यह कैसा प्यार (भाग-1) के आगे....
यह कैसा प्यार (भाग-2)
शुरू शुरू में तो तान्या, ऋषि को रिझाने के लिए उसके चारों तरफ मंडराती रहती थी।
पर जब ऋषि उसका दीवाना हो गया, तो तान्या को ऋषि की नजदीकियाँ खलने लगी थी।
अब उसे ऋषि तब ही अच्छा लगता, जब वो उसे कहीं घूमाने ले जाता या मंहगे तोहफे देता।
पर इसके बदले में अगर वो उसके साथ समय बिताना चाहता तो आधे घंटे बाद ही तान्या ऊबने लगती और बहाने बना कर चली जाती।
तान्या के आने से ऋषि ने धीरे धीरे अपने सभी का साथ छोड़ दिया था। उसके पास कहने को सिवाय तान्या के कोई अपना नहीं था।
इसलिए तान्या की बेरुखी, ऋषि को झकझोर कर रख देती। जिसका नतीजा यह होने लगा कि ऋषि का business भी डावांडोल होने लगा।
Business पर पकड़ कम पड़ने से और तान्या द्वारा कराए जा रहे बेतहाशा खर्चे से ऋषि की financial condition खराब होनी शुरू हो गई।
तान्या ने तो कभी ऋषि को प्यार किया ही नहीं था और अब वो ऋषि से छुटकारा चाहती थी, इसलिए वो ऋषि का शादी का offer accept नहीं करना चाहती थी।
एक दिन तान्या बोली, ऋषि मेरे पास हम दोनों के लिए एक बहुत अच्छा idea है।
कैसा Idea?
यहाँ से थोड़ी दूरी पर मैंने एक बहुत ही बढ़िया सा बंगला देखा है चलो ना हम लोग वही रहना शुरू करते हैं।
वह थोड़ा दूर है वहां कोई आता जाता नहीं है तो हमें disturb करने वाला भी कोई नहीं होगा बस तुम होगे और मैं होंगी और दूसरा कोई नहीं।
ऋषि बोला मेरे पास अभी इतने पैसे नहीं हैं कि कोई बड़ा बंगला खरीद सकें वैसे इस घर में भी क्या परेशानी है ?
तान्या बोली ज्यादा महंगा नहीं है हम लोग उसे खरीद सकते हैं एक बार चल कर देख तो लो, तुम्हें भी बहुत पसंद आएगा।
बहुत ही खूबसूरत है।
तान्या बार-बार जिद करने लगी।
ऋषि को मानता ना देख कर तान्या झूठ मूठ का रोने लगी।
तान्या की ज़िद के आगे ऋषि मान गया बोला अच्छा चलो, इतना कह रही हो तो चल कर देख लेता हूं और अगर पसंद आया तो ले भी लेंगे अब तो खुश हो?
हाँ बहुत खुश!
दोनों उस बंगले को देखने के लिए चल दिए.....
आगे पढ़ें, यह कैसा प्यार (भाग-3) में....
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