गरीब की बेटी ( भाग - 3) के आगे...
गरीब की बेटी (भाग-4)
दूसरा बच्चा भी लड़का ही हुआ, सभी बहुत खुश थे और अंजली खुशी से नाच रही थी, उसने बहुत प्यार से उसका नाम राजा रखा...
कुछ दिन बाद से मम्मी, फिर से काम पर जाने लगे, कन्हैया स्कूल और अंजली...
अंजली, अपने दूसरे भाई और घर के कामों में जतन से लग गई।
अभी राजा को हुए 2 साल भी नहीं हुए थे कि पूरे विश्व में कोरोना का कहर छा गया।
अंजली के मम्मी-पापा दोनों का काम छूट गया। उनके ज्यादातर पड़ोसी गांव चले गए, बहुत सोच विचार के बाद अंजली का परिवार भी गांव चला गया।
तीन-तीन बच्चों की जिम्मेदारी और घर के खर्चों के चलते, उनकी जमा-पूंजी खत्म होने लगी।
हालात से परेशान होकर, अंजली के पापा ने शराब पीना शुरू कर दिया।
अब तो हालात, बद से बद्तर होने लगे।
कोरोना से थोड़ी राहत मिली, तो सब पुनः काम की तलाश में शहर वापस आने लगे।
अंजली और उसका परिवार भी लौट आया। पर जब समय ख़राब चल रहा हो तो अपना साया भी साथ छोड़ने लगता है।
मकान मालिक ने कहा, तुम कमरे में तब रह सकोगे, जब अभी के किराया देने के साथ ही पिछला भी दोगे।
अंजली के पापा बोले कि पिछले 1 साल से तो हम गांव में रह रहे थे, फिर किराया किस बात का?
मकान मालिक, गुस्से से चिल्लाया, हमें ज़्यादा कानून ना बताओ, 1 साल से अपने सड़े हुए समानों से हमारा कमरा घेरकर बैठे हो, और बोलते हो किराया किस बात का?
अगर नहीं दोगे तो तुम्हारा सारा सामान बेचकर पैसा वसूल लूंगा, तुम दूसरा घर देखो...
यह सुनकर अंजली के मम्मी-पापा बहुत गिड़गिड़ाने लगे कि घर खोल दो, हम धीरे-धीरे सारा पैसा चुका देंगे।
मकान मालिक ने कहा, ज्यादा किराया, पहले महीने से ही देना होगा। दोनों ने हामी भर दी...
अभी घर खुले महीना भर भी नहीं हुआ था कि उसकी मां को पता चला कि वो फिर से गर्भवती हैं।
जब यह बात,अंजली के पापा को पता चली, तो वो बोले, अब हम लोग और बच्चों की जिम्मेदारी नहीं उठा पाएंगे, इसे हटा देंगे।
पर खाने के अभाव के कारण शरीर कमजोर था, इसलिए कोई भी बच्चा हटाने को तैयार नहीं हुआ।
जिम्मेदारी इतनी सारी, और काम ढंग से मिल नहीं रहा था, पैसे का अभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था।
इसलिए तंग आकर, एक दिन अंजली के पापा, घर छोड़कर चले गए।
अंजली और उसकी मां ने सब जगह उनकी बहुत खोज कराई, पर वो नहीं मिले।
आगे पढ़े गरीब की बेटी (भाग -5) अंतिम भाग में...
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