महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन)
महादेव जी का तो हर मंदिर ही अपने आप में सिद्ध है। पर आज जब पूरा राष्ट्र उज्जैन की बात कर रहा है तो हम भी उसी में शामिल हो जाते हैं।
आप सभी को पता ही होगा ही कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भव्य कोरिडोर का निर्माण करने के पश्चात, आज महाकालेश्वर मन्दिर में भव्य कोरिडोर का उद्घाटन किया जा रहा है।
पर क्यों उज्जैन में स्थिति महादेव जी को महाकाल कहा जाता है? और इसकी विशेषता भारत में कब से है?
आइए हम सब जानते हैं-
मंदिर की विशेषता -
महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है।
स्वयंभू, भव्य और एकमात्र दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्य दायी महत्ता है।
मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य ही मोक्ष होता है, और ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कहा जाता है कि, महाकाल का आशीर्वाद मिल जाए तो काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। यही कारण है कि उज्जैन के महादेव जी को महाकालेश्वर कहा जाता है।
प्राचीन काल से विशेषता -
उज्जैन का नाम, वहाँ पर बन रहे भव्य कोरिडोर के कारण, प्रकाश में नहीं आ रहा है बल्कि सदियों पहले से उज्जैन, हमेशा से लोगों के ह्रदय में अपना विशेष स्थान बनाए हुए है।
पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है।
महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है।
1235 ई. में गुलाम वंश का शासक इल्तुत्मिश ने, इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस करा दिया था।
पर उसके बाद से यहाँ जो भी शासक रहें, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है।
प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है।
और आज जब, यहाँ पर भव्य कोरिडोर निर्माण का उद्घाटन किया जा चुका है, तब तो यह मंदिर और ज्यादा भव्य और विशेष हो जाएगा।
भारत के मंदिरों को इस तरह से भव्य और सुदृढ़ बनाते जाने का मुख्य उद्देश्य, भारत को पुनः पहले जैसे स्वर्ण भारत बनाना ही है।
आप कहेंगे कि मंदिर निर्माण से स्वर्ण भारत कैसे बनेगा?
हम कुछ कहें, उसके पहले आप ही बताइए, भारत को स्वर्ण भारत क्यों कहा जाता है?
क्योंकि तब भारत, धन-धान्य से परिपूर्ण था..
जी बिल्कुल, पर सिर्फ धन-धान्य ही किसी देश को स्वर्ण देश नहीं बनाता है..
भारत, धन-धान्य के साथ ही, ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, कला, प्रेम, सौहार्द, आत्मसंयम आदि हर क्षेत्र में प्रथम स्थान पर था।
जब किसी में भी सम्पूर्णता होती है, तभी वो विशिष्ट होता है, स्वर्ण होता है।
भारत प्राचीन काल से ही अपनी विरासत के कारण ही विशिष्ट स्थान रखता रहा है। जब विरासत सुदृढ़ होगी, तब ही पर्यटन अधिक आएगा और साथ में लाएगा, सुदृढ़ आर्थिक स्थिति। तब ही भारत, स्वर्ण भारत बनेगा।
और यह ऐसे स्थानों में रह रहा प्रत्येक व्यक्ति समझता है कि विरासत सुदृढ़ीकरण ही विकास का मार्ग है।
तभी पहले काशी विश्वनाथ मंदिर में और अब उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भव्य कोरिडोर निर्माण कार्य किया जा रहा है।
कोरिडोर निर्माण के लिए, कितनों ने खुशी खुशी, अपने आशियाने को अपने हाथों से ध्वस्त कर दिया।
क्योंकि उनके मन में यह धारणा नहीं थी कि मंदिर निर्माण से क्या होगा? बनाना है तो, स्कूल बनाओ, अस्पताल बनाओ..
वे जानते हैं कि जितनी आवश्यकता, स्कूल और अस्पताल की है, उतनी ही मंदिर निर्माण की भी।
क्योंकि मंदिर निर्माण के साथ ही विकास और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
मोदी जी आप मंदिर का निर्माण सुदृढ़ करें, महादेव भारत में स्वर्ण काल सुदृढ़ करेंगे।
जय महाकाल 🔱
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