पहली स्टील की सड़क
आज हम एक ऐसा article, share कर रहे हैं, जिससे आपको अवगत होगा कि हमारा देश, दिन-प्रतिदिन कैसे विकास की ओर अग्रसित हो रहा है।
हमारा देश आज उस direction में भी सोच रहा है, जिस तरफ़ कभी सोचा ही नहीं गया था। बल्कि यह कहना चाहिए कि ना केवल सोच रहा है, अपितु उससे देश को सफलता की ओर ले जा रहा है।
आज हम बात कर रहे हैं, first steel road की। एक ऐसी सड़क, जो कंकड़-पत्थर से नहीं बल्कि steel से बनी है।
आप सोच रहे होंगे कि, क्या ज़रूरत है, steel की सड़क बनाने की? वैसे ही देश में खर्चा कम है, जो बेकार में steel की सड़कें बनाने की योजना बनाई जा रही हैं।
अगर हम आप से कहें कि खर्च बढ़ेगा नहीं, बल्कि उचित उपयोग होगा, साथ ही देश में स्वच्छता, सुदृढ़ता व सुरक्षा और अधिक बढ़ जाएगी।
क्या हुआ, सुनकर चौंक गए?
तो चलिए आप को बताते हैं, यह किस तरह से मुमकिन है।
First Steel Road :
गुजरात के सूरत में steel की सड़क बनाई गई है। देश में पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया है। यह सड़क हजीरा industrial area में बनाई गई है। वैसे, ये पढ़कर आपको लग रहा होगा कि पूरी सड़क steel की है और इसे बनाने के लिए steel की कई चादर बिछाई गई होंगी, तो करोड़ों का खर्चा हो गया होगा, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है।
दरअसल, इसे देश भर में steel plants से निकलने वाले कचरे(slag) से बनाया गया है। आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल अलग-अलग steel plants से करीब 19 million tons कचरा (steel waste) निकलता है। जिससे हालात ये हो गए हैं कि steel के कचरे के पहाड़ बन गए हैं।
First time experiment
इन पहाड़ों से निजात पाने के लिए, ये नया प्रयोग शुरू किया गया है। कई research के बाद गुजरात में steel के कचरे से 6 lane road पर प्रयोग के तौर पर बनाई गई है।
Steel कचरे से फिलहाल केवल एक किलोमीटर लंबी सड़क ही बनाई गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि सबकुछ ठीक रहा तो भविष्य में देश में Highway और road आदि बनाने के लिए steel कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे विकास कार्य को तेज़ी तो मिलेगी ही, साथ ही steel के कचरे से भी निजात मिल सकेगी।
यह Council Of Scientific And Industrial Research (CSIR) और Central Road Research Institute (CRRI) सहित Ministry of Steel और नीति आयोग की सहायता से तैयार किया गया है। यह परियोजना भारत सरकार के waste to walth और स्वच्छ भारत अभियान से भी जुड़ी है।
How to create a road with steel waste :
स्टील कचरे से सड़क बनाने के लिए सबसे पहले एक लंबी प्रक्रिया के बाद steel के कचरे से गिट्टी बनाई गई। इसके बाद इसका प्रयोग सड़क बनाने में किया गया। CSIR के अनुसार बनाई गई सड़क की मोटाई को भी 30 प्रतिशत तक घटाया गया है। ऐसी उम्मीद है कि स्टील कचरे की तकनीक से बनी सड़क ज़्यादा मज़बूत होगी और मानसून सीजन में इसके खराब होने की संभावना बेहद कम होगी।
CRRI के प्रिंसिपल वैज्ञानिक सतीश पांडेय ने बताया, ‘भारी ट्रकों के चलते हजीरा पोर्ट पर एक किलोमीटर लंबी सड़क पहले बेहद खराब स्थिति में थी। इसके बाद सरकार ने प्रयोग के तहत सड़क की मरम्मत के लिए steel waste का प्रयोग किया। अब हर दिन करीब 1000 से ज़्यादा ट्रक 18 से 30 टन का वज़न लेकर इससे गुज़रते हैं लेकिन इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है। सतीश पांडेय के अनुसार इस प्रयोग के बाद अब देश के हाइवे और दूसरी सड़कें स्टील के कचरे से बनाई जा सकेंगी क्योंकि इससे बनी सड़के काफी मज़बूत और टिकाऊ हैं। भारत भर में steel plants से हर साल 19 million tons steel waste निकलता है और एक अनुमान के अनुसार इसके 2030 तक 50 million tons मिलियन टन तक बढ़ने की संभावना है।
अब आप समझें, हमारा किस ओर इशारा था?
जी बिल्कुल सही समझे, best out of waste. आज हमारा भारत, waste से भी सुअवसर, विकास और सफलता प्राप्त कर सकता है। उसका भी सदुपयोग कर सकता है। समृद्धि तभी आती है, जब हमे हर एक चीज़ का सदुपयोग कर रहे हों।
यह है हमारा नया भारत, सुदृढ़ भारत, सफल भारत...
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
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