Tuesday 8 January 2019

Story Of Life : ना तुम चाहो ना हम

ना तुम चाहो ना हम

निम्मी अपने पापा जी और बेबे की बड़ी ही लाडली बेटी थी। वो लोग उसके लिए जितने नरम दिल थे, दूसरों के लिए उतने ही सख्त थे। उन्हें हमेशा यही लगता कि बस वो ही सही हैं। यही कारण था कि उन्हें निम्मी का भी किसी से ज्यादा घुलना मिलना पसन्द नहीं था।
नन्ही निम्मी अब बड़ी हो चली थी। college में उसे और राघवन को एक दूसरे से प्यार हो गया।
राघवन की  अम्मा, को south Indian लोगों से अच्छा कोई नहीं लगता था। उन्हें लगता था, कि south Indians से ज्यादा ritual मानने वाले, intelligent, और honest कोई भी नहीं होते हैं ।
निम्मी और राघवन, दोनों जानते थे कि उनके माँ-पापा बहुत कट्टर हैं, और उन्हें उन लोगों का रिश्ता पसन्द नहीं आएगा। पर दिल का क्या करें? जो एक दूसरे के लिए ही धड़कने लगा था। दोनों ने ही ये सोचा, कि उनके माँ- पापा उन्हें कितना प्यार करते हैं। तो शायद उनके प्यार को भी समझ लें।
दोनों ने घर में बात की। पर हुआ वही जो होना था, दोनों के घर वाले भड़क गए। पर निम्मी और राघवन भी अपनी जिद्द पर अड़े रहे, कि अगर माँ-पापा नहीं माने, तो वो अपनी जान दे देंगे।
आखिर निम्मी और राघवन के जुनून के आगे, माँ पापा को झुकना ही पड़ा। दोनों का विवाह सम्पन्न हो गया।
शादी तो हो गयी, पर रीति-रिवाज़ भिन्न थे। दोनों के माँ-पापा की सहमति से शादी ना होने का खामियज़ा निम्मी और राघवन के रिश्ते पर शीघ्र ही दिखने लगा।
निम्मी, जब कुछ ज़रा सा भी गलत करती, राघवन की माँ शुरू हो जातीं, अइयो मेरे को तो समझ ही नहीं आता, राघवन तुमको इस पंजाबन में क्या दिखा? ना इसमें culture है, और ना ही ये intelligent। एक एक बात कितनी कितनी बार बताती मैं, पर इसको नहीं समझना, मतलब नहीं ही समझना। अइयो, मुरगन मैंने आपका क्या बिगाड़ा था, जो राघवन का बुद्धि भ्रष्ट हो गयी।
उधर जब भी राघवन ससुराल जाता, निम्मी के पापा निम्मी को हमेशा यही कहते, बेटा निम्मी मुझे 1 ही दामाद मिला, उसमें भी कोई class ही नहीं है। ना तो ये बोटी-शोटी खांदा है, ना इसने कभी दारू चखी है। दोस्तों नाल, मिलवाऊ भी तो कैसे?
और जब कभी किसी बात पे पति-पत्नी एकमत ना हों, और ये बात उनके माँ पापा को पता चल जाए तब तो बस, वो लोग इन्हें कभी एकमत होने भी नहीं देते थे।
इन सब का परिणाम ये हो रहा था, कि जिस प्यार की खातिर दोनों एक हुए थे, वो कहीं अंतिम साँसे लेने लगा था। अब तो निम्मी और राघवन आए दिन लड़ने लगे थे। जब भी झगड़ा कर के निम्मी मायके जाती, झगड़ा खत्म होने में हफ्तों लग जाते थे। ऐसे ही बढ़ते- बढ़ते रिश्ता divorce की कगार पर आ गया।
Divorce का case अदालत तक पहुँच गया। वहाँ जो जज था, वो निम्मी और राघवन के college का friend था। उसे पता था, दोनों एक दूसरे को कितना प्यार करते थे। उसने दोनों को अलग अलग examine किया और पाया दोनों में से कोई भी divorce नहीं चाहता था। फिर दोनों की family को भी अलग-अलग बुलाया, और वो समझ गया कि दोनों ही परिवार नहीं चाहते थे, कि निम्मी और राघवन एक हों।
उसने अब निम्मी और राघवन दोनों को एक साथ बुलाया, और कहा, मैं जो कहूँ ध्यान से सुनना, और उसे follow करने की कोशिश भी करना.......
आखिर जज ने ऐसा क्या कहा, जिससे निम्मी और राघवन के रिश्ते में सुधार आ गया, जानने के लिए पढ़ते हैं.......... 
ना तुम चाहो ना हम (भाग-२ ) में 

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.