रहें 🙏🏻😊
Bahut hi saral tareeke se puja vidhi aur uska mahatva samjhane ke liye dhanyawaad.
ReplyDeleteThank you so much for your appreciation 😊
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