Friday 26 February 2021

Story of Life : प्यार (भाग -3)

प्यार (भाग -1) और....

प्यार (भाग -2) के आगे......

प्यार (भाग -3)




Car purchasing के regarding, मेरा बेला के घर बहुत आना जाना हुआ।

उनके घर में मेरी खूब आवभगत होने लगी या यूं कहें कि दोस्ती ही हो गई।

मैंने उन लोगों को Car बहुत अच्छी deal में दिलवा दी। 

बेला के पापा जी के कहने से मैं उसे driving भी सिखाने लगा।

सिखाने के दौरान, कब हमारी दोस्ती, प्यार में बदल गई, दोनों ही नहीं जान पाये।

हमने, दोनों के parents को भी बता दिया था कि हम एक-दूसरे को पसन्द करते हैं। दोनों ही परिवार ने हमारी पसंद स्वीकार कर ली थी। 

उसका साथ पाकर मुझे लगने लगा, life set हो गई है।

जिन्दगी के सुनहरे दिन व्यतीत हो रहे थे। 

हमारे परिवार वालों ने हमें प्रणय सूत्र में बांधने की तैयारी भी शुरू कर दी थी।

सब कुछ मन की इच्छाओं के अनुरूप चल रहा था।

मुझे मेरा प्यार, चंद दिनों में मिलने वाला था। मन हसीन ख्वाब सजाने लगा।

शादी का सुहाना दिन भी आ गया।

शेरवानी और सहरे की लड़ियों के साथ मैं तैयार हो गया था।

बारात लेकर मैं अपनी दुल्हन को लेने पहुंच गया।

फूलों और गहनों से सजी मेरी बेला.....

उफ्फ! बिल्कुल अप्सरा सी प्रतीत हो रही थी। आज उसकी गोरी बाहें, चंचल निगाहें कातिलाना अदाएं सब मेरी होने वाली थी।

हम दोनों का विवाह बहुत धूम से हुआ।

हम दोनों घर के लिए विदा हो गए। घर पर माँ हमारे स्वागत की तैयारी कर रही थी।

कार अपनी रफ़्तार से चल रही थी। घर बमुश्किल ½ घंटे की दूरी पर था कि तभी.......

आगे की कहानी पढ़ें, अन्तिम भाग, प्यार (भाग -4) में........

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.