बहू का हिसाब (भाग -2) के आगे...
बहू का हिसाब (भाग -3)
सुलक्षणा ने घर के सभी नौकरों को बुलाया और कहा कि इस घर में जरुरत से ज्यादा लोग काम करते हैं।
आज से मैं इस घर को अपने हिसाब से चलाऊंगी, और मुझे इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं चाहिए।
यह सुनकर सभी मायूस हो गये, कि ना जाने किस पर गाज गिरने वाली है।
कुछ कहने लगे, हमने तो बरसों से सेवा की है, कभी शिकायत का मौका भी नहीं दिया है।
तो हमारे ऊपर यह जुल्म क्यों?
कुछ उनमें नाकारा भी थे, वो सिर्फ चाटुकारिता के सहारे टिके हुए थे।
वो तो रोने ही लगे, क्योंकि वो जानते थे कि, अगर उनको निकाल दिया गया, तो उन्हें कहीं और काम नहीं मिलेगा।
सुलक्षणा बोली, आप में से कोई भी व्यक्ति परेशान ना हो। मैंने कहा है कि मुझे घर में इतने लोग नहीं चाहिए, पर यह नहीं कहा कि काम से निकाल रही हूँ।
यह सुनकर सब हैरानी से एक-दूसरे का मुंह देखने लगे।
आप ने ठीक सुना है कि, मैं किसी को नहीं निकाल रही हूँ।
अब सुनिए कि आप सबको करना क्या है?
आप लोगों को अपने उन कार्यों की list बनानी है, पर इसमें आपको वो काम नहीं लिखना है, जो आप यहाँ करते थे। बल्कि वो काम लिखने हैं, जिसमें आप expert हैं।
और हाँ, मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ कि यहाँ कुछ नाकारा लोग भी हैं।
पर मेरा मानना है कि कोई नाकारा नहीं होता है। हर कोई किसी ना किसी काम में expert जरुर होता है।
तो पूरी ईमानदारी से अपना काम लिखिएगा, क्योंकि उसी के आधार पर आप को काम सौंपे जाएंगे और फिर जो अपने काम पर खरा नहीं उतरा, उसे निरस्त कर दिया जाएगा।
जिसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है।
इन कामों की list बनाने के लिए आप सबको 2 दिन की छुट्टी दी जा रही है। सोच समझ कर लिखिएगा।
और इस छुट्टी के आप को double पैसे दिए जाएंगे।
ऐसी घोषणा सुनकर सब के चेहरे खिल उठे।
सब खुश थे, मर्जी का काम मिलेगा, दो दिन की छुट्टी, और उसके double पैसे, सब सुलक्षणा की जय, कहते हुए घर चले गए।
रमा जी का एक चाटुकार, उनको सब बता कर चला गया.......
आगे पढ़े, बहू का हिसाब (भाग - 4) में.....
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