सुहाना सावन (भाग-2) के आगे…
सुहाना सावन (भाग-3)
शिखा के साथ-साथ अंकुर ने भी top किया था।
अंकुर एक बार फिर आया, लेकिन इस बार bouquet के साथ...
Congratulations शिखा... आज तुम में वही शिखा नजर आ रही है, जो पहले दिन college आई थी।
तुम्हें पता है, तुम बला कि खूबसूरत हो, तुम्हें निहारे बिना, तुम्हें प्यार किए बिना कोई नहीं रह सकता, मैं भी नहीं... पर मैं बहुत ही साधारण सा दिखने वाला, साधारण से परिवार का लड़का हूं, जिसके लिए मंजिल प्यार नहीं, बल्कि अपना लक्ष्य है...
अगर चाहत तुम्हें पाने की है, तब भी मुझे अपने लक्ष्य पर पहले पहुंचना है। अपने आप को लायक बनना है तुम्हारे... फिर मांगूंगा, तुम्हें तुम से...
और साथ ही मैं यह भी नहीं चाहता था कि तुम्हारे जैसी होनहार लड़की, यूं प्यार में पड़कर अपने भविष्य को बर्बाद करें...
इसलिए पहले दिन से तुम से बेरुखी रखी और उस दिन तुम्हें ना जाने क्या-क्या बोल दिया, I hope, तुम मुझे माफ़ कर दोगी...
अंकुर की बात सुनकर जैसे शिखा का मन गा उठा...
'आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे'
शिखा बोली, अंकुर तुमने मुझे जीवन का लक्ष्य दिखा दिया, तुमने मुझे बर्बाद होने से बचा लिया है। तुम से भला मैं कैसे नाराज़ रह सकती हूं।
मैंने भी सोच लिया है कि मैं भी जब तक अपनी मंजिल को ना पा लूं, मैं भी किसी अन्य विषय के बारे में नहीं सोचूंगी।
उसके बाद से दोनों मिलते, घंटों बातें भी होतीं, मगर सारी केवल पढ़ाई-लिखाई से सम्बंधित...
'हाँ यही रास्ता है
तेरा तूने अब जाना है
हाँ यही सपना है
तेरा तूने पहचाना है
तुझे अब ये दिखाना है
रोके तुझको आँधियाँ
या ज़मीन और आसमान
पायेगा जो लक्ष्य है तेरा
लक्ष्य तो हर हाल में पाना है'
पर देखने वाले यही सोचते-कहते कि दोनों प्रीत की डोर से बंधे हुए हैं।
आखिर वो दिन भी आ गया, जिसको पाने का सपना दोनों ने सजाया था।
आगे पढें, सुहाना सावन (भाग-4) में...
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