आज से आप को एक लड़की के किस्से सुनाते हैं, कुछ अलग ही है वो सबसे, नाम भी सबसे अलग "अनोखी"
किस्से अनोखी के
अनोखी और बकरी का बच्चा
अनोखी बचपन से ही अनोखी थी।
जब सारे बच्चे खेल रहे होते, वो अपनी मां के ईर्द-गिर्द घूमती रहती कि माँ को किसी भी काम को पूरा करने के लिए उसे बुलाना ना पड़े।
डरती तो वो किसी से नहीं थी, किसी को भी परेशानी में नहीं देख सकती थी ।
उसे अपनी छोड़ पूरी दुनिया की परवाह थी। और जो उसने मन में ठान लिया, उसे करने से उसे स्वयं जगन्नाथ जी भी नहीं रोक सकते थे।
तभी तो उसकी माँ उसे अनोखी बुलाती थी।
एक दिन की बात थी, अनोखी का जन्म दिन था, उसकी माँ, उसके लिए नयी फ्रॉक लायीं थी। उसे पहन वो अपनी दोस्तों को अपनी birthday के लिए बुलाने के लिए जा रही थी।
थोड़ी देर बाद वो जब वो लौटी, उसकी सारी फ्रॉक पानी और मिट्टी से गंदी थी। माँ ने कहा कि जाकर कपड़े बदल कर आ। पता नहीं क्या कर के आ रही है, अभी तेरी सारी सहेलियां आती होगी।
पर सुबह से शाम हो गई, कोई नहीं आया।
अब माँ परेशान हो गयी कि आखिर कोई आया क्यों नहीं?
उन्होंने अनोखी से पूछा, एक बात बताओ कि ऐसा भी क्या हुआ जो तुम्हारी एक भी सहेली नहीं आयी?
तुमने कितने बजे आने को बोला था?
मैंने कब बोला?
क्या! नहीं बोला? नये कपड़े पहन कर सबको बोलने ही तो गई थी। अरे हाँ, लौटते समय तेरे कपड़े भी गीले और गन्दे थे। क्या कर के आई थी।
अरे माँ, गयी तो बुलाने ही थी। तभी देखा, कुछ लड़के एक बकरी के बच्चे को परेशान कर रहे थे तो वो गड्ढे में गिर गया था।
तो उसी को निकालने में लगी थी तो सारे कपड़े गीले और गन्दे हो गये थे।
फिर मैं गई थी, रेखा के घर। पर वो मेरे गीले और गन्दे कपड़े देखकर पास ही नहीं आ रही थी। इसलिए मैंने उसे कुछ नहीं बोला।
और बाकी का क्या हुआ?
बाकी के घर तो गई ही नहीं, किसी को भी आने को बोलती, तो सबको लगता गन्दे कपड़े के साथ में आयी हूँ।
तो सिर्फ़ सबको बेवकूफ बना रही हूँ, birthday नहीं है।
तो मुझसे इतना खाना क्यों बनवाया?
वो बकरी और उसके चारों बच्चों को खाना दे सकूं, इसलिए। मेरी अच्छी माँ दे दोगी ना, उनके लिए?
ले जा, तुझे जिसके संग अपनी birthday मनानी है मना। मुझे क्या।
अनोखी ने प्यार से माँ को गले लगाया और खुशी-खुशी बकरी की ओर चल दी।
हे भगवान, क्या अनोखी लड़की है, अपने सबसे बड़े दिन का सत्यानाश कर दिया। फिर भी खुश है। पर मन ही मन माँ अपनी अनोखी के कोमल ह्रदय से खुश भी थी।
चलिए अगला किस्सा, अगली बार...
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