Friday 4 September 2020

Stories of Life : कौआ बनने से बचा लिया (भाग -2)

कौआ बनने से बचा लिया (भाग -1)  के  आगे.......


कौआ बनने से बचा लिया (भाग -2) 

 



चूंकि मेरे आफिस के रास्ते में एम पी नगर न पड़ने और घर लेट पहुँचने की वजह से मैंने मना कर दिया कि मै नहीं मिल पाऊँगा यार घर जाना है जल्दी आज मुझे पर वो न माना जिद करने लगा। 


तो मैंने कहा कि ठीक है तू हबीबगंज नाके पर मिल,मै वही मिलता हूँ।तो सहमत हो गया और फिर हमारी मुलाकात हुई,तो नाके की सारी चाय की होटल   बंद होने के कारण हम लोग उसकी बाईक से एक पास के रेस्टोरेंट जो कि कस्तुरबा मार्केट में था तो वही चल दिए।


 दोस्तों विधाता ने जो लेख हम लोगो के लिए लिखा था,शायद उसका समय आ गया था।हम गप्पे मारते हुए गंतव्य स्थान पर जा ही रहे थे कि,अचानक सामने से तीव्र गति से आ रही मिनी बस ने एक जोर दार हमारी बाईक को सामने से  टक्कर मारी,जिसके चलते वो और मै बुरी तरह से घायल हो गये। 


उस समय मै अपने पुरे होशो हवास में था तो उठकर फौरन उस को उठाने की कोशिश की किंतु उसको अंदरूनी चोट व सिर में बहुत गहरी चोट लगने के कारण वो अचेत हो गया था। 


तब तक लोगों की भीड़ में किसी सज्जन व्यक्ति ने एम्बुलेंस और पुलिस को सूचित कर दिया जिसके चलते उसे और मुझे फौरन हास्पिटल ले जाकर उपचार शुरू कर दिया गया,मुझे तो ज्यादा कुछ न हुआ ,सिर्फ मेरे सिर मे,सात टांके आये। 


किंतु उसकी हालत बहुत नाजुक थी। अंदरूनी हिस्से बहुत बुरी तरह डेमेज हो चुके थे। डाँ साहब अपना काम कर रहे थे, और घर वाले और मैंं ऊपर वाले से उसके सुरक्षित जीवन की भीख मांग रहे थे। आज उसको अचेत हुए पूरे दो दिन हो चुके थे,किंतु वो टस से मस न हो रहा था। 


वक्त का पहिया ऐसे मोड़ पर आ खड़ा हुआ कि तीसरे दिन उसके शरीर में कुछ हलचल हुई। हम सभी की दो मिनट की खुशी का ठिकाना न रहा,सभी बहुत खुश हो रहे थे किंतु पता नहीं मेरी आँखों से अश्रु धारा का बहना बंद ही नहीं हो रहा था। उसकी आँखों से भी अश्रु धार प्रवाहित हो रही थी। 


कुछ न कुछ    कहना चाह रहा था, मै अपने आपको नार्मल करके उसके बैड के नजदीक पहुँचा ,और उसके बहते हुए आंखों से आंसुओं को पोंछा, और कहा चल अब  जल्दी ठीक हो जा फिर अपन ब्रेड पकोडा खाने और चाय पीने चलेंगे।


 हम जब भी मिलते थे,उसका ब्रेड पकोडा फेवरेट होने की वजह से हम ब्रेड पकोडा जरूर आर्डर करते थे। मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराया और बोला कि तु ठीक है ज्यादा तो नहीं लगी, मैंने कहा खुद देख ले तेरे से उम्दा हूँ। हल्की फुल्की खरोंचे आई है।  


आगे बोलता है कि, चल ब्रेड पकोडा मंगवाले ,मैंने कहा ठीक तो हो जा पहले,फिर चलेगें, तू मंगवा तो ले, अब ठीक होना मुश्किल है।तू मंगवा ले  नहीं तो कडवे दिन वैसे ही चल रहें हैं, मेरी श्राद्ध मे ब्रेड पकोडा खिलायेगा तो कौआ बनकर आना पड़ेगा तेरे ब्रेड पकोडा खाने 😭😭😭


उसके द्वारा कही गई इस बात ने मुझे हिला दिया । और मैने उसे डांटते हुए कहा चलवे बकवास न कर,वैसे ही दो दिन वाद होस में आया, एक कान के नीचे बोक्सिंग पडेगी तो फिर पता नहीं कित्ते दिन बाद मुझे और तुझे साथ मे ब्रेड पकोडा खाने का अवसर मिलेगा और पुनः न चाहते हुए भी,आंखों ने अपना काम करना शुरू कर दिया।


मैंने यथा शीघ्र जेब से पेसे निकाल कर उसके छोटे भाई को दिये और कहा जाकर ब्रेड पकोडा ले आ।कुछ समय बाद ब्रेड पकोडा मेरे हाथ में था तो मैंने जरा सा टुकड़ा लेकर उसको खिलाया। टुकडा उसके हलक तक पहुँचा ही था कि बोला बचा लिया तूने कौआ बनने से ,अब श्राद्ध करने की तुम सबको कोई जरूरत नही। और सुन तू कुछ दिनों बाद  बाप बनने वाला है, बेटा होगा तो उसका नाम ध्रुव ही रखना। 


आज मेरे बेटे का नाम उसका दिया हुआ ही है,    "ध्रुव तिवारी "


इतना बोलकर उसके शरीर पर लगीं मशीन के डिसप्ले में सीधी लाईन आकर आगे बढने से रूक गई। वो मुझे एकटक बिना पलकें झपकाए देखता रहा। और मै उसे....... तभी डाँ.साहब की आवाज मेरे कानो में गूंज रही थी। sorry sir he is no more😭😢😥😭

✍🏻


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

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