मजबूरी का सौदा
कांता बहुत ही गरीब औरत थी, वो लोगों के घर बर्तन धोने, व साफ-सफाई करने का काम
करती थी। उसके दो बेटे थे, पर पैसे की तंगी के कारण अच्छा
पोषण व दवा का अक्सर आभाव ही रहता था। अतः आए दिन वो बीमार रहते थे।
एक दिन कांता के बड़े बेटे की तबीयत बहुत ज्यादा
खराब हो गयी।
वो इधर- उधर सब जगह इलाज़ करवाती फिर रही थी, पर कहीं भी लाभ नहीं मिल रहा था। तब किसी ने बताया,
डॉ. समीर बहुत ही अच्छे doctor हैं, वो
जिसको देख लेते हैं, उसे भगवान का आशीर्वाद मिल जाता है। वो
फिर यमराज के घर से भी लौट आता है।
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डॉ. समीर की ऐसी तारीफ सुनकर कांता उनके clinic भागी चली गयी। जब वो वहाँ पहुंची, तो देखा, डॉ. समीर का clinic बंद है।
ये देखकर कांता के मन में अपने बेटे को बचाने की उम्मीद भी जाती रही। वो बेहद थके
पाँव से घर लौटने लगी। तभी पीछे से किसी ने कहा, dr. समीर को दिखाने आई थीं?
जी, आप जानते हैं, कहाँ मिलेंगे?
हाँ, आज Sunday
है ना। आज वो केवल अपने घर में ही patient देखते
हैं।
अपने उम्मीदों को बंधते देख वो बोली, आप मुझे बता देंगे, वो कहाँ रहते हैं?
वो आदमी कांता को रास्ता बता कर चला गया। घर बहुत
दूर था,
और कांता के पास जाने का कोई साधन नहीं था। वो खुद तो जैसे-तैसे चली जाती, पर बीमार बेटे को कैसे ले जाती?
अभी वो इसी उधेड़बुन में थी, कि तभी सरजू अपना रिक्शा ले कर वहाँ से निकल रहा था। कांता को देखते ही
बोला, ऐ भौजी, मंगलू को लेकर क्या कर
रही हो, डॉ. बाबू के clinic के आगे?
तुमसे क्या छुपा है सरजू भैया, मंगलू बहुत ही बीमार हो गया है, उसी को दिखाने के
लिए आए थे, पर आज तो डॉ. बाबू सिर्फ
अपने घर में ही देखते हैं। तो कैसे जाएँ? वही सोच रही थी।
क्या सरजू कांता की मजबूरी का सौदा करेगा? या उसको दुख से उबरने में साथ देगा।जानते हैं- मजबूरी का सौदा (भाग 2)
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