Sunday, 14 April 2024

Poem : अम्बेडकर अपना अपना

अम्बेडकर अपना अपना 


जाति कोई छोटी नहीं,

ना ही है कोई बड़ी।

ना अमीरी-गरीबी,

रास्ता रोक सकती कोई।

जिसके हों इरादे फ़ौलाद,

वो मंजिल अपनी,

पा ही लेता है।

लाख रोड़े हो राह में,

वो अपना मुकाम,

बना ही लेता है।

और गर फिक्र हो,

अपने से ज्यादा अपनों की।

वो सफलता का परचम,

लहरा ही लेता है।

हैं इस बात की मिसाल,

भीमराव अम्बेडकर

जिन्होंने बस एक ही,

शस्त्र शामिल किया था।

आरक्षण का, संविधान में,

आज तक भुगत रहा है,

सामान्य वर्ग का युवा,

बस इस इंतज़ार में।

शायद कोई एक,

अम्बेडकर,

आएगा पुनः।

जो खत्म कर देगा,

आरक्षण,

तब ही तो देश,

मुक्त होगा,

जात-पात से।

उस दिन होगा सशक्त,

सम्पूर्ण देश,  विकास से।

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