Story Of Life : भला मानुष (भाग - 3)
राका ने जब छगन को देखा, तो वो उसकी ओर आकर्षित हो गया।उसने छगन को धर- दबोचा, और उसी के साथ कुकर्म करके उसे मौत के घाट उतार दिया।
मगन आधे रास्ते गया था, तभी उसे छगन की याद आई, वो उल्टे पाँव दौड़ गया। जब
वो राका के पास पहुँचा वो नशे में धुत्त पड़ा था, और छगन अपनी
आखिरी सांस ले रहा था। उसने मगन की आँखों के सामने दम तोड़ दिया।
वो राका की तरफ मुड़ा, और इससे
पहले कि वो पूछता, कि लड़के को क्यों....? राका कहने लगा, आज कुछ अलग करके मज़ा आ गया, तुम कभी कभी इन्हें भी ला सकते हो।
नीच! वो मेरा बेटा था......
कह कर मगन ने वहाँ पड़ी
हथौड़ी से राका के सिर पर ताबड़-तोड़ हमला कर दिया। राका नशे में धुत था, अपने को संभाल नहीं पाया, और वहीं ढेर हो गया।
फिर वो छगन को चुनिया के पास ले गया, और उसके सामने डाल कर बोला, तेरे लालच ने हमारे एकलौते
बेटे को खा लिया।
तुझे बड़ा घमंड था, कि बेटा है, तो कोई बुरी नज़र नहीं रखेगा। दूसरे की बेटियों को भेजने से, तुम्हें उनका दुख समझ नहीं आता था। आज ऊपर वाले ने,
तेरे कर्मो का हिसाब चुका दिया।
अब तुझे
भी समझ आएगा, उन बेटियों को कैसा लगता था? और उनके माँ- बाप को कैसा लगता होगा?
चुनिया के ज़ोर ज़ोर से रोने से काफी गाँव वाले आ गए, धीरे धीरे सबको पता चल गया, कि राका को मगन ने मार
दिया है।
सारे गाँव वाले बहुत खुश हो गए, सबने मगन के नाम के नारे लगाने शुरू कर दिये, साथ
ही सब उसे भला मानुष, भला मानुष कहने लगे।
पर मगन अंदर ही अंदर रो रहा था, कि अगर वो
अपनी बीवी की बातों में ना आता, तो गाँव की कितनी भोली-भली
लड़कियाँ आज बच जाती। और उसका बेटा भी उसके आँगन में खेल रहा होता।
उसका गाँव
हमेशा खुशहाल होता। काश! वो दूसरों के साथ बुरा होने पर ही सचेत हो जाता, काश! वो सच में भला मानुष होता।
जो किसी के साथ कुछ बुरा करे, वो महादुष्ट, जो साथ दे, वो दुष्ट, पर जो सब कुछ देखते, समझते हुए भी बुरा होने से ना रोके, वो भी भला मानुष नहीं होता है।
क्या आप हैं भले मानुष?
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