श्रमिक दिवस
बात हो मोहब्बत की तो ताजमहल याद आता, ईश्वर की आस्था में डूबा मन राममंदिर को निहारता है... कहीं बात होती है, स्वर्ण मंदिर की, तो कहीं church की...
पर देखते-निहारते हुए प्रशंसा तो इमारत की ही करते हैं...
कंगूरे की ईंट के हिस्से ही सफलता, नाम, यश और कीर्ति होती है, नींव की ईंट तो कहीं गुमनाम हो जाती है।
पर क्या सही है? नहीं न? क्योंकि बिना नींव की ईंट के कंगूरे की ईंट का कोई वजूद नहीं है।
बस ऐसे ही बिना श्रमिकों के सुसमृद्ध और सुन्दर विश्व की कल्पना करना ही बेमानी है।
किसी ने, क्या खूब कहा है कि -
बिना मजदूर के
अधूरी है हर कहानी,
उनके हाथों की
लकीरों में छुपी है
जिंदगी की रवानी
बिल्कुल ऐसा ही तो है...
हर सड़क, हर गली, हर घर, हर पुल, हर इमारत, आदि... मोहर हैं श्रमिकों की, हर मजदूर की...
सच में जिस देश में श्रमिकों को भी मान मिलता है, वो देश सबसे खूबसूरत और सुसमृद्ध होता है।
इसलिए ही 1 May को उनके सम्मान के लिए, उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए समर्पित किया गया है।
मेहनत के इन सितारों को मेरा सलाम, मजदूर दिवस पर इन्हें मिले हर सम्मान। श्रमिकों को सलाम...
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