Thursday, 13 December 2018

Story Of Life : बाबू जी का फैसला (भाग -२)


अब तक आपने पढ़ा,संजीव और संजना का विवाह हो गया है,संजीव की सुलझी हुई  joint family है, जहाँ एक दूसरे में बहुत प्यार है, और सब बहुत घुल मिल के रहते हैं, वहीँ संजना nuclear family से है, और वो joint family में adjust नहीं कर पाती है, तो संजीव के बाबू जी ने क्या फैसला लिया 
अब आगे......

बाबू जी का फैसला (भाग -२) 

तभी उन्हें एक उपाय सूझ गया। उन्होने सबको बुला कर कहा, कि हमारे दूसरे घर के किरायेदार चले गए हैं। अब वहाँ किसी को रहना चाहिए, वरना बंद घर खराब हो जाएगा।
तो मैं सोच रहा हूँ, कुछ दिनों के लिए संजना संजीव वहाँ चले जाएँ। क्यों संजीव बेटा, क्या तुम ready हो? बाबू जी की ऐसी बात सुनकर संजना बहुत ही खुश हो गयी। वो सोचने लगी, अलग घर में रहेंगे, “तो कोई देख लेगा”, “कोई आ जाएगा” इसका डर ही नहीं रहेगा, तब सब बहुत अच्छा रहेगा। इसीलिए संजीव कुछ बोलता, इससे पहले संजना बोल दी, जी पापा हम चले जाते हैं, आप ठीक कहते हैं, घर खाली नहीं रहना चाहिए।
बाबू जी की ऐसी बातें सुनकर पूरा घर सकते में आ गया। पर कोई कुछ नहीं बोला, क्योंकि सभी जानते थे कि बाबू जी जो भी निर्णय लेते हैं वही पूरे घर के लिए सबसे अच्छा होता है।
अगले ही दिन संजना-संजीव दूसरे घर चले गए।
आज संजना बहुत खुश थी। दो दिन बाद संजीव ने संजना से कहा, तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो, मैं सोच रहा हूँ कि अगर तुम्हें ठीक लगे तो कुछ दोस्तों को invite कर लूँ। सबके संग मिल के हम लोग party करते हैं। संजीव के मुँह से तारीफ सुन के संजना ने भी हाँ कह दिया। अगले दिन संजीव तो office चला गया, और संजना तैयारी में जुट गयी।
सबसे पहले उसने drawing room सेट किया, उसी में उसका 2 घंटा निकल गया। फिर वो खाने की तैयारी करने में जुट गयी। पर वो कोई भी सब्जी ठीक से नहीं काट पा रही थी। जैसे-तैसे उसने एक सब्जी बना कर taste की, तो उसका taste भी वैसा नही था, जैसा घर में खा कर सब वाह वाह कर उठे थे। और उस दिन सबसे ज्यादा तारीफ़ तो संजीव ने की थी। रात में भी खुशी से उसने उसके कितनी ही बार हाथ चूम लिए थे। और जब ये बात उसने अपनी माँ को बताई थी। तो वो भी बहुत अचंभित हुई थीं, बार बार उसे पूछे जा रही थीं। सच शोना! तुम इतनी अच्छी सब्जी बना लेती हो? यहाँ तो तुमने कभी बना के खिलाई नहीं? तब वो खीज़ के बोली, अबकी आपके पास आऊँगी, तब खिला दूँगी।
पर आज उसे याद आ रहा था, जब भी वो कुछ बनाती थी, उस dish की सारी preparation तो संध्या और भाभी करती थीं, वो तो केवल सब्जी छौंकने का काम करती थी, और भूनने का काम माँ करती थीं। means वो सबसे easy काम करती थी। फिर भी सब उसकी ही तारीफ़ करवा देते थे। आज उसे अपनी cooking की असलियत पता चल गयी थी। उसने बाकी कुछ नहीं बनाया। सब सामान order कर दिया। शाम को संजीव को आते आते देर हो गयी, अतः संजीव संजना की कोई बात नहीं हो पायी।
शाम को जब सब आ गए। तो सभी संजना को देख कर बोलने लगे, क्या बात है संजना बड़ी थकी-थकी लग रही हो? तभी संजीव का भी ध्यान गया, वो बोला अरे तुम लोगों की बढ़िया खाना तलाशती भूखी आत्मा को शांत करने के लिए ही बेचारी सुबह से लगी हुई थी। फिर आज मुझे भी थोड़ी देर हो गयी थी। तो drawing room भी इसे ही set करना पड़ा। अच्छा भाई तो तू चल पहले खाना ही खिलवा दे, बहुत दिनों से तू भाभी के हाथ के खाने की तारीफ कर रहा है, सारे दोस्त एक साथ बोल पड़े। हाँ हाँ क्यों नहीं, आज तुम लोगों को पता चलेगा, tasty खाना कहते किसे हैं। 
संजीव की ऐसी बातें अब संजना को बहुत दुखी कर रही थीं। वो बोली, नहीं आज मैंने कुछ नहीं बनाया है। setting में बहुत time चला गया था, फिर आज मेरी थोड़ी तबीयत भी खराब हो गयी थी। इसलिए खाना order किया है।
ये सुन कर संजीव कुछ देर मौन रहा, क्योंकि उसने अपने दोस्तों को बुलाया ही इसलिए था, उसके सारे दोस्त ये देख कर जल जाएंगे कि उसे जितनी अच्छी wife मिली है, वैसी किसी की भी नहीं थी। जितनी देखने में सुंदर, उतनी ही खाना बनाने में निपुण है। पर थकी होने के कारण ना तो आज संजना अच्छी लग रही थी, फिर खाना भी उसने order कर दिया था। थोड़ी देर बाद अपने को संभालता हुआ संजीव बोला, darling पहले से बता देती कि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है। तो आज का program cancel कर देते।
अरे छोड़ो यार, अब आ गए हैं, तो मस्ती करते हैं। सबने खूब मस्ती की। पर आज ना संजीव पूरी तरह खुश था। ना ही संजना। आज संजना बहुत थक भी गयी थी ऊपर से बिना बात के बहुत ज्यादा खर्चा भी हो गया था। रात भी दोनों ने करवटों में ही निकाल दी।
अभी चार दिन ही बीते थे कि...
बाबू जी ने आखिर ऐसा फैसला क्यों लिया था, जानने के लिए पढ़ें बाबू जी का फैसला (भाग- ३) में 

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