बहू को कैसे लगे ससुराल अपना घर
आज कल शादियों का season चल रहा है। शादी होने के साथ ही होता है, नई बहू का गृह-प्रवेश...
गृह प्रवेश, यह केवल घर में प्रवेश करनी की रस्म नहीं होती है, बल्कि इस का सही अर्थ होता है कि क्या आपकी बहू, बेटी बनेगी और इस घर को अपना समझेगी? या हमेशा के लिए उसके लिए यह एक ससुराल ही बना रहेगा, जहां वो कभी अपने आप को comfortable नहीं समझेगी?
यह सब निर्भर करता है बहुत सी छोटी-छोटी बातों पर, जिनके नज़रअंदाज़ से ही आपकी अपनी बहू, कभी बेटी नहीं बन पाती है।
आइए उन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
Physically harassment :
यदि आप की बहू के कान या नाक नहीं छिदे हैं, तो उन्हें सामाजिक मान्यताओं के कारण या अपनी जिद्द के कारण मत छिदवाएं। कभी भी किसी को कष्ट देकर आप उसके नजदीक नहीं जा सकते हैं, बल्कि उसकी परेशानियां को समझ कर उसके निदान से उसके बन सकते हैं।
Financial support :
अगर आप के एक से अधिक बेटे हैं तो, जिस बहू के मायके से जो आया हो, उसे वो दे दीजिए। उससे तीन फायदे होंगे;
पहला, वो उन सामानों में कोई मीन-मेख नहीं निकालेगी, बाकी निकाल सकते हैं।
दूसरा, उसके मायके का दिया पैसा और सामान उसके ही गृहस्थ जीवन को संवारने के लिए दिया गया था।
सबसे बड़ी बात, उसकी अपनी ससुराल से bonding अच्छी होगी कि उसका उसे देकर ससुराल वालों ने अपनापन दिखाया।
Attachment :
बहू-बेटा, चाहे किसी दूसरे शहर में रहते हों, पर ससुराल में उनका भी एक कमरा होना चाहिए। जिसमें उनका सामान होना चाहिए और वो सब सुख-सुविधाएं जो बाकी कमरों में हो। जिससे जब भी वो आएं, सीधे उसी कमरे में आकर रहें। उन्हें आकर हर बार यह ना सोचना पड़े कि हम कहां रहेंगे और हमारा सामान कहां रहेगा।
अपना fix कमरा होने से उन्हें लगेगा कि यह घर उनका भी है, यहां उनके लिए जगह, उनकी अनुपस्थिति में भी है।
Detachment :
जब लड़की ससुराल आती है तो पीछे सबको छोड़ कर नहीं आती है, उनके साथ ही नए लोगों को भी अपनाने आती है। तो अपनी बहू को उसके मायके से अलग करके नहीं बल्कि उसे अपने आप से जोड़ कर, उसे अपनी बेटी बना सकते हैं।
उसके मायके वालों की तरह, अगर आप उसकी hobby, उसकी खुशी, उसकी परेशानियां और बेचैनी को समझ गए, तब वो आपकी बन जाएगी।
Patience :
बहू आते से आपसे नहीं जुड़ जाएगी, उसे थोड़ा समय चाहिए होगा, आप से जुड़ने में... वो समय कितना लगेगा, यह आप दोनों की compatibility से होगा। तो धैर्य से काम लीजिए, सब वही होगा, जैसा आप चाहते हैं, क्योंकि हर बहू, धीरे-धीरे अपने ससुराल में रम ही जाती है। कुछ जल्दी, कुछ थोड़ा देर से।
Allegation :
बहू के बेटा हो या बेटी, उसकी तोहमत उस पर ना लगाएं, बेटा-बेटी दोनों एक समान हैं। जो भी है वो आपका है, उसे पूरे मन से अपनाएं। अगर किसी भी माँ के बच्चे को कोई प्यार करता है तो वो उसके लिए हमेशा प्रेम भाव में ही रहती है। तो बस अगर आप अपने पोते-पोतियों को प्यार देंगे तो बहू तो अपने आप ही आपकी हो जाएगी।
वैसे आपकी information के लिए बता दें, scientifically बच्चे का gender, पिता से ही decide होता है, माँ से ही नहीं...
बस इन जैसी ही और भी छोटी-छोटी बातें हैं, जिस पर ध्यान देने से आपकी बहू कब आपकी बेटी बन जाएगी, यह ना आपको पता चलेगा ना उसको...
क्योंकि सच तो यही है कि ससुराल ही बहू का अपना घर होता है तो जल्दी या देर से वो रम ही जाती है अपने ससुराल में...
उसके मुंह से बहुत जल्दी निकलने लगता है, ऐसा हमारे यहां होता है और ऐसा हमारे यहां नहीं होता है, और ऐसा वो अपने ससुराल के reference में उसके नियम कानून के संदर्भ में बोलती है।
हर घर में
खुशियों का वास हो
रिश्तों में मिठास का
एहसास हो
हर घर में बेटी सी बहू
और माँ सी सास हो
अगर आप को लगता है और भी कुछ ऐसी ही छोटी बातें हैं तो उन्हें comment box में जरूर लिखें..
सबके सुख की कामना 🙏🏻
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