Friday, 10 October 2025

Poem : कैसे मनाऊँ करवाचौथ?

भारतीय संस्कृति में सुहागिनों के बहुत से व्रत हैं। लेकिन करवाचौथ व्रत एक ऐसा व्रत होता है, जिसे रखने की कामना हर विवाहित स्त्री की होती है।

इसका एक बड़ा कारण - films और serials में इसको‌ बहुत ही romantic तरीके से दिखाया जाता है।

आज इस विशेष त्यौहार में एक ऐसे युगल की मनोदशा को संवाद के रूप में कावयबध किया है, जिनमें बहुत अधिक प्यार है, पर जीवन की परिस्थितियों के कारण एक-दूसरे से दूर रह रहे हैं।

आइए, इस अमर प्रेम को समझने की कोशिश करें।

कैसे मनाऊँ करवाचौथ?


झुमकी, पायल, कंगना, 

सब गहनों से बढ़कर,

सजना तुम्हारा प्यार।

 कैसे मनाऊँ करवाचौथ?

तुम बैठे उस पार।। 


सज-धज कर मैं,

किसे रिझाऊँ? 

सभी तो बेकार।

 कैसे मनाऊँ करवाचौथ?

तुम बैठे उस पार।।  


पूजा कर लूँ, 

अर्ध्य मैं दे दूँ,

वो तो सब स्वीकार।

 कैसे मनाऊँ करवाचौथ,

तुम बैठे उस पार।।  


छोड़ नहीं सकती, 

इसको मैं यूँ ही, 

यह प्रेम-प्रीत का त्यौहार। 

 कैसे मनाऊँ करवाचौथ? 

तुम बैठे उस पार।। 


तड़प रहा हूँ मैं भी, 

जाने सारा संसार। 

मुझको तुमसे दूर रहना, 

यह कब स्वीकार?


सज-धज कर,

हो जाना तैयार। 

गर तुमको, 

मुझसे है प्यार।


करना मन से, 

इस व्रत को। 

यह प्रेम-प्रीत का, 

त्यौहार।

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