Trolling
Trolling! आज कल ये शब्द इतनी तेज़ी से famous
हो गया है, कि जरा सी कोई घटना हुई नहीं, कि trolling
start.
कभी कभी तो ये लगता है, अपने को busy-busy कहने वाले,
सब के पास बहुत समय है, तब ही तो सबको इंतज़ार रहता है, कोई issue मिले और troll करके
बात का बतंगड़ बना दिया जाए।
आज कल whatsapp, facebook,
twitter, instagram सब जगह एक ही बात का शोर
है, कि सोनाक्षी सिन्हा ये नहीं बता पाई कि,
“हनुमान जी किसके लिए संजीवनी बूटी लाये थे”।
पर आप ये बताइये, ऐसी बातों
पर उँगली उठाना कहाँ तक सही है?
मेरी नज़र में तो बिल्कुल गलत है।
नहीं ये मत समझिएगा कि मैं सोनाक्षी की fan हूँ, इसलिए ऐसा बोल रही हूँ।
ऐसा कुछ भी नहीं है।
मेरा ऐसा बोलने का कारण यह है, कि किसी की कमी को इंगित आप तब करें, जब आप खुद
सक्षम हैं।
चलिये बताइये, क्या आप सब, अपने दिल पर हाथ रखकर confidently यह बोल सकते हैं, कि आप के बच्चे इसे बता पाएंगे? बच्चों की छोड़िए, क्या हम सभी रामायण, महाभारत के सभी प्रश्नों के
उचित जवाब दे सकते हैं?
मुझे पूर्ण विश्वास है, कि इसमें अधिकतर का जवाब “ना” ही होगा।
जानते हैं, इसका कारण क्या
है?
बहुत दुख के साथ बोलना पड़ रहा है, हम सब।
आप कहेंगे, कैसे?
हम सभी अपने बच्चों को विदेशी बनाकर बहुत खुश हो
रहे हैं, जब बच्चों को 3rd language
select करनी होती है, तो option होता है, French, German और संस्कृत का।
सच सच बताइएगा, कितने अपने
बच्चों को संस्कृत दिलाते हैं?
फिर बहाना ये बनाएँगे, कि संस्कृत हमे आती नहीं है, इसलिए नहीं दिलाई। तो French, Germen आपको आती है?
कुछ ये बोलेंगे, अरे कुछ दिन की
संस्कृत से क्या होगा? तो कुछ दिन Germen, French पढ़ने से हो जाएगा क्या?
आइये बताते हैं, क्या होगा संस्कृत
कुछ दिन ही पढ़ लेने से :
संस्कृत बहुत ही वैज्ञानिक भाषा है, इसे पढ़ने के लिए पूर्णत: सही ही पढ़ना होता है, वरना
अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जिससे आपका लिखना, पढ़ना, उच्चारण सब शुद्ध हो जाएगा। आप अपने महाग्रंथ,
रामायण व महाभारत को पढ़ सकेंगे।
अंग्रेजों ने हमारे इतिहास के साथ बहुत बड़ी कूटनीति
खेली।
उन्होंने हिन्दू इतिहास को mythology बना दिया। जिससे वो एक विषय की तरह ना पढ़ाया जाए,
और उसका ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ना बढ़े।
ऐसा करके, वो कामयाब भी हो
गए। आज हमारे बच्चे नहीं जानते, भगवान राम के सतयुग को, ना प्रभु कृष्णा के द्वापर युग को, ना ऋषि वशिष्ठ
को, ना वाल्मीकि को, ना दधीचि को, ना अहिल्या को, ना शबरी को,
ना चरक को, ना विश्वकर्मा को....... और किस किस को याद दिलाएँ?
सही बात है ना?
अब तो नहीं हैं अंग्रेज़, तो उनकी नीतियाँ अभी तक क्यों मानी जा रही है?
पर अभी भी हम अपने बच्चों को अँग्रेजी पढ़ाते हैं, वो पटर-पटर बोलने भी लगते हैं। उसके साथ ही दूसरी विदेशी भाषाओं का भी
बोल बाला हो गया है। History में भी विदेशों का इतिहास पढ़ाया
जा रहा है, तो विदेशों का इतिहास पूछिये, बच्चे आप से ज्यादा बता देंगे।
यही सोनाक्षी के साथ भी हुआ, वो और शत्रुघन सिन्हा हमसे इतर थोड़ी ना हैं।
तो बंद कीजिये Troll करना बेकार की
बातों को। अगर सच्चे हिंदुस्तानी हैं, तो बढ़ावा दीजिये, संस्कृत भाषा के लेने पर, और अपनी संस्कृति को बढ़ाने पर
ज़ोर दीजिये।
Troll नहीं forward कीजिये, कि हिन्दुओं के इतिहास को mythology का नाम देकर
आने वाली पीढ़ियों से वंचित ना किया जाए। उसे भी बच्चों को पढ़ाया जाए।
जब बच्चे जानेंगे, हमारा
इतिहास, जो कि विश्व के सभी इतिहासों से सर्वोपरि है, तो वो भी गर्व करेंगे।
‘पढ़ेगा इंडिया,
तभी तो बढ़ेगा इंडिया’
जय भारत जय भारती।
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