Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 1) के आगे.....
Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 )
कामना के इतना बोलने और
पैसे की तंगी के चलते रचित माँ से बात करने चला गया।
लक्ष्मी कैसे भी, रचित की
बात नहीं मान रही थी। पर जब रचित ने कहा, अगर
कामना ने job join नहीं की, तो मजबूरन उसे बीमारी में ही job ढूंढनी
पड़ेगी।
उससे ऐसा भी हो सकता है, अधिक बीमार होने से hospital में admit होना
पड़े।
बेटे की ऐसी बात सुनकर लक्ष्मी ने कह दिया, ठीक है, कामना job कर सकती है।
कामना को जल्दी ही job मिल गयी।
चंद दिनों में रचित ठीक हो गया, और उसने दूसरी company join कर
ली। पर उसने कामना को job continue ही
रखने को कहा।
Job के साथ घर के सारे काम manage करना
कामना के लिए भारी पड़ने लगा। लक्ष्मी चंद दिनों के लिए अपनी बहन के घर गयी थी।
तो एक दिन कामना ने रचित
से कहा, अब तो हम दोनों job कर रहे
हैं। पैसे की तंगी नहीं है, तो क्यों ना अब हम लोग घर के काम के लिए maid रख लें।
रचित इस बात के लिए, खुशी
खुशी ready हो गया। कामना ने एक maid रज्जो
को घर बुला लिया। रज्जो बहुत अच्छा काम करती थी, साथ ही
बहुत सीधी और ईमानदार भी थी।
उसके काम करने से कामना को अपना घर बहुत अच्छा लगने लगा था, क्योंकि अब वो चैन के दो पल रचित के साथ भी बिता रही थी।
उसके काम करने से कामना को अपना घर बहुत अच्छा लगने लगा था, क्योंकि अब वो चैन के दो पल रचित के साथ भी बिता रही थी।
लक्ष्मी जब घर वापस आई, तो
रज्जो को देखकर उसने घर सिर पर उठा लिया। बोली आज कल की बहुयें कुछ काम नहीं करना
चाहती हैं।
वहाँ दीदी की बहू अलका ने काम वाली लगा ली है, और यहाँ कामना ने। हद हो गयी इन लोगों की कामचोरी की।
मैं भी बहू थी, छतीसों काम कर डालती थी, कुएं से पानी भरना, गेहूँ पीसना, फिर बर्तन, झाड़ू-पोछा, 10-10 लोगों के लिए
खाना बनाना, सब अकेले कर लेती थी। और आज हाथ नही हिलता इन बहुओं
से।
रज्जो, लक्ष्मी की बातों
से डर कर भाग गयी। कामना भी सहम कर खड़ी हो गयी। कामना को सहमा देखकर रचित माँ के
पास गया।
आगे पढ़ें मैं भी बहू थीं (भाग- 3)......
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