अब तक आपने पढ़ा, पाखी एक बहुत ही चुलबुली, ज़िंदादिल लड़की है, जिसका master chef बनने का सपना था। पाखी पर उसकी गली का आवारा लड़का सिराज बुरी नज़र रखे है । जब पाखी उससे शादी करने के प्रस्ताव को ठुकरा देती है, तो वो उसे पत्थरों के ढेर पर गिरा देता है, जिससे उसके हाथ की हड्डी टूट जाती है। जिससे पाखी बहुत मायूस हो जाती है, पर प्यारे चाचा की जोश भरी बातों से पाखी के मन में ज़िन्दगी को फिर से जीने की इच्छा जाग जाती है......
अब आगे...
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उड़ान (भाग -3)
प्यारे चाचा की बातों ने पाखी के पंखों में नयी जान फूँक दी थी।अब पाखी जुट गयी, अपने सपनों को साकार करने में।
अथक परिश्रम से मात्र 6 महीनों में पाखी ने उल्टे हाथों से भी बहुत अच्छा खाना बनना शुरू कर दिया। साथ ही अब वो देश-विदेश सभी जगह की dish बनाने में माहिर हो गयी।
अगले master chef में वो ही first आई। जितने से जो राशि उसे मिली, उससे उसने उड़ान नाम का बहुत बड़ा होटल बनाया।
और चंद सालों में ही उसके होटल का भी बहुत नाम हो गया। अब तो उसने अपने hotel की chain भी बनानी शुरू कर दी।
आज उसके लिए बहुत बड़े बड़े घरों से रिश्ते आ रहे थे।
वो सिराज़ के पास गयी, उसने उसे जाकर बताया, तुम्हें पता ही होगा, मैंने अपना भविष्य बना लिया है। आज दुनिया भर के लड़के मुझ से शादी करना चाहते हैं।
तुमने मेरा एक पंख तोड़ कर मुझे निरीह बना दिया था। पर
जिस पाखी के पास प्यारे चाचा हों, वो अपने सपनों की उड़ान जरूर भरती है।
उन्होंने ही मुझे सिखाया, कि पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान भरते हैं।
अगर तुम दूसरों को सताना छोड़ दो, तो मैं तुम्हारे सपनों को भी पूरा करने के लिए मदद अवश्य करूंगी।
सिराज़ की आँखों में पछतावा साफ झलक रहा था। उसने पाखी से कहा, तुम मुझे माफ कर दो, तुम जो भी काम दोगी, मैं पूरी लगन से करूंगा।
साथ ही अब से किसी भी पाखी के पंखों को कमजोर नहीं करूंगा।
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