हमने घर बदल लिए
रिया
की आज सगाई थी, वो सजधज कर तैयार बैठी थी, पर उसकी
नज़रें दरवाज़े पर ही लगी थी। तभी रिया की दोस्त कीर्ति ने उसे छेड़ा, आय-हाय, देखो तो
रिया को, कैसे कार्तिक का इंतज़ार कर रही है? इन madam जी की तो
नज़र दरवाज़े से हट ही नहीं रही है, अपने would be के दीदार के लिए।
तभी
रिया खुशी से खिल गयी, पर ये तो कार्तिक नहीं था, बल्कि
बहुत ही handsome and beautiful couple
था।
कीर्ति से रहा नहीं गया, ये कौन
हैं रिया? तुझे इनका इंतज़ार था? हाँ, ये मेरी
मौसी की बेटी रैना दी और राज जीजू हैं।
उन
दोनों के आने से महफिल में चार चाँद लग गए। राज सबमें इतने घुले-मिले थे, कि समझ
ही नहीं आ रहा था, वो दामाद हैं। सभी important decision के लिए उन्हें आवाज़ लगाई जा रही थी, उनके
आते ही कुछ महत्वपूर्ण काम भी उन्हें सौंप दिये गए। कीर्ति देख रही थी, सारे
काम वो बखूबी कर भी रहे थे।
कीर्ति
ने रिया से कहा, तेरे जीजू तो बड़े expert हैं, हर काम
बखूबी कर रहे हैं। साथ ही उनके आने से महफिल में रंग भी जम गया है।
रिया
बोली, वो हैं ही इतने अच्छे कि सभी को उनका बहुत इंतज़ार रहता
है।
सच ऐसे लोगों की चाह सबको रहती है, काश मेरे पति भी ऐसे हीं हों। कीर्ति मन ही मन सोचने लगी।
सच ऐसे लोगों की चाह सबको रहती है, काश मेरे पति भी ऐसे हीं हों। कीर्ति मन ही मन सोचने लगी।
सगाई
बहुत अच्छे से हो गयी। कीर्ति की रैना दी और राज जीजू से अच्छी पहचान हो गयी। रैना
दी बोली, कीर्ति अगर कभी दिल्ली में काम पड़े तो हमारे घर भी जरूर आना।
कीर्ति
बोली दी, मुझे दिल्ली में एक exam के
सिलसिले में जाना था, सोच रही थी, कहाँ रुकूँगी? पर अब tension नहीं है, आपके घर ही आऊँगी।
चंद
दिनों बाद ही कीर्ति दिल्ली आई, राज जीजू उसे लेने station पहुँच
गए। जब वो रैना दी के घर पहुंची तो उसने पाया, कि रैना
दी अपने सास-ससुर के साथ रहती हैं।
रैना
दी बोलीं, कीर्ति fresh हो जाओ, फिर साथ में breakfast
करेंगे। तब तक मैं मम्मी जी, पापा जी
को juice और दवाई दे कर आती हूँ।
ये कह कर वो जूस के दो
ग्लास लेकर अपने सास के room में चली गईं। कीर्ति का room बगल वाला ही था, इसलिए उसे सब बात सुनाई
पड़ रही थी......
आगे पढ़े हमने घर बदल लिए (भाग- 2) में....
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