Thursday, 15 October 2020

Stories of Life : जिन्दगी और मो‌क्ष

 जिन्दगी और मो‌क्ष 


राजीव 40 साल का हो चुका था। वो राजकीय कम्पनी पर उच्च पद पर आसीन था।

उसका भरा-पूरा परिवार था। माँ- पापा, भाई-बहन, पत्नी, दो  बच्चे और खूब सारे रिश्तेदार और दोस्त।

एक दिन रात में सीने में तेज़ पीड़ा हुई। जब तक वो कुछ समझ पाता, उससे पहले ही उसे आवाज़ आई।

आ गये तुम?

हाँ आ तो गया, पर कहाँ? और आप कौन हैं?

मैं ईश्वर हूँ और तुम स्वर्ग में हो।

स्वर्ग....... ईश्वर.... आप यह सब क्या व्यर्थ बात कर रहे हैं।

मैं सत्य कह रहा हूँ।

हे प्रभु, तो मैंने ऐसा क्या गुनाह कर दिया, जो आप मुझे इतनी जल्दी स्वर्ग ले आए?

गुनाह...... नहीं तुम तो बहुत अच्छे इन्सान हो। तुम तो हर किसी के विषय में कितना कुछ अच्छा सोचते हो, अच्छा करते हो।

तब क्यों प्रभू?

क्योंकि तुमने, अपने सभी कार्य सुचारू रूप से पूर्ण किए हैं, अतः तुम्हें मोक्ष प्रदान किया जा रहा है।

प्रभु, मोक्ष क्या है?

तुम पहले यह बताओ, जिंदगी क्या है?

जिन्दगी....... जिन्दगी,  सपने हैं, अपने भी हैं ज़िन्दगी

जिन्दगी दुख है, सुख भी है ज़िन्दगी

जिन्दगी हार है, जीत भी है ज़िन्दगी

जिन्दगी अंधेरा है, सवेरा भी है ज़िन्दगी

क्या कहूँ कि ज़िन्दगी..... जिन्दगी और भी बहुत कुछ है......

बिल्कुल सही कहा, तुमने।

अब सुनों कि मोक्ष‌ क्या है।

मोक्ष एक ऐसी, सुखद अवस्था है, जहाँ ना दुख है ना दर्द ,

ना अंधेरा ना सवेरा, ना भूत है ना भविष्य , ना हार ना जीत, ना सपने हैं ना अपने।

अगर एक शब्द में कहें तो मोक्ष परमानन्द है।

जिसको भी मोक्ष प्राप्त हो जाता है, वो जीवन के आवागमन से मुक्त हो जाता है।

यह सब सुनकर राजीव सोच में डूब गया।

कुछ पल बाद वो बोला, प्रभु, आप मुझ से बहुत प्रसन्न हैं ना?

हाँ, मैं बहुत प्रसन्न हूँ तुम से।

तो क्या आप मुझे वो दे सकते हैं? जिसकी मुझे कामना है।

क्या चाहते हो तुम? ..........

आगे पढ़े

जिन्दगी और मो‌क्ष (भाग-2) में........


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