Thursday 13 August 2020

Poem : प्रेम

आज आप सब के साथ मुझे श्रीपाल सदन लोहरवाड़ा,ऋषभदेव जिला उदयपुर राजस्थान के उत्कृष्ट रचनाकार नरेंद्रपाल जैन जी की कविता को share करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। 

इस कविता में इन्होंने श्री कृष्ण भगवान के प्रेम स्वरूप को बहुत खूबसूरती से प्रदर्शित किया है। आप सभी इस का आनन्द लीजिए।


प्रेम




प्रेम का ही रसपान किया है,

प्रेम के ही परिचायक हैं,

प्यार के बीज ही बोए हमने,

प्यार के ही फलदायक हैं।

प्रीत के ग्रंथों पर दुनिया में

जब भी शोध कहीं होगा,

दुनिया बाँचेगी हमको उस

महाकाव्य के नायक हैं।


Disclaimer:

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

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