Norway Chess (Open) में भारतीय खिलाड़ी, D Gukesh ने world no.1 player Magnus Carlsen को उनके ही देश Norway में classical chess tournament के 6th round में हराकर, अपने गुरु विश्वनाथन आनंद को गुरु दक्षिणा में अपनी जीत प्रदान की।
किसी भी गुरु के लिए इससे बड़ी गुरु दक्षिणा कुछ नहीं हो सकती है, कि जिस के कारण उसका अधिपत्य समाप्त हुआ हो, उसका शिष्य उसे ही हराकर आए।
क्या मतलब?
D Gukesh की गुरु दक्षिणा
दरअसल 2007 से 2012 तक भारत के विश्वनाथन आनंद शतरंज के विश्व विजेता रहे। 2013 की world championship में उनका match Carlsen से हुआ, और उसने उस tournament में जीत हासिल कर विश्व विजेता के खिताब पर अपना नाम लिख दिया।
Norway Chess (Open) में विश्वनाथ आनंद के शिष्य गुकेश ने Carlsen को उसके ही देश में हराकर, उसके निर्विवाद जीत को पूर्ण नहीं होने दिया।
मानो कह दिया, जैसे आपने मेरे गुरु से खिताब जीता था, आज मैंने आपको हराकर उन्हें गुरु दक्षिणा दे दी।
इससे Carlsen का यह घमंड चूर-चूर हो गया कि उसे कोई हरा नहीं सकता है। वो इस हार से इतना बैचेन हो उठा कि उसने यह तक कह दिया कि classical chess वो छोड़ देगा।
एक और घटना ऐसी हुई, जो भविष्य की ओर संकेत कर रही थी।
दरअसल Carlsen 6th round में जब गुकेश से हार गया तो उससे हार बर्दाश्त नहीं हुई और उसने गुस्से में जोर से एक मुक्का playing board की table पर मारा।
उसके मुक्का मारने से उस समय chess board पर Carlsen के जितने pieces थे, सब गिर गये। खड़े रहे तो गुकेश के king, knight and pawn...
और वो king piece मानो कह रहा हो, अब बहुत जल्द बादशाहत बदलने वाली है, और एक बार साम्राज्य फिर से भारतीयों का होने वाला है।
हम सब भारतवासियों के लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारा 19 वर्षीय लाडला खिलाड़ी गुकेश जीत पर जीत हासिल करता जा रहा है।
गुकेश को उसकी जीत पर बधाइयाँ...
गुकेश की जीत का श्रेय, उसके खेल के प्रति उसका रवैया है, जिसकी तारीफ खुद Carlsen ने भी की है :
“गुकेश लड़ता है, और लड़ता है,और लड़ता है, चाहे स्थिति कितनी भी खराब क्यों न हो।”
डी. गुकेश से मिली करारी हार के एक दिन बाद Carlsen ने कहा कि मौजूदा विश्व champion की “ऊर्जा” (energy) और “लड़ाकू गुणों” (fighting quality) ने उन्हें जीत दिलाई़...
जिस भी किसी इंसान में अपने काम के प्रति यह रवैया रहेगा, उस को सफलता शत-प्रतिशत मिलेगी ही मिलेगी।
Norway Chess (Open) कल समाप्त हो गई, Carlsen का last match भारत के Arjun Erigaisi से था, और Carlsen के इस match में भी तोते उड़ गए। काफ़ी जद्दोजहद के बाद match draw ही हो पाया, जबकि armageddon match में win point Arjun को ही मिला।
Open category में last match में अगर गुकेश जीत जाता, तो tournament अपने नाम कर सकता था। काश! ऐसा होता, तो वो Norway Chess (Open) अपने नाम कर लेता, पर ऐसा हो नहीं सका। कोई बात नहीं, better luck next time...
इस बार की एक जीत से Carlsen का घमंड टूट गया है और उसका confidence हिल गया है, अगली बार पूरी tournament ही Indians जीत लेंगे।
Norway Chess की open category और women's category, दोनों formats में total 4 Indian players थे।
Open category में गुकेश 3rd position और अर्जुन 5th position पर आया, वहीं women's category में Koneru Humpy 3rd position पर और Vaishali Rameshbabu 5th position पर आई...
यह एक बड़ी tournament थी और इसमें दोनों formats में Indian players का झंडा गाड़ देना, अपने आप में बड़ा achievement है।
सभी खिलाड़ियों को उनकी सफलताओं के लिए अनेकानेक बधाइयां...
जीत ऐसे ही भारत के हिस्से में आती रहे, और भारत का परचम हमेशा सर्वोपरि स्थान के लिए लहराता रहे 🙏🏻
जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳
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