Tuesday, 13 December 2022

Story of Life : गरीब की बेटी (भाग-2)

गरीब की बेटी ( भाग - 1) के आगे...


 गरीब की बेटी (भाग-2)



अंजली खुशी में बांवरी हुई जा रही थी, सबसे कहती, देखा, मैं ना कहती थी कि भाई आएगा... 

पर वो नहीं जानती थी, जिस बात के लिए, वो इतनी खुश हैं, वो असलियत में उसके लिए खुशी के दिन नहीं थे.... 

पूरे घर में खुशी का माहौल था। दादी बहुत सारा सामान लेकर गांव से आईं थीं। अंजली ने बड़े प्यार से अपने भाई का नाम कन्हैया रखा। 

अंजली आज कल स्कूल नहीं जा रही थी, उसका पूरा दिन, कन्हैया के साथ खेलते हुए बीत जाता...

कुछ दिन घर में दादी रही, फिर जब उसकी मम्मी बिस्तर से उठ गई तो दादी गांव लौट गईं। 

जब सब लोग चले गए तो अंजली को अपने स्कूल की सुध जागी। वो अपनी मम्मी से पूछने लगी, मैं फिर से स्कूल कब जाऊंगी? 

मम्मी ने, बड़े प्यार से अंजली से बोला बिटिया, तेरे पापा और मैं तो अब काम पर जाएंगे, तभी पैसे और खाना ला पाएंगे।

अगर तुम भी चली जाओगी, तो कन्हैया अकेला रह जाएगा, वो छोटा सा है ना... तुम उसे अकेला छोड़ दोगी, घर में?

अंजली ने बड़े प्यार से कहा, नहीं... पर फिर दुःखी होकर बोली, लेकिन स्कूल?...

मेरी रानी बिटिया, जब कन्हैया बड़ा हो जाए, तो तुम और कन्हैया दोनों स्कूल चले जाना... ले जाएगी ना अपने भाई को स्कूल?...

हां, बिल्कुल मैं और कन्हैया दोनों जाएंगे... कहकर उसके नन्हें हाथों ने कन्हैया को उठा कर बहुत प्यार से मम्मी को बॉय बोल दिया।

मम्मी और पापा दोनों काम पर जाने लगे और छोटी सी अंजली, ने कन्हैया की सारी जिम्मेदारी बड़े जतन से निभानी शुरू कर दी, इस इंतजार में की, कि कन्हैया जल्दी बड़ा हो जाएगा और वो दोनों स्कूल जाएंगे। 

चार साल, कन्हैया के बड़े होने में गुज़र गए, पापा ने कन्हैया का स्कूल में दाखिला (admission) करा दिया। वो स्कूल जाने लगा।

अंजली ने पूछा, मम्मी अब तो कन्हैया बड़ा हो गया, स्कूल भी जाने लगा है, मैं कब जाऊंगी?...

बिटिया थोड़े पैसे जमा हो जाए, फिर तू चली जाना, 

यह सुनकर, अंजली गुमसुम हो गई...

फिर मां बोली, अच्छा सुन मेरी समझदार बिटिया, कुछ घर के काम में मेरी मदद कर दिया कर.... मैं बहुत थक जाती हूं। घर बाहर सारे काम करते करते... 

अंजली ने बड़े मन से हामी भर दी, वो अब घर के काम में माँ का हाथ बंटाने लगी।

दो दिन बाद अंजली की पक्की सहेली, रेखा उसके पास आई। और बोली, अंजली पता है मेरा भी स्कूल छूट गया, पर मेरी मां, मुझे सिलाई सिखाने की बात बोल रही है। तू भी बात कर लें, तो दोनों साथ चली जाया करेंगी...

अंजली ने सुना तो बोली, मेरी मां बहुत अच्छी है, मुझे जल्दी स्कूल भेजेगी और सिलाई सिखाने के लिए तो यूं झट तैयार हो जाएगी...

आगे पढ़ें, गरीब की बेटी ( भाग - 3) में...

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