Friday 9 November 2018

Kids Story : मिठास नहीं आई


मिठास नहीं आई


माँ, माँ चिल्लाता हुआ राजू अपनी माँ से चिपक गया। बोला माँ, बाबा क्या काम करते हैं? क्यूँ, क्यों जानना है तुझे? चल भाग यहाँ से, मुझे काम करने दे। माँ मैं अपने दोस्तों के साथ ही खेल रहा था, कि हरिया बोलने लगा कि राजू तेरे बाबा तो गन्ना बोते हैं। उनसे हम सब दोस्तों के लिए 15-20 गन्ने ले के आ आना, सब दोस्तों की मीठे की दावत हो जाएगी।
उसने कहा, और ये भोलेशंकर चले आए, मांगने। ये हरिया तो है ही एक नंबर का लालची, और मुफ्तखोर, अरे राजू तेरी क्या शादी हो रही है? जो तेरे दोस्तों को दावत चाहिए। 
पर माँ, बाबा करते क्या हैं? हाँ वो गन्ना किसान ही हैं। तो क्या कुछ गन्ने हमे नहीं मिल सकते? राजू ने मासूमियत से भरकर पूछा।
बेटा, दोस्तों को यूंही खिलाता रहेगा, तो हमारे पास खाने को क्या रहेगा? इस बार गन्ने की फसल अच्छी हुई है, अगर इस बार मिल वाला सही पैसे दे दे तो, शायद तेरे बाबा तुझे दिवाली में कुछ मीठा खिला सकें। कब से फटी कमीज़ पहन रहा है, शायद नई कमीज़ दिला सकें। माँ तेरी साड़ी भी तो जगह जगह से सिली हुई है। वो पहले चाहिए। मैं कमीज़ तो फटी भी पहन लूँगा। मिठाई अगली दिवाली में भी खा लेंगे, अपने मुँह में आते हुए पानी को वो रोकता हुआ बोला।
माँ, मैं तेरे पास ही रुक जाता हूँ, खेलने नहीं जाऊंगा, क्योंकि अब तक तो हरिया सबको बोल चुका होगा, कि मैं गन्ना ले कर आ रहा हूँ।
माँ पर बाबा कहाँ हैं? बेटा वो दिल्ली गए हैं। दिल्ली, पर दिल्ली क्यों? सरकार से मांग करने कि, जो किसान सबके लिए मीठा उगाता है। उसके बच्चे को रोज मीठा ना मिले पर, कम से कम वो रोज रोटी तो खा सके। उनके पास ढेरों कपड़े ना हों, पर बदन पर कपड़ा तो हो। उसके पास आलीशान बंगला न हो, पर एक छोटी सी झोपड़ी तो हो ही, जिसमें वो परिवार को मौसम के थपेड़ों से बचा सके।
दो दिन तक राजू खेलने नहीं गया, बाबा का घर में ही इंतज़ार करता रहा।
रघु बहुत ही हताश सा घर में आया। क्या हुआ जी, आप इतने उदास क्यों लग रहे हैं? क्या बताऊँ राजू की माँ, हम लोगों को दिल्ली जाने ही नहीं दिया गया। सब तरफ रोक लगा दी गयी थी। हर बार की तरह, इस बार भी सारा फायदा मिल मालिकों तक ही सीमित रह गया है। सरकार जो भी छूट और सुविधा देती है, उसका सारा फायदा मिल मालिकों को ही मिलता है। और इस बात की कोई भी सुध नहीं लेता है, कि हम किसानों तक भी वो सुविधा पहुँच रही है, कि नहीं। राजू वहीं खड़ा सब सुन रहा था। वह मासूम दुखी होकर रोने लगा। रघु, उसे रोता हुआ देख कर बोला, क्या करें बेटा! मिल मालिकों की तो हर बार दिवाली है। और जिनके कारण हर घर में मिठास आती है। उनके यहाँ इस बार भी मिठास नहीं आई।  

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